ये बोरिंग है रोचक

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2013
ये बोरिंग है रोचक
19 Aug 2021
9 min read

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एक और हकीकत को उजागर करती हुई ऐसी किसानी का पेशा, जिसमें इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है कि खेत की स्थिति कैसी है, वहाँ पानी का जमाव तो नहीं होता है? वहाँ मिट्टी की उर्वरता में कमी तो नहीं आ रही? यदि खेत में पानी जमाव की समस्या होती है, तो बारिश के मौसम में पानी भर जाता है और अगर यह पानी जल्दी न निकाला जाए, तो किसान की पूरी फसल खराब हो सकती है। ऐसा ही कुछ समस्याओं का सामना कई वर्षों तक हरियाणा के एक किसान नरेन्द्र कम्बोज के साथ होता रहा।

आप भी एक नए व्यवसाय के बारे में सोच सकते हैं, बल्कि उस दिशा में कार्य कर सकते हैं। कई बार दूसरों के विचार से स्वयं के भी विचार उत्पन्न हो जाते हैं, जिस तरह से हमने कुछ उदाहरणों से जैविक खेती को जाना उसी दिशा में हम कुछ और प्रेरक कहानी लेकर आपसे इस विषय में बात करते हैं। 

एक और हकीकत को उजागर करती हुई ऐसी किसानी का पेशा, जिसमें इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है कि खेत की स्थिति कैसी है, वहाँ पानी का जमाव तो नहीं होता है? वहाँ मिट्टी की उर्वरता में कमी तो नहीं आ रही? यदि खेत में पानी जमाव की समस्या होती है, तो बारिश के मौसम में पानी भर जाता है और अगर यह पानी जल्दी न निकाला जाए, तो किसान की पूरी फसल खराब हो सकती है। ऐसा ही कुछ समस्याओं का सामना कई वर्षों तक हरियाणा के एक किसान नरेन्द्र कम्बोज के साथ होती रही । 

हरियाणा के करनाल में रहने वाले किसान नरेन्द्र कम्बोज 12वीं पास हैं और पढ़ाई के बाद से ही अपनी पारिवारिक खेती को संभाल रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके इलाके में गेहूं और धान की फसल सबसे ज्यादा होती है। लेकिन 2019 से पहले लगातार कई सालों तक उनकी धान की फसल लगभग पूरी तरह खराब हो जाती थी, क्योंकि उनके खेतों में बारिश का पानी ठहरता था और इसे निकलने में लगभग 15 दिन लग जाते थे। लगातार इतने दिनों तक खेतों में पानी रहने से फसल खराब होने लगती थी। जिससे उनको नुकसान होता था और मुनाफा न के बराबर होता था।  

वह बताते हैं, मेरे पास आठ एकड़ जमीन है और यह झील में है। इसलिए चाहे बारिश हो या अन्य किसी वजह से पानी आए, पास के सभी खेतों से होता हुआ पानी मेरे खेतों में इकट्ठा हो जाता था। बारिश के मौसम में तो हालात बिल्कुल ही खराब हो जाते थे। कई बार खेतों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए मिट्टी डलवाने का भी सोचा लेकिन इस काम में खर्च बहुत है और एक आम किसान के बस की यह बात नहीं।  लेकिन कहते हैं न जिस मनुष्य ने पहाड़ भी तोड़ने की सोच ली वह उसे तोड़ भी सकता है या तोड़ भी देता है। नरेन्द्र ने ठान लिया था कि उन्हें इस समस्या को खत्म करना ही है, क्योंकि कब तक वह नुकसान झेलेंगे। इसलिए उन्होंने इस बारे में लोगों से विचार-विमर्श किया और उन्हें आईडिया आया कि क्यों न बारिश के पानी को बेकार करने की बजाय जमीन के अंदर भेजा जाए। इसी विचार के साथ, साल 2019 में उन्होंने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया। जिससे उनको धीरे-धीरे फायदा होना शुरू हो गया। 

फसल संरक्षण और जल-संरक्षण एक साथ होना संभव हुआ 

नरेन्द्र आगे कहते हैं कि उनके रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बोरिंग 175 फ़ीट गहरी है। साथ ही, इसमें फिल्टर भी लगे हैं ताकि पानी स्वच्छ होकर जमीन में पहुंचे। “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होने से अब खेतों में बारिश का पानी मुश्किल से दो दिन रुकता है और इससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है। पिछले दो सालों में हमारी फसल बिल्कुल भी खराब नहीं हुई है। ऐसा बोलते हुए उन्होंने उसको अपनी फसल द्वारा होने वाले लाभ से जोड़ा और कहा अब वह पहले से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।  

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में नरेन्द्र का खर्च 60 हजार रुपए आया। लेकिन उनका कहना है कि यह सिर्फ एक बार की लागत है। अब कम से कम वह अपनी लाखों की फसल को बचा पा रहे हैं। साथ ही, अगर वह आठ एकड़ जमीन में मिट्टी डलवाते तो भी खर्च लाखों में ही आता। अब कम से कम उनके इस कदम से न सिर्फ उनकी फसल बल्कि पानी भी संरक्षित हो रहा है। उनका कहना है, “मैंने कभी लीटर में तो पानी नहीं मापा है, क्योंकि मैं एक आम किसान हूँ। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि अपनी धान की फसल के लिए जितना पानी मैं जमीन से लेता हूँ, उसका चार गुना पानी जमीन को वापस दे रहा हूँ।” 

इस कार्य से मिली दूसरे किसानों को मिली प्रेरणा

जब आप किसी कार्य को अलग ढंग से करके उसमें लाभ की दिशा उत्पन्न करते हैं, तब आप एक सफल और दूसरों की प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसे ही नरेन्द्र कंबोज से प्रेरित होकर उनके गाँव के और भी कई किसानों ने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। इसके अलावा, उनके इस कदम की तारीफ हरियाणा सरकार ने भी की और उन्हें 11 हजार रुपए सम्मान स्वरुप दिए गए। उन्होंने बताया, “हरियाणा ही नहीं पंजाब से भी कुछ किसान हमारे यहाँ यह सिस्टम देखने आये थे, क्योंकि दूसरी जगहों पर भी बहुत से ऐसे किसान हैं, जिनकी जमीन इस तरह से नीचे या झील वाले इलाकों में है। वे भी किसी न किसी सीजन में इस परेशानी से गुजरते हैं। लेकिन किसानों के लिए इस परेशानी का सबसे अच्छा हल रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है।”

वो कहते हैं न आप अगर ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है परेशानिया कभी कभी नए अवसर पैदा करती हैं, जिसके चलते हम कितनी ही बार इतिहास रच देते हैं और लोगों के लिएवे एक प्रेरणा तथा मिसाल बन जाते हैं। प्रकृति से लेकर प्रकृति को वापस करने वाले बड़े कम लोग होते हैं। आपके नवीन विचार कभी कभी आपको एक अलग इंसान बना देते हैं।