16 मार्च - राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस

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16 मार्च - राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस
16 Mar 2022
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हर साल 16 मार्च को पूरे देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination Day) मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य टीकाकरण के महत्व, अच्छे स्वास्थ्य के लिए और बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए इसकी भूमिका के बारे में जागरूक करना है। मुख्य रूप से आज कोरोनावायरस जैसी घातक महामारी का सामना करने के बाद, दुनिया को टीकाकरण के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह सबसे पहले तब मनाया गया था जब 1995 में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था।

16 मार्च को हर साल राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस National Vaccination day मनाया जाता है। इसको नेशनल इम्यूनाइजेशन डे National Immunization Day के रूप में भी जाना जाता है। इसको मनाने का कारण है लोगों को टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक करना। आज सबसे बड़ी बात यह है कि इस समय देश में कोरोना के खिलाफ़ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है और आज इस बात से शायद कोई भी अनभिज्ञ नहीं है कि ये टीकाकरण हर किसी के लिए कितना आवश्यक है। क्योंकि संक्रामक रोगों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। हमारे लिए ये गर्व की बात है कि राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस, पोलियो रोग के खिलाफ भारत की जीत का भी प्रतीक है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पहली बार 16 मार्च 1995 को मनाया गया था। चलिए विस्तार से जानते हैं कि राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का इतिहास क्या है और इसका क्या महत्व है।

टीकाकरण क्या है?

टीकाकरण Vaccination रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुरक्षित रूप से विकसित करने के लिए और शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा के साथ-साथ संक्रमण के जोखिम को भी कम करता है, यानि टीकाकरण का प्रयोग किसी बीमारी से बचने के लिए और प्रतिरोधात्मक क्षमता immunity विकसित करने के लिए किया जाता है। टीकाकरण के ही कारण दुनिया भर में चेचक के उन्मूलन और पोलियो, खसरा और टेटनस Polio, Measles and Tetanus जैसी बीमारियों को दुनिया से दूर कर पाये हैं। इसके साथ ही टीकाकरण के कारण ही कोरोना पर भी काफी हद तक काबू पाने में सफल हुए हैं। टीकाकरण Vaccination स्वास्थ्य और विकास की सफलता की कहानी बयां करती है। टीके हमारे शरीर में एंटीबॉडी Antibodies बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं और टीके, वायरस या बैक्टीरिया जैसे कीटाणुओं को खत्म कर देते हैं जिससे हमें बीमारियाँ नहीं होती हैं। क्योंकि एंटीबॉडी हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। आज बहुत सारी घातक बीमारियों के खिलाफ टीके एक महत्वपूर्ण हथियार बन गए हैं। हमारे देश में टीकाकरण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का इतिहास और 2022 की थीम

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस National Vaccination Day पहली बार 16 मार्च 1995 को मनाया गया था। 1995 में भारत ने पल्स पोलियो कार्यक्रम pulse polio program शुरू किया और ओरल पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक दी गई। 16 मार्च को राष्ट्रीय प्रतिरक्षा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल उस समय देश में पोलियो के मामले बहुत तेजी से बढ़़ रहे थे और इसी पोलियो पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने पोलियो टीकाकरण की शुरुआत की थी। इस टीकाकरण अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दो बूंदें दी गईं थीं। देखा जाये तो आज इस टीकाकरण को पोलियो से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए ढ़ाल के रूप में देखा जा सकता है। ये पल्स पोलियो कार्यक्रम भारत में एक बड़ी सफलता बन गया था। फिर 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization ने भारत को 'पोलियो मुक्त देश' polio free country घोषित किया था। इसी टीकाकरण का नतीजा है कि आज कोरोना महामारी corona pandemic जैसी घातक बीमारी को जड़ से दूर करने के लिए पूरी दुनिया टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही है। इस बार राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस या नेशनल इम्यूनाइजेशन डे 2022 का विषय या थीम "वैक्सीन वर्क फॉर ऑल" Vaccine Work for All है। नेशनल वैक्सीनेशन डे 2022 की थीम का मतलब है कि कैसे टीके सभी के लिए काम करते हैं और सभी के लिए आवश्यक हैं। टीकाकरण के ही कारण दुनियाभर में लाखों लोगों की जान बच पाती है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का महत्व

1995 से लेकर आज तक यानि राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 2022 का दिन हमें टीकाकरण के महत्व को भलीभांति समझाने में मदद करता है। क्योंकि कोरोना महामारी जैसी वैश्विक महामारी ने टीकाकरण के महत्व को और भी अच्छे से पूरी दुनिया को समझाया है। इस महामारी से निपटने के लिए सिर्फ टीका का उपलब्ध होना जरूरी नहीं था बल्कि टीके के साथ-साथ उस पर विश्वास करना और उसके प्रति जागरूक होना ज्यादा जरुरी था। सरकार ने जनता को टीकाकरण से जुड़ी जानकारी का बहुत बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार करके लोगों को इसके महत्व को बताया। इसका नतीजा यह हुआ कि लोग आगे आये हैं और इस बीमारी को दूर करने में मदद की है। लोगों को बीमारियों के प्रति जागरूक करना और उनसे बचाव करना ही राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का मुख्य महत्व है। टीकाकरण के अंतर्गत बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत सारे टीके लगाए जाते हैं और इससे बच्चों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। ये रोग जैसे खसरा, टेटनस, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी आदि हैं। पोलियो के अतिरिक्त सभी टीके इंजेक्शन द्वारा दिए जाते है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को टिटनेस के टीके लगाकर उनके साथ-साथ उनके नवजात शिशुओं को टिटनेस से बचाया जाता है। आज कई घातक बीमारियों के खिलाफ टीके बहुत ही लाभदायक हथियार की तरह साबित हुए हैं और लाखों लोगों की जान बच पा रही है।

12-14 साल के बच्चों का कोरोना टीकाकरण शुरू

पिछले दो साल से पूरी दुनिया पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है और पूरी दुनिया इससे परेशान है। इसमें न जाने कितने लोगों की जान गई है, लेकिन टीकाकरण ही एक मात्र ऐसा ऐसा हथियार था जिसकी वजह से हम कोरोना के खिलाफ जंग सफलता से लड़ पाए हैं। कोरोना वायरस से भी लोगों को बचाने के लिए दुनियाभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। भारत सरकार ने पहले ही 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए COVID-19 टीकाकरण और साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए बूस्टर खुराक को शुरू कर दिया था। आज की सबसे बड़ी बात यह है कि 16 मार्च, राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के दिन ही भारत में 12 से 14 साल के बच्चों की कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो गया है, जो कि एक बहुत ही बड़ी राहत की खबर है। बच्चों के माता-पिता से आग्रह है कि बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवायें। क्योंकि यदि बच्चे इस बीमारी से सुरक्षित रहेंगे तो देश भी तभी सुरक्षित रहेगा। बच्चों के इस टीकाकरण अभियान के लिए रजिस्ट्रेशन कोविन पोर्टल www.cowin gov.in या आरोग्य सेतु ऐप Arogya Setu App पर रजिस्ट्रेशन करें।

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