अँधेरे के कारण बना डाला खुद का सूरज
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ये तो हम सब लोग जानते हैं कि इंसान के साथ साथ पशु पक्षी, पेड़-पौधे और जानवरों के लिए भी सूरज कितना महत्वपूर्ण है। यदि सूरज न हो तो ये पृथ्वी अंधकारमय हो जायेगी और इंसान का जीना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जायेगा लेकिन इस पृथ्वी पर ऐसी कई जगहें हैं, जहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँच पाती है। ऐसा ही एक गांव है जहाँ पहाड़ों की वजह से सूरज की रोशनी नहीं पहुँच पाती है। इसके बावजूद भी यहाँ के लोगों ने हार नहीं मानी और एक आर्टिफीशियल सूरज बना डाला। दिमाग, लगन और तकनीक का सही इस्तेमाल करके इस गांव ने अपना खुद का सूरज बनाकर कुदरत को भी मात दे दी और अब इस गांव के लोग सूरज की रोशनी का आनंद लेते हैं।
इस बात से हर कोई वाकिफ़ है कि सूरज कि रोशनी हमारे लिए कितनी आवश्यक है। हम लोग सूर्य की एक देवता के रूप में भी पूजा करते हैं। हम सूरज के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। इंसान के जीवन और सेहत के लिए सूरज की रोशनी की बेहद ज़रूरत होती है। वह हमें रोशनी और गर्मी देता है, जिससे यह धरती रहने के लिए एक सुखद और रोशन जगह बनती है। सूरज के बिना धरती बिल्कुल ठंडी और अंधेरी हो जायेगी और सूरज के बिना ना ही पेड़-पौधे होंगे, ना ही जीव जंतु और ना ही पशु पक्षी। ये तो सभी जानते हैं कि पेड़-पौधे सूरज की रोशनी sunlight में ही अपना भोजन बनाते हैं और अगर पेड़-पौधे नहीं होंगे तो ना ही इंसान जिन्दा रह पायेंगे, ना ही जीव जंतु। हम रोजाना दिन के समय सूरज की रोशनी ग्रहण करते हैं, लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस पृथ्वी पर कई ऐसे इलाके हैं, जहां लोगों को सूरज की रोशनी नसीब नहीं होती है। एक गांव ऐसा है जहाँ सूरज की किरण देखने तक को लोग तरस जाते हैं लेकिन कहते हैं कि अगर इंसान कुछ भी ठान ले तो नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकता है। ऐसे ही कुछ तकनीक Technology का सहारा लेकर इस गांव ने अपना खुद का सूरज बना डाला और गांव को रोशन कर दिया।
सूरज की रोशनी न आने की वजह
इस गांव का नाम विगल्लेना है और यह इटली Italy में पड़ता है। इस गांव के ऊपर बहुत ऊँचे ऊँचे पहाड़ हैं और यह गांव इन्हीं पहाड़ों के नीचे बसा हुआ है। इन्ही पहाड़ों की वजह से यहाँ सूरज की किरणें नहीं पहुँच पाती हैं। इस गांव की आबादी लगभग 200 के करीब है। यहाँ पर तीन महीने सूरज नहीं निकलता है। इस कारण यहाँ के लोग बहुत परेशान रहते थे। उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए गांव के लोगों ने आर्किटेक्ट और इंजीनियर की मदद से एक आर्टिफीशियल सूरज ARTIFICIAL SUN बना दिया।
कैसे बनाया सूरज
अँधेरे में डूबे रहने के कारण यहाँ के लोगों को सेहत से जुडी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा था। फिर सब लोगों ने मिलकर इस समस्या का समाधान करने पर विचार किया और इस समस्या को हल किया गांव के ही एक आर्किटेक्ट architect और इंजीनियर engineer ने। इन्होंने गांव के मेयर की मदद से पहाड़ों की चोटी पर 40 वर्ग किलोमीटर का एक शीशा लगवा दिया। उन्होंने शीशे को इस तरह लगाया गया कि उस पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी रिफलेक्ट होकर सीधे गांव पर गिरे और गांव अँधेरे से मुक्त हो जाये। ये शीशा दिन में 6 घंटे लाइट रिफ्लेक्ट करता है। ये शीशा पहाड़ की दूसरी तरफ 1,100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया है। शीशे का वजन तकरीबन 1.1 टन है। इसे कंप्यूटर computer के जरिए ऑपरेट किया जाता है। इस तरह उनकी ये तरकीब कामयाब हो गयी और उन्होंने आर्टिफीशियल सूरज बना दिया।
बनाने का आइडिया और खर्चा
हमें लगता है कि ये इतना बड़ा आइडिया किसी आम इंसान का नहीं हो सकता है। आपने अब तक इंसान को साइंस एंड टेक्नोलॉजी Science and Technology की मदद से नकली आंख, हाथ पांव बनाते हुए सुना होगा, पर इटली Italy के इस गांव के लोगों ने अपना सूरज ही बना लिया। पहली बार ऐसे सूरज के बारे में सुना है, जो कुदरत ने नहीं बल्कि खुद इंसानों ने बनाया है और ना ही ये किसी वैज्ञानिक का आइडिया है, बल्कि ये आइडिया आम इंसान का है। ये आइडिया तब आया जब लोगों को धूप ना मिलने की वजह से घरों में ही रहना पड़ता था और कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता था। ठण्ड और अँधेरे की वजह से सब लोग घरों में बंद रहते थे। इसके बाद करीब करीब 87 लाख रुपए की लागत से आर्टीफिशियल सूरज artificial sun बनाया गया।
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