पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना जी रहे ऐसा जीवन
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आज हर कोई रसायनयुक्त चीज़ों का इस्तेमाल कर रहा है जिससे बीमारियां बढ़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद आज बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन सब चीज़ों को समझ रहे हैं। कोशिश कर रहे हैं अपने और अपने परिवार को बचाने की और ठीक ऐसा ही कुछ कर रहा है पुणे निवासी पल्लवी पाटिल और उनका परिवार। पल्लवी अपना और अपने परिवार के जीवन को रसायन मुक्त बना रही हैं। हम सबको भी इनसे प्रेरणा लेकर आज से पर्यावरण को सुरक्षित रखने की कोशिश करनी चाहिए जिससे हम सब मिलकर स्वस्थ और स्वच्छ समाज का निर्माण कर सकें।
आज लोग अपनी सुख सुविधाओं के चलते पर्यावरण को कितनी हानि पहुंचा रहे हैं इससे हर कोई वाकिफ है लेकिन ये सब कुछ जानते और समझते हुए भी हम सब पर्यावरण environment को नुकसान तो पहुंचा ही रहे हैं साथ ही साथ रसायन युक्त चीज़ों को खाकर या रसायनयुक्त चीज़ों का इस्तेमाल कर अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं। इसके बाद फिर हमें इसके घातक परिणाम भी झेलने पड़ते हैं। यही सब कुछ देखते हुए और समझते हुए पुणे निवासी पल्लवी पाटिल और उनका परिवार पिछले सात सालों से पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने की कोशिश कर रहा है। मनुष्य को प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करके उसे बचाने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
पर्यावरण के अनुकूल जी रहे हैं जीवन
पुणे निवासी पल्लवी पाटिल और उनका परिवार आज सबके लिए प्रेरणा बन चुका है। पल्लवी कोशिश कर रही हैं कि वे और उनका परिवार रसायन मुक्त बनें। इसके लिए उनके पति भी उनका साथ देते हैं। पल्लवी पहले एक सॉफ्टवेयर कंपनी software company में काम करती थी लेकिन अब उनका पूरा ध्यान इस बात पर है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना कैसे स्वस्थ health जीवन को जिया जा सकता है। दरअसल पल्लवी एक किसान परिवार से हैं इसलिए उन्हें पता है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कितने नुकसान हैं। इसके लिए उन्होंने बहुत सारी चीज़ों को अपने जीवन से दूर कर दिया है। उन्होंने अपनी पूरी जीवनशैली को बदल कर रख दिया है। वे रसायनयुक्त चीज़ों के बजाय प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल करती हैं। उनका मानना है कि हम पर्यावरण को क्षति पहुंचाये बिना भी जी सकते हैं बस आपको अपने जीवन में कुछ परिवर्तन लाना होगा तभी यह संभव हो सकता है। वह कहती हैं कि आजकल रसायनयुक्त use-of-chemicals खाना खाने से या फिर रसायनयुक्त चीज़ों के प्रयोग से हम स्वस्थ जीवन नहीं जी सकते हैं इसलिए अपने और पूरे राष्ट्र को बचाने के लिए हमारा फर्ज है कि हम सब मिलकर प्राकृतिक चीज़ों का ही प्रयोग करें।
जैविक सब्जियों और सौर कुकर soler cooker का इस्तेमाल
पल्लवी कहती हैं इसके लिए उन्होंने सबसे पहले फ्रिज का प्रयोग करना बंद कर दिया। सिर्फ फ्रिज ही नहीं उनके घर में एसी या कूलर भी नहीं है। सिर्फ यही नहीं वह पंखा भी बहुत कम चलाते हैं। वे कहती हैं हमे लगता है कि हम इन सब भौतिक सुविधाओं के बिना भी स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वह अपने बगीचे में ताजे फल, सब्जियां और औषधीय पौधे उगा रही हैं। उनके बगीचे में पपीता, केला, अनार और भी कई तरह के फल हैं। इसके अलावा सब्जियां जैसे टमाटर, लौकी, तोरई आदि भी उगाती हैं क्योंकि जैविक फल और सब्जियां ज्यादा समय तक ताजी रहती हैं। फल और सब्जियों के अलावा कई मसाले जैसे अदरक, हल्दी आदि मसाले भी उगाती हैं। वह बाहर से फल और सब्जियां नहीं खरीदती हैं और ऐसा करने से वह अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान अच्छी तरह से रख पाती हैं। इसके अलावा पल्लवी सोलर कुकर का इस्तेमाल भी करती हैं। पल्लवी सौर कुकर के इस्तेमाल से लगभग 15 दिन की गैस की बचत भी करती हैं।
खुद बनाती हैं सारी चीज़ें
जैविक सब्जियों organic-vegetables और फलों के अलावा पल्लवी बहुत सी खाने-पीने की चीज़ें भी बनाती हैं। वह ये सारी चीजें अपने बगीचे में उगने वाली चीज़ों से ही बनाती हैं। पल्लवी अलग-अलग तरह की चटनी, अचार, सॉस, गुलाब का गुलकंद, केले के चिप्स आदि बनाती हैं। पल्लवी और उसके परिवार वाले कोशिश करते हैं कि वे जैविक और शुद्ध चीज़ें खायें। वो किसी भी चीज को बनाने में केमिकल chemical का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वे यही कोशिश करते हैं कि उनके परिवार वाले घर की और घर की बनी हुई चीज़ों का प्रयोग करें। जिससे वे पर्यावरण और अपने परिवार को बचा सकें। वे बड़े बड़े मॉल से कुछ भी नहीं खरीदते हैं। वे पास की छोटी दुकानों से या फिर सीधे किसानों से ही सामान खरीदती हैं। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए वे लोग कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करते हैं न कि प्लास्टिक की थैलियों का और यदि कोई चीज प्लास्टिक के थैले में आ भी जाती है तो वे उनको रीसायकलर्स को दे देते हैं। वैसे प्लास्टिक की थैलियों पर रोक भी लग चुकी है पर इसके बावजूद भी लोग इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं जो कि पर्यावरण को बहुत अधिक हानि पहुंचाता है। यहाँ तक कि पल्लवी रीठा, शिकाकाई, आंवला आदि की मदद से शैम्पू भी घर पर ही बना लेती हैं। क्योंकि घर पर बनायी गयी चीज़ों से आपकी त्वचा को भी नुकसान नहीं होगा। तुलसी, गुलाब, एलोवेरा, नीम आदि के पत्तों से कॉस्मेटिक चीज़ें तैयार हो जाती हैं। सफाई के लिए पल्लवी साबुन, शैम्पू, डिशवाश, स्क्रबर और डिटर्जेंट भी खुद ही बनाती हैं। वह फल-सब्जियों के छिलके का भी प्रयोग कर पाउडर बनाती हैं। इस तरह पल्लवी रसायन मुक्त उत्पादों का इस्तेमाल करके सबको जागरूक कर रही हैं जिससे आने वाले समय में पर्यावरण के साथ-साथ इंसान का जीवन भी बचाया जा सके।
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