International Chess Day 2022: जानें इसका इतिहास और इससे जुड़े रोचक तथ्य
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दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस (International Chess Day) मनाया जा रहा है शतरंज का खेल हमेशा सिर्फ जीतने के लिए ही नहीं खेला जाता कभी-कभी इससे काफी कुछ सीखने को मिलता है । शतरंज के खेल में दिमाग की काफी कसरत हो जाती है । इस वजह से इसे ‘माइंड गेम (Mind Game)’ भी कहा जाता है शतरंज खेलने से आपके सोचने की क्षमता भी बढ़ती है । हर साल दुनिया भर में विश्व 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है। इस दिन को विश्वनाथ आनंद, रमेश बाबू ,प्रज्ञानंद, मैग्नस कार्लसन जैसे महान शतरंज खिलाड़ियों (Great chess players like Vishwanath Anand, Ramesh Babu, Pragyanand, Magnus Carlsen) के ऊपर ध्यान केंद्रित करने के लिए और समाज पर इसके सकारात्मक प्रभाव (Positive Effects) को हाईलाइट करने के लिए मनाया जाता है। शतरंज को अंग्रेजी में चेस कहा जाता है आपने भी कभी न कभी चेस जरूर खेला होगा, लेकिन क्या कभी ये जानने की कोशिश की कि आखिर शतरंज का इतिहास क्या है? आज ही के दिन 1924 में इंटरनेशनल चेस फेडरेशन (International Chess Federation) यानी FIDE की स्थापना हुई थी इसके बाद से ही इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस (Significance Of International Chess Day) के रूप में मनाया जाता है । आज अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं चेस की शुरुआत कैसे हुई थी।
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20 जुलाई को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह दिन 1924 में पेरिस में की गई अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (International Chess Federation-FIDE) की स्थापना को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन हम किसी को सिखाकर या खेल खेलना सीखकर इस दिन का पालन कर सकते हैं। इसके अलावा, हम 24 घंटे के मैराथन (Marathon) पर विचार कर सकते हैं या अपनी खुद की शतरंज रणनीति (Chess Strategy) के बारे में अपनी कहानी साझा कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस 2022 के इस साल की थीम International Chess Day 2022 theme "Women in Chess".'है ।
शतरंज क्या है? (What is Chess)
शतरंज दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला मनोरंजक खेल (Fun Game) है, जिसमें एक दूसरे के प्यादों को मात देने के लिए खिलाड़ी तरह-तरह की योजना बनाते हैं इस खेल को खेलने में खिलाड़ियों को काफी दिमाग खर्च करना पड़ता है, इसलिए शतरंज को दिमाग तेज करने वाला गेम कहा जाता है शतरंज एक सार्वभौमिक खेल (Universal Game) है जो निष्पक्षता, समावेशिता (Fairness, Inclusiveness) और दूसरों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करता है। इस संबंध में यह उल्लेखनीय है की यह सहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीय समझ के माहौल का समर्थन करता है। वैज्ञानिक सोच और कला के तत्वों के संयोजन (Combining Elements Of Art) के साथ शतरंज सबसे प्राचीन, बौद्धिक और सांस्कृतिक (Intellectual And Cultural) खेलों में से एक है।
किसने बनाया था यह खेल ?
बताया जाता है कि बौद्धिक मनोरंजन वाले इस खेल को चतुंरग (Chaturanga) नाम के एक बुद्धि-शिरोमणि ब्राह्मण (Intellect-Headed Brahmin) ने पांचवी-छठी सदी (5th-6th century) में बनाया था।
भारत में शतरंज (Chess In India)
शतरंज छठी शताब्दी के आसपास भारत से मध्य-पूर्व और यूरोप में फैला यहां यह जल्दी ही लोकप्रिय हो गया ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है कि शतरंज छठी शताब्दी से पहले आधुनुक खेल (Modern Sports) जैसे किसी खेल के रूप में था या नहीं रूस, चीन, भारत, मध्य एशिया, पाकिस्तान (Russia, China, India, Central Asia, Pakistan) और दूसरी जगहों पर पाये गए मोहरे जो इससे पुराने समय के बताए गए हैं, पहले के कुछ मिलते-जुलते बोर्ड वाले खेलों के माने जाते हैं जो कई पासों और कभी-कभी 100 या ज्यादा चौखानों वाले बोर्ड का प्रयोग करवाते थे।
आज ही के दिन हुई थी FIDE की स्थापना
आज ही के दिन 1924 में इंटरनेशनल चेस फेडरेशन (International Chess Federation) यानी FIDE की स्थापना हुई थी इसके बाद से ही इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस (Significance Of International Chess Day) के रूप में मनाया जाता है । इस दिन को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाने का विचार यूनेस्को (UNESCO) द्वारा प्रस्तावित किया गया था बता दें कि पहला आधुनिक शतरंज टूर्नामेंट 1851 में लंदन में आयोजित किया गया था और इसे जर्मनी के एडॉल्फ एंडरसन (Adolf Anderssen) ने जीता था।
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1861 में शामिल किया गया टाइमिंग सिस्टम Timing System
इस खेल में साल 1861 में टाइमिंग सिस्टम को शामिल किया वहीं, साल 1924 में फ्रांस में हुए 8वें समर ओलंपिक के दौरान इंटरनेशनल चेस फेडरेशन (World Chess Foundation) यानी FIDE की स्थापना की गई इसके बाद ही 20 जुलाई, 1966 को FIDE की स्थापना के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाने की शुरुआत की गई FIDE के पहले अध्यक्ष एक डच वकील ( Dutch lawyer) और राजनयिक (Diplomat) थे, जिनका नाम अलेक्जेंडर रुएब (Alexander Rueb) था।
शतरंज दिवस का महत्व क्या है (Significance of Chess Day)
शतरंज एक किफायती खेल है जो लोगों के बौद्धिक क्षमताओं (Intellectual Abilities) में विकास और सुधार करता है। यह दो खिलाड़ियों के बीच में समावेशित और सहिष्णुता, आपसी सम्मान और निष्पक्षता को प्रमोट करता है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में खेलने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका रखी गई है। इस बात का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट (United Nations Website) पर किया गया है। यह खेल वैज्ञानिक सोच और कला के तत्वों के संयोजन के साथ शतरंज सबसे प्राचीन बौद्धिक और सांस्कृतिक खेलों (Cultural Games) में से एक है। इसे एक किफायती और समावेशी गतिविधि (Inclusive Activity) के रूप में खेला जाता है, और इसके गुणों को कहीं भी प्रयोग किया जा सकता है। इस खेल को हर भाषा उम्र में शारीरिक क्षमता या सामाजिक स्थिति की बाधाओं के परवाह किए बिना सभी के द्वारा इस खेल को खेला जा सकता है।
इस दिन का इतिहास (History Of This Day)
12 दिसंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने विश्व शतरंज दिवस को मनाने के लिए मान्यता दी थी। 20 जुलाई को ही शतरंज दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 20 जुलाई के दिन 1924 में पेरिस में इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना हुई थी। FIDE के सदस्य के रूप में 150 से अधिक शतरंज यूनियन शामिल है और 1966 से ही विश्व शतरंज दिवस मनाया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि शतरंज खेल जिसे कभी चतुरंग के रूप में जाना जाता था लगभग 1500 साल पहले इस खेल की उत्पत्ति भारत में हुई थी। बाद में यह फ़्रांस में अपना रास्ता तय कर लिया जहां यह अरब शासन के बीच और अधिक विकसित हुआ। जिसके बाद यह दक्षिणी यूरोप (Southern Europe) में प्रचलित और लोकप्रिय हुआ। यूरोप में शतरंज ने अपने वर्तमान स्वरूप में 15 वी शताब्दी के बीच और अधिक डेवेलप हुआ और 15वीं शताब्दी के अंत तक शतरंज मॉडर्न खेल में बदल गया था।
भारत के शतरंज ग्रैंडमास्टर्स (Chess Grandmasters of India)
FIDE के अनुसार भारत में शतरंज के 67 ग्रैंडमास्टर हैं पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद Grandmaster Viswanathan Anand हैं भारत के सबसे रीसेंट ग्रैंडमास्टर लियोन मेंडोंका हैं भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर जीएम गुकेश डी 12 साल, 7 महीने और 17 दिन के हैं जून 2018 में उन्होंने प्रग्नानाधा (Pragnanadha) का स्थान लिया, जिन्होंने 12 साल और 10 महीने की उम्र में रिकॉर्ड बनाया था।
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