भारत में रंगोली के विभिन्न रूप
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घरों के बाहर डिज़ाइन की गई रंगोली की एक पहचान होती है। वह किसी ना किसी संस्कृति और परंपरा को अवश्य दर्शाती है, जिसका हम में से कई लोगों को पता नहीं होता। रंगोली की इन पारंपरिक कलाओं को ट्रेंडिंग रंगों और बदलते स्वाद के साथ जोड़कर, उन्हें और आकर्षक रूप दिया जा सकता है। इसके अलावा अपने घरों में कुछ पारंपरिक कला रूपों से सजाने के लिए यह रंगोली अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
त्योहारों के उत्सव को रोशन करने वाली रंगोली को सौभाग्य का अग्रदूत भी माना जाता है। इसे अल्पना के रूप में भी जाना जाता है, रंगोली पैटर्न फर्श पर रंगीन चावल, फूल, रंगीन रेत या पेंट का उपयोग करके बनाया जाता है।
रंगोली कला सौभाग्य का स्वागत करने का एक पारंपरिक रूप है और इसकी लोकप्रियता वर्षों से अप्रभावित रही है। त्योहारों के दौरान रंगोली प्रतियोगिताएं सबसे लोकप्रिय गतिविधियों में से एक हैं। रंगोली रंगों का आध्यात्मिक वितरण है और इस प्रकार इसे सौभाग्य का अग्रदूत माना जाता है।
अधिकांश रंगोली डिजाइन एक यिन और यांग प्रतीक या स्वस्तिक की तरह समरूपता बनाए रखते हैं। और, दुनिया भर में, सभी धर्मों में, सममित डिजाइनों को समृद्धि, भाग्य और विकास का प्रतीक माना जाता है।
भारतीय कई भाषाओं की भूमि है और इसलिए इस कला के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नाम हैं। आज के इस विशेष ब्लॉग में हम भारत में रंगोली के विभिन्न रूपों Different Forms of Rangoli in India से परिचित होंगे। और जानेगे की कितना रंगबिरंगा है भारतीय रंगोली का स्वरुप।
भारत में प्रत्येक त्योहार से कुछ मान्यताएं जुड़ी होती हैं। लोग उन पुरानी परंपराओं को जीवित रखने के लिए अनेक तरह के अनुष्ठानों को अपनाते हैं। जिनमें उत्सव और त्योहारों में रंगोली बनाना उनमें से एक है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की रंगोलियां बनाई जाती हैं। प्रत्येक रंगोली की अपनी एक शैली होती है।
हर क्षेत्र में इन रंगोलियां को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में मंदाना, तमिलनाडु में कोलम, उत्तर प्रदेश में चौक पुराण, उत्तराखंड में ऐपन, बिहार में अरिपन आदि भारत के विभिन्न हिस्सों की प्रसिद्ध रंगोलियां हैं। इन विभिन्न रंगोलियों को बनाने की विधि भिन्न होती है और यह एक निश्चित नियम के अनुसार बनाई जाती है। यह पारंपरिक कला traditional art रूप घरों को आकर्षक बनाती हैं।
भारत में रंगोली के विभिन्न रूप Different Forms of Rangoli in India
घरों में रंगोली की परंपरा Rangoli tradition in homes
भारत "अनेकता में एकता" के लिए जाना जाता है। यहां विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार की संस्कृति और परंपरा का पालन किया जाता है और यही भारत को अद्वितीय देश बनाता है। भारत में शुभ संकेतों के साधन के रूप में अनेक प्रकार की परंपराओं का पालन किया जाता है। घर में सुख-समृद्धि और शुभता लाने के लिए कई चीज़ों को घर लाया जाता है और विभिन्न अनुष्ठानों का पालन किया जाता है, जैसे घर में तुलसी का पौधा लगाना, दिवाली पर दिए जलाना आदि। उन परंपराओं में से एक है रंगोली बनाना।
रंगोली एक लोक कला Rangoli a folk art है जो घर के दरवाजे के सामने फर्श पर, आंगन में, मंदिर के सामने बनाई जाती हैं। विभिन्न अवसरों व समारोह जैसे दिवाली, विवाह, पूजा इत्यादि पर रंगोली बनाई जाती है। रंगोली बनाना घर और परिवार के लिए शुभ और भाग्यशाली माना जाता है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग पैटर्न में बनाई जाती हैं। प्रत्येक त्योहार और अवसरों पर यह एक अलग महत्व रखते हैं। देश के हर कोने में रंगोली अलग-अलग शैलियों rangoli different styles और तकनीकों के साथ बनाई जाती हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बनाई जाने वाली रंगोली के कई प्रकार होते हैं।
भारत के अलग अलग राज्यों की रंगोली Rangoli of different states of India
1. मंदाना - राजस्थान और मध्य प्रदेश
मंदाना एक आदिवासी कला के रूप में राजस्थान और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में बहुत ही प्रसिद्ध मानी जाती है। फर्श और दीवारों पर बनाए जाने वाले चित्रों को वहां के समुदायों द्वारा रंगोली के रूप में अपनाया जाता है। यह आदिवासी कला बहुत ही प्राचीन है। इस कला के आधार को मिट्टी, गाय के गोबर, पानी, लाल रंग और गेरू की सहायता से बनाया जाता है। आधार पूरा करने के बाद फर्श पर चॉक पाउडर के साथ डिजाइन बनाया जाता है।
दिवाली पर रंगोली को एक पारंपरिक रूप देने और कुछ अलग संस्कृति को जानने के लिए मंदाना एक अच्छा रास्ता होता है।
2. चौक पुराण - उत्तर प्रदेश
चौक पुराण उत्तर प्रदेश की प्राचीन पारंपरिक कला है। इसे सममित (symmetrical) रंगोली के नाम से भी जाना जाता है। बिंदीदार आधार के साथ बनाई जाने वाली यह रंगोली बहुत ही खूबसूरत दिखाई पड़ती है। इसे बनाने की विधि सरल के साथ-साथ जटिल भी होती है। सफेद आधार और समान दूरी पर डिजाइन बनाकर, अंत में रिक्त जगहों को सुंदर रंगों से इसे आकर्षित रूप दिया जाता है।
3. अल्पना - बंगाल
पश्चिम बंगाल की एक पवित्र कला अल्पना के नाम से जानी जाती है। इस कला को चावल के पाउडर से बने तरल पेस्ट के साथ गहरे रंग की पृष्ठभूमि पर बनाया जाता है। यह मुख्य रूप से सफेद रंग से ही बनाई जाती है, लेकिन कभी-कभी कुछ हरे और लाल रंगों को भी इसमें जोड़ा जाता है। आजकल इस कला ने एक नया रूप ले लिया है, जिसमें रंगोली को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए गोंद के साथ कुछ कपड़े के रंगों का उपयोग किया जाता है। अपने घरों को दिवाली में एक नये रूप से सजाने के लिए अल्पना एक आदर्श विकल्प है।
4. मुरुजा/ झोती - ओडिशा
मुरुजा ओडिशा की एक पारंपरिक कला है, जो मुख्य रूप से घर के पवित्र तुलसी के पौधे के आसपास बनाई जाती है। इस कला के पैटर्न ज्यादातर मोर, भगवान कृष्ण और भगवान जगन्नाथ को समर्पित होते हैं। इस कला को आकर्षित बनाने का कोई विशेष तरीका नहीं होता। लेकिन रंगों का चुनाव करना इसमें एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. कोलम - तमिलनाडु
कोलम तमिलनाडु की पारंपरिक कला रूप है, जो इसके रूप में रचनात्मकता को प्रदर्शित करता है। कोलम में आमतौर पर फूलों की आकृतियों और सफेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है। कोलम पूरी तरह से फ्रीस्टाइल कला को दर्शाता है, क्योंकि इसे बनाने में कोई भी नियम नहीं होते। इसलिए यह फर्श पर अपनी कला और प्रतिभा दिखाने की अनुमति देता है।
घरों के बाहर डिज़ाइन की गई रंगोली की एक पहचान होती है। वह किसी ना किसी संस्कृति और परंपरा को अवश्य दर्शाती है, जिसका हम में से कई लोगों को पता नहीं होता। रंगोली की इन पारंपरिक कलाओं को ट्रेंडिंग रंगों और बदलते स्वाद के साथ जोड़कर, उन्हें और आकर्षक रूप दिया जा सकता है। इसके अलावा अपने घरों में कुछ पारंपरिक कला रूपों से सजाने के लिए यह रंगोली अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
6. अरिपन रंगोली – बिहार Aripan Rangoli-Bihar
रंगोली एक लोक-कला है और भारतीय संस्कृति को दर्शाती है। अरिपन बिहार की लोक चित्र कला है। दरअसल आंगन में जो चित्रकारी की जाती है उसे ‘अरिपन’ कहा जाता है। अरिपान मिथिला कला का एक प्रकार है जो बिहार के मिथिला क्षेत्र में उत्पन्न हुई, विशेषकर मधुबनी गांव में। यही वजह है कि किसी भी उत्सव के दौरान मिथिला में आंगन और दीवारों पर चित्रकारी बनाने की पुरानी प्रथा है। अलग-अलग उत्सव के लिए अलग अलग प्रकार के अरिपन बनाए जाते हैं।
चलिए जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है। इस रंगोली को बनाने से पहले चावलों को भिगोया जाता है। फिर भिगोए हुए चावल को अच्छी तरह से पीसा जाता है फिर उसमें पानी मिलाकर गाड़ा घोल तैयार कर लिया जाता है और इसे ‘पिठार’ कहा जाता है। फिर जहां पर रंगोली बनाई जाती है उस जगह दिवार या आंगन को गोबर से लीपा जाता है और इसके बाद महिलाएं पठार से अपनी उँगलियों के द्वारा चित्र बनाती हैं इसी को अरिपन कहा जाता है।
7. मुग्गु रंगोली – आंध्र प्रदेश Muggu Rangoli – Andhra Pradesh
रंगोली कैसी भी हो वह घर की सुंदरता को और बढ़ा देती है। आंध्र प्रदेश में जो रंगोली की जाती है उसे मुग्गु कहते हैं। इस रंगोली को बनाने के लिए महिलाएं गोबर से घर को लीपती हैं और इकसार कर लेती हैं। इस तरह इस कला का डिजाईन उभर कर आता है। इसको चाक और कैल्शियम के पाउडर को मिलाकर बनाया जाता है। फिर गीली ज़मीन पर जब इस पाउडर से डिज़ाइन बनाया जाता है तो यह उस पर चिपक जाता है और इस तरह बहुत सुंदर उभर कर आता है। यह बहुत ही सुंदर नजर आता है।
8. चोक पुरना - उत्तर भारत Chowk Purna - North India
यह उत्तर भारत में लोगों के द्वारा अपने घरो में बनाया जाता है। चोक पुरन का मतलब होता है कि घर का वो खाली हिस्सा जिसमे पूरे घर को जोड़ा गया हो और वहीं पुरन का मतलब होता है उसे सजाना। इस तरह इसका मतलब होता है घर में किसी भी मांगलिक कार्य में घर के मध्य भाग को सजाना। चाहे फिर किसी बच्चे का जन्म हो विवाह जैसा शुभ कार्य हो यानि हर तीज त्यौहार में चौक पुरा जाता है और उसे बनाते समय महिलायें गीत गाती हैं।
9. ऐपण रंगोली – उत्तराखंड Aipan Rangoli – Uttarakhand
आज कल विभिन्न तरह की रंगोली बनायी जाती है। रंगोली की बात हो तो उत्तराखंड की रंगोली का जिक्र भी जरूर होगा। ऐपण कुमाऊं में होने वाली रंगोली के पारंपरिक रूपों में से एक है और उत्तराखंड राज्य में प्रचलित है। मुख्य रूप से यह रंगोली दिपावली के समय में हर घर के बाहर आपको सजी हुई मिल जाएगी। बच्चे हो या बड़े सब आपको अपना घर-आँगन सजाते हुए मिल जायेंगे। दरअसल यह पूजा के स्थानों और घरों के प्रवेश द्वार पर फर्श और दीवारों को सजाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाने वाली सजावटी कला है। यह कला एक सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ जुड़ी हुई है। कुमाइयों की यह कला, हिंदू देवताओं के प्रत्येक देवता का एक विशेष प्रतीक है। रंगोली हमारी हिन्दी सभ्यता का अभिन्न अंग है चाहे कोई भी पूजा हो या कोई भी शुभ कार्य रंगोली बड़े प्यार से बनायी जाती है।
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रंगोली कैसे बनायी जाती है How to Draw Rangoli
रंगोली निम्न प्रकार से बनायी जाती है-
मुक्त हस्त रंगोली Free hand Rangoli– इसमें किसी भी आकृति को बनाया जा सकता है, फिर चाहे वो फूल पट्टी या कोई भी आकृति। आज कल बड़े ही सुंदर चित्रों की रंगोलिया बनायी जाती हैं।
स्टीकर रंगोली Sticker Rangoli – आजकल मार्केट में बने बनाये रंगोली स्टीकर भी मिलते हैं जिसमें हमें कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती और इसे हम सीधे जमीन पर चिपका सकते हैं।
बिंदी वाली रंगोली Dotted Rangoli-- कोलम इसका ही एक प्रकार है। इसमें कुछ सीमित बिन्दुओ को अंकित किया जाता है और फिर उन पर आकृति बनायी जाती है।
इको-फ्रेंडली रंगोली Eco-friendly rangoli- देखा जाये तो आजकल इको फ्रेंडली रंगोली भी बनाने का काफी चलन है इसमें हम मुख्य रूप से फूलो का प्रयोग करते हैं और इन फूलों को फेंकने के बजाय खाद बनाने डाल देते हैं जिससे नए फूल उग सके।
रंगोली का महत्व Importance of Rangoli
चाहे कोई भी पूजा हो या कोई भी शुभ कार्य रंगोली बड़े प्यार से बनायी जाती है। जबकि हम सब जानते हैं कि रंगोली बनाने के अगले दिन वह धुल जाएगी या खराब हो जाएगी लेकिन फिर भी हम सब उसको बड़े प्यार और ख़ुशी से बनाते हैं। क्योंकि रंगोली हमारी हिन्दी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रंगोली बनाने के पहले जमीन को गाय के गोबर से लीपा जाता है, जिससे मच्छर, कीड़े मकोड़े घर में नहीं आते।
ऐसा माना जाता है कि जिस घर और शहर में सुंदर चित्र, रंग रंगोली बनीं हो वहाँ हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
रंगोली को बनाने के लिए हम अपने उंगलियों का प्रयोग करते है जिससे हमारे शरीर के एक्यू प्रेशर बिंदु एक्टिव हो जाते हैं।
रंगोली बनाने से हमारा व्यायाम भी हो जाता है।
रंगों के प्रभाव हमारे जीवन को प्रभावित करते है और हमे उर्जावान बनाते हैं।
इको फ्रेंडली रंगोली Eco friendly rangoli जो कि फूलों से बनती है और इन फूलों को हम खाद बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
रंगोली में खाद्य पदार्थ जैसे-गेहूँ का आटा या चावल का आटा इनका इस्तेमाल करने के कारण अनजाने में ही सही पर हम छोटे छोटे जीव जन्तुओ को खाना भी दे देते हैं।
जब हम रंगोली बनाते हैं तो हमारे अंदर इससे एक पॉजिटिव एनर्जी आती है।
त्यौहार पर अलग अलग प्रकार की रंगोली बनाने से घर की शोभा बढ़ती है और घर सुंदर नजर आता है।
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