कीबोर्ड पर क्यों चुना गया QWERTY फॉर्मेट
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दरअसल कीबोर्ड का इतिहास टाइपराइटर से जुड़ा है और तब से ही QWERTY Format चला आ रहा है। वैसे पहले ABCDE फॉर्मेट पर ही कीबोर्ड बनाया गया था लेकिन उसमें टाइपिंग ढंग से नहीं हो पा रही थी। Keys को लेकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। सबसे बड़ा कारण यह था कि उसके बटन एक दूसरे के इतने करीब थे कि मुश्किल से टाइपिंग होती थी। QWERTY फॉर्मेट में आप बस टाईप करते हैं और जल्दी से कीबोर्ड के बटन आपकी सारी बात को लिखते चले जाते हैं। इसलिए QWERTY मॉडल ही सबसे ज्यादा पसंद किया गया और यही फॉर्मेट तब से चलने लगा।
कई लोग सोचते हैं कि आखिर कीबोर्ड पर A से Z तक के बटन इधर-उधर क्यों लगे होते हैं। हम जब कंप्यूटर चलाना सीखते हैं तो हमें लगता है अगर ये अल्फाबेट्स इधर-उधर लिखने के बजाय लाइन से ABCD में लिखे होते तो टाइपिंग करना कितना आसान हो जाता लेकिन धीरे-धीरे जब हम कंप्यूटर चलाना सीख जाते हैं तो तब बिना कीबोर्ड की तरफ देखे धड़ाधड़ टाइपिंग करना शुरू कर देते हैं। तब समझ में आता है कि कीबोर्ड के अक्षरों का उलटफेर काफी सोच समझ कर किया गया है। जिसकी वजह से हम टाइपिंग मिनटों में कर देते हैं। कंप्यूटर या कीबोर्ड आने से पहले ही QWERTY Format चला आ रहा है। अभी जितने भी कीबोर्ड हैं चाहे वो लैपटॉप के कीबोर्ड या आपके स्मार्टफोन का कीबोर्ड है, वो QWERTY फॉर्मेट में ही हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर की बोर्ड पर क्यों चुना गया QWERTY फॉर्मेट।
कीबोर्ड का इतिहास
दरअसल कीबोर्ड का इतिहास टाइपराइटर से ही संबंधित है यानी कंप्यूटर या कीबोर्ड आने से पहले ही QWERTY Format चला आ रहा है। सबसे पहले साल 1868 में टाइपराइटर का इन्वेंशन करने वाले Christopher Latham Sholes, ने ही ABCDE... फॉर्मेट पर ही कीबोर्ड बनाया था लेकिन उनको इसकी स्पीड और टाइपिंग सुविधाजनक नहीं लगी। उसमें Keys को लेकर भी कई सारी दिक्कतें आ रही थीं। इसके बाद भी Sholes जैसे Designers ने इसमें कुछ बदलाव करने की सोची, फिर सामने आया ABCD फॉर्मेट वाला कीबोर्ड। QWERTY से पहले, ABCD वाले Keyboard हुआ करते थे, लेकिन वो देखने में थोड़े अजीब भी लगते थे। इसके बाद DVORAK मॉडल भी आया लेकिन ये भी इतना सुविधाजनक नहीं था। इसके बाद आया QWERTY कीबोर्ड इसने Typing को सुविधाजनक, बेहतर और आसान बना दिया।
क्यों पसंद किया गया QWERTY मॉडल
ABCD वाले कीबोर्ड की वजह से टाइपराइटर पर लिखने में दिक़्कतें हो रही थी। उसके बटन एक दूसरे के इतने करीब थे कि मुश्किल से टाइपिंग होती थी। पहले ABCD वाले Keyboard हुआ करते थे पर ये ज्यादा चल नहीं पाये। ABCD वाले कीबोर्ड में मुश्किल से टाइपिंग हो पाती थी। कुछ Alphabets ऐसे होते हैं जिनका प्रयोग ज्यादा होता है जैसे E, I, S, M और कुछ शब्दों का प्रयोग कम होता है जैसे Z, X आदि। इस कीबोर्ड में ज्यादा इस्तेमाल में आने वाले अक्षरों के लिए उंगली को पूरे कीबोर्ड पर घुमाना पड़ता था जिस वजह से टाइपिंग धीमे होती थी। कई Experiments के बाद हम QWERTY कीबोर्ड यूज करते हैं, इसमें Typing बेहतर और आसान हो गयी है, बशर्ते आप अपने हाथ और उंगलियों को सही से रखना जानते हों। इसलिए QWERTY मॉडल ही सबसे ज्यादा पसंद किया गया और तब से यही फॉर्मेट चलने लगा। इसमें आप बिना रुकावट के आसानी से Type कर लेते हैं वो भी फुल स्पीड में।
कीबोर्ड के बारे में
Computer का Keyboard बाकी सब से बेहतर होता है और इसकी Keys एक-दसूरे से अच्छी दूरी पर होती हैं। इसमें टाइपिंग करने में काफी आसानी होती है। इसमें आप बिना रुके हुए और स्पीड से टाइपिंग कर सकते हो। वैसे कंप्यूटर के Keyboards में भी पिछले कुछ समय से कई बदलाव आये हैं। ये फर्क आप अपने पुराने सिस्टम और Laptops में भी देख सकते हो। वर्तमान समय में जिन Keyboard का use किया जाता है, वे अधिकतर ‘QWERTY’ ही होते है। इस layout को दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है। इसे लगभग सभी देशों में इस्तेमाल किया जाता जाता है। एक Computer के keyboard में बहुत सारे letters, numbers, symbols और commands button के shape में स्थित रहते हैं। कुछ keyboards में special keys मौजूद होते हैं वहीँ कुछ में नहीं होते, लेकिन सभी keyboards में समान alphanumeric keys जरुर होते हैं। जो भी हो खोजकर्ताओं के कारण ही हम सभी आज आसानी से और तेज स्पीड में टाइप कर पाते हैं।
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