Good Friday और इसका History क्या है?
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जो लोग ईसाई धर्म को मानते हैं, उनके लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व है क्योंकि आज के दिन वे लोग भगवान यीशु को याद करते हैं। यीशु ने मानव जाति के कल्याण के लिए अपने जीवन को बलिदान कर दिया था और इसी बलिदान के महत्व को जीवित रखने के लिए और प्रेम, भाव, दया, करुणा, शांति और भाईचारे जैसी अच्छाइयों को आत्मसात करने के लिए गुड फ्राइडे को मनाया जाता है। ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण कुर्बान कर दिए आप कह सकते हैं कि इस दिन को कुर्बानी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में अलग-अलग धर्म के लोग मिल जुलकर प्रेम भाव से रहते हैं और हर त्योहार festival मनाते हैं। यहां दीवाली Diwali से लेकर ईद Eid और क्रिसमस Christmas से लेकर बैसाखी Baishakhi तक हर त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। अप्रैल महीने में ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे Good Friday मनाने की परंपरा है।
जैसा की इसके नाम से लगता है कि इस दिन को किसी जश्न के तरीके से मनाया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। इस दिन को एक शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है क्योंकि यहूदी शासकों ने जब ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी थी और उन्हें सूली पर चढ़ाया था, उस दिन शुक्रवार था। ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण कुर्बान कर दिए इसीलिए ईसाई धर्म के लोग इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाते हैं। आप कह सकते हैं कि इस दिन को कुर्बानी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्या है गुड फ्राइडे का इतिहास? History of Good friday
बात करीब 2003 साल पहले की है जब ईसा मसीह यरुशलम Jerusalem में रहते थे और मानव जाति के कल्याण के लिए एकता, शांति और भाईचारे peace, unity and brotherhood का उपदेश दिया करते थे। इस वजह से लोगों ने उन्हें परमपिता परमेश्वर का दूत मानना शुरू कर दिया था। लोगों पर उनके उपदेश का गहरा असर होता था और लोग उन्हें ईश्वर God मानने लगे। जो झूठे और पाखंडी धर्म गुरु थे उन्होंने ईसा मसीह के खिलाफ यहूदी शासकों के कान भरने शुरू किए और उन्हें ये कहा कि ईसा मसीह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और उन्हें मृत्युदंड का आदेश सुनाया गया। उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया। एक क्रूस पर उनको कीलों की मदद से लटकाया गया और उन्हें बेरहमी से मारा गया।
क्या थे ईसा मसीह के आखिरी शब्द? Sayings of Jesus on the cross
ऐसा कहा जाता है कि जब उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया था और सूली पर लटकाया गया था, तब भी उनके मुंह से सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले थे। अपनी मृत्यु के पूर्व वह कह रहे थे कि 'हे ईश्वर इन्हें क्षमा कर दीजिए क्योंकि इन्हें नहीं पता ये क्या कर रहे हैं, ये अंजान हैं…'।
क्या हुआ था आखिरी वक्त?
ईसाई धर्म के पवित्र गंथ्र बाइबल Bible में यीशू को सूली पर चढ़ाए जाने वाली घटना को विस्तृत रूप से बताया गया है। उन्हें पूरे 6 घंटे के लिए सूली पर लटकाया गया था और आखिरी के 3 घंटो में हर तरफ अंधेरा छा गया था। कहते हैं कि जब यीशु के प्राण निकले तो हर तरफ एक जलजला सा आ गया। कब्रों की कपाटें अपने आप टूटकर खुल गईं और दिन के वक्त अंधेरा हो गया। यही कारण है कि गुड फ्राइडे के दिन दोपहर में करीब 3 बजे हर चर्च में प्रार्थना सभाएं होती हैं लेकिन कोई समारोह नहीं होता है।
जिस दिन यीशु ने अपने प्राण त्यागे उस दिन उनके अनुयायी बेहद दुखी और निराश हो गए और इसीलिए उस शुक्रवार से गुड फ्राइडे मनाया जाना लगा लेकिन इसके ठीक 3 दिन बाद रविवार को जब वह दोबारा जीवित हो उठे तो इसकी खुशी में ईसाई धर्म में ईस्टर का त्योहार मनाया जाने लगा, जिसे ईस्टर संडे Easter Sunday के नाम से जाना जाता है। गुड फ्राइडे को ग्रेट फ्राइडे Great Friday, ब्लैक फ्राइडे Black Friday और होली फ्राइडे Holy Friday के नाम से भी जाना जाता है।
बैड फ्राइडे कैसे बन गया गुड फ्राइडे?
पूर्व से ही माना जाता है कि होली फ्राइडे या गुड फ्राइडे एक ऐसा दिन है जब भगवान यीशु ने धरती पर बढ़ रहे पापों की वजह से स्वयं के प्राण त्याग दिए थे और ऐसा करके उन्होंने निःस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का एक उदाहरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने उस दिन कई उत्पीड़न और यातनाओं को सहते हुए मानवता के लिए अपने प्राण त्याग थे, इसीलिए आज भी कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि जब आज के दिन भगवान यीशु को इतना कष्ट दिया गया था और इसी वजह से उनकी मृत्यु भी हुई थी तो इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में क्यों मनाया जाता है क्योंकि गुड का मतलब तो अच्छा होता है और उस दिन तो यीशु के साथ सिर्फ गलत हुआ था क्योंकि निर्दोष होने के बावजूद भी उन्हें मारने का दंड दिया गया था।
बाल्टिमोर कैटेशिज्म Baltimore Catechism के अनुसार इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में इसीलिए मनाते हैं क्योंकि ईसा मसीह ने अपनी मृत्यु के 3 दिन बाद पुन: जीवन धारण किया था और यह संदेश दिया था कि हे मानव, मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं और तुम्हारी भलाई करना ही मेरा उद्देश्य है। यहां पर गुड फ्राइडे में जो गुड का इस्तेमाल किया गया है उसका मतलब होली Holy यानी पवित्र से है, इसीलिए इस दिन को होली फ्राइडे Holy Friday भी कहते हैं।
इस दिन क्या किया जाता है?
ईसाई धर्म को मानने वाले अनुयायी गुड फ्राइडे के दिन चर्च में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। इस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता है, उसकी जगह लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है। भगवान ईसा मसीह के प्रतीक क्रॉस cross को लोग चूमकर भगवान यीशु को याद करते हैं। आज के दिन दुनिया भर के चर्च में सामाजिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए लोग दान करते हैं।
गुड फ्राइडे के बारे में कुछ खास बातें
- गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले से ही ईसाई समुदाय के लोग व्रत और प्राथना करना शुरू कर देते हैं क्योंकि प्रभु यीशु ने मानव सेवा प्रारंभ करने से पहले 40 दिनों का उपवास किया था। लोगों का कहना है कि शायद इसी वजह से गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले व्रत और प्रार्थना की परंपरा की शुरुआत हुई थी।
- गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग चर्च जाते हैं और प्रभु यीशु को याद करके शोक मनाते हैं।
- चर्च में प्रार्थना का वक्त दोपहर 12 से 3 इसीलिए होता है क्योंकि इस समय यीशु को क्रॉस पर चढ़ाया गया था।
निष्कर्ष
जो लोग ईसाई धर्म को मानते हैं, उनके लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व है क्योंकि आज के दिन वे लोग भगवान यीशु को याद करते हैं। यीशु ने मानव जाति के कल्याण के लिए अपने जीवन को बलिदान कर दिया था और इसी बलिदान के महत्व को जीवित रखने के लिए और प्रेम, भाव, दया, करुणा, शांति और भाईचारे जैसी अच्छाइयों को आत्मसात करने के लिए गुड फ्राइडे को मनाया जाता है। यह एक भावनात्मक पर्व है, जो हर इंसान को संगठित और सुशिक्षित रहने का भी ज्ञान देता है।
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