बाज़ारों का वैश्वीकरण
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पिछले कुछ दशकों के दौरान वैश्वीकरण व्यावसायिक जीवन का मुख्य कारक बन गया है। यह अर्थव्यवस्था, व्यावसायिक जीवन, समाज और पर्यावरण को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती है। यह देश के विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन्हीं तथ्यों ने बाजारों के वैश्वीकरण को जन्म दिया है।
वैश्वीकरण globalization, एक ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा विचार, ज्ञान, सूचना, सामान और सेवाएं दुनिया भर में फैलाई जाती हैं। वैश्वीकरण दुनिया से तेजी से परस्पर जुड़े होने के बारे में बताता है। आज हम ऐसे कई कारकों को देखते हैं जिसके द्वारा कई देश आपस में जुड़े रहते हैं। हवाई यात्रा, समुद्री नौवहन sea shipping, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते international trade agreements, इंटरनेट सेवाएं इनका जीता जागता उदाहरण हैं। आज उत्पाद और सेवाएं राष्ट्रीय सीमाओं के पार पहले से कहीं अधिक तेजी से प्रवाहित होती हैं। पिछले कुछ दशकों के दौरान वैश्वीकरण व्यावसायिक जीवन का मुख्य कारक बन गया है। यह अर्थव्यवस्था, व्यावसायिक जीवन, समाज और पर्यावरण को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती है। यह देश के विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन्हीं तथ्यों ने बाजारों के वैश्वीकरण को जन्म दिया है।
बाजारों के वैश्वीकरण का प्रभाव effect of globalization
एक समय था जब लोगों की पहुँच सिर्फ उन उत्पादों तक थी जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होते थे लेकिन वैश्वीकरण के कारण आज व्यक्ति की पहुंच प्रत्येक उत्पादों तक हो गई है। एक वैश्विक बाजार किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों geographical areas तक सीमित नहीं है बल्कि यह तो दुनिया में कहीं भी अच्छी सेवाओं और उत्पादों का आदान प्रदान करता है। इंटरनेट के उदय के साथ यह चीजें और आसान हो गई हैं। बाजारों के वैश्वीकरण का सीधा अर्थ है, खुली प्रतिस्पर्द्धा में वैश्विक बाजार में उत्पादों और सेवाओं के उत्पादन और बिक्री करने की क्षमता। दुनिया भर में प्रत्येक उत्पाद के संबंध में प्रतिस्पर्धा मौजूद है। बाजारों के वैश्वीकरण ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा international competition में काफी वृद्धि की है। वैश्वीकरण के चलते विभिन्न फर्मों को विदेशी बाजारों में मानव, तकनीकी, भौतिक संसाधनों के प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वैश्वीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह विकासशील राष्ट्रों को नए रोजगार पैदा करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा यह देशों को उन संसाधनों से भी से परिपूर्ण करता है जो उनके पास मौजूद नहीं होते। इनके अभाव में कई आधुनिक विलासिता का निर्माण और उत्पादन असंभव हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर- स्मार्टफोन बनाने में ऐसे कई दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का उपयोग किया जाता है जो कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित होती हैं। वैश्वीकरण के कारण प्रत्येक राष्ट्र उन संसाधनों तक अपनी पहुंच रखता है।
वैश्वीकरण के नुकसान
हालांकि एक ओर देखा जाए तो वैश्वीकरण राष्ट्रों के विकास के लिए वरदान साबित होता है, लेकिन दूसरी ओर इसके कारण कई नुकसान भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि वैश्वीकरण से गरीबों की तुलना में अमीरों को अधिक फायदा होता है। गरीब वर्ग इससे काफी प्रभावित होता है। वैश्वीकरण रोग हस्तांतरण disease transfer को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा वैश्वीकरण के कारण पर्यावरण को भी भारी नुकसान झेलना पड़ता है। संसाधन की अधिक मांग के कारण पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ अधिक होती है। आर्थिक विशेषज्ञता और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण वनों की कटाई की जाती है जो एक चिंता का विषय है।
बहरहाल बढ़ते हुआ वैश्वीकरण के साथ आर्थिक विकास तेजी से होता है। वैश्वीकरण का मुद्दा काफी व्यापक है। वैश्वीकरण ने बखूबी सिद्ध किया है कि दुनिया छोटी होती जा रही है।
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