क्या हैं भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं ? Fundamental Features of Indian Economy in Hindi

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क्या हैं भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं ? Fundamental Features of Indian Economy in Hindi
19 Apr 2024
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भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy वर्तमान में विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के समय एक 'तीसरी-दुनिया' देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

लेकिन पिछले सात दशकों में, इसका सकल घरेलू उत्पाद सिर्फ 2.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 150 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

भारत का वर्तमान जीडीपी (Gross Domestic Product) 3.18 लाख करोड़ डॉलर है। भारत को वर्तमान में एक विकासशील राष्ट्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy एक विकासशील अर्थव्यवस्था Developing Economy है, जो निरंतर अपनी गति से चलायमान है। आज के समय में विश्व भर में राष्ट्रों के बीच बढ़ते हुये आर्थिक अंतर economic gap के बीच विकास के प्रयत्नों की आवश्यकता को और अधिक आवश्यक बना दिया है।

किसी भी अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास economic growth का तात्पर्य एक नये दृष्टिकोण से गरीबी, असमानता और बेरोजगारी Poverty, inequality and unemployment को कम करने एवं जनकल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करना है।

विकासशील देशों में भारत सबसे तेज गति से विकास कर रहा है। भारत अन्य देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन US, UK, Russia, China देशों के समान बढ़ रहा है। आज हम इस आर्टिकल में भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता के बारे में बात करेंगे जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है।

भारत India की बात करें तो क्षेत्रफल की दृष्टि से यह संसार का सातवां तथा जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश का कुल क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है जो विश्व की कुल भूमि का 2.4 प्रतिशत है। इसकी भू-सीमा 15200 किलोमीटर व तटीय सीमा 7517.6 किलोमीटर है।

यह तीन ओर से समुद्री सीमाओं से तथा एक ओर से हिमालय की पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है, इस कारण भारत को उपमहाद्वीप (subcontinent) कहा जाता है। इस देश में अनेक प्रकार की भूमि, खनिज पदार्थ, जलवायु, वनस्पतियां, कृषि उत्पादन land, minerals, climate, vegetation, agricultural production तथा पर्याप्त मात्रा में जल संसाधनों water resources की उपलब्धता है। 

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से देश में कई क्रांतिकारी परिवर्तन radical change हुये है, नये-नये उद्योग new industries स्थापित हुए है, जो कि विकास के क्षेत्र में गतिशील हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy में सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि को शामिल करने हेतु औद्योगिक विकास, बैकिंग सुविधाएं, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, बचत एवं पूँजी-निर्माण में वृद्धि Industrial development, banking facilities, increase in per capita income, increase in savings and capital formation व नवीन उद्योगों की स्थापना, आदि कार्य सम्पन्न हुए हैं। 

भारतीय अर्थव्यवस्था विशाल अर्थव्यवस्था huge economy है, जो विश्व के उत्तरी गोलार्ध northern hemisphere में 8.4′ डिग्री से 37.6 अक्षांश तथा 68.17′ डिग्री से 97.2 पूर्वी देशांतर के बीच में फैली हुई है, ओखा से अरुणाचल तथा कश्मीर से कन्याकुमारी तक। 

भारतीय अर्थव्यवस्था की खास बातें Fundamental Features of The Indian Economy

1. चूंकि स्वतंत्रता के बाद भारत एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था को रोजगार और राजस्व प्रदान करने के लिए जिम्मेदार थे।

2. वैश्विक निर्यात और आयात में भारत की हिस्सेदारी 2000 में क्रमशः 0.7% और 0.8% से बढ़कर 2012 में डब्ल्यूटीओ के अनुमानों के अनुसार 2012 में 1.7% और 2.5% हो गई।

3. भारतीय अर्थव्यवस्था अवलोकन सोवियत संघ की स्वतंत्रता के बाद के प्रथाओं से बहुत प्रेरित था। इस स्थिर वृद्धि को कई अर्थशास्त्रियों द्वारा 'हिंदू विकास दर' कहा गया था।

4. 1992 में, देश ने उदारीकरण शासन में प्रवेश किया। इसके बाद, अर्थव्यवस्था ने ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। विकास में इस नई प्रवृत्ति को 'न्यू हिंदू विकास दर' कहा जाता था।

5. भारत की विविध अर्थव्यवस्था में पारंपरिक गाँव की खेती, आधुनिक कृषि, हस्तशिल्प, आधुनिक उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला और सेवाओं की भीड़ शामिल है।

6. सेवाएं आर्थिक विकास का प्रमुख स्रोत हैं, भारत के आधे से अधिक उत्पादन के लिए लेखांकन इसके श्रम बल के एक तिहाई से भी कम है।

वर्तमान विश्लेषण Current Analysis

1. वर्तमान जीडीपी कारक लागत (2004-05 की कीमतों पर) रु 5748564 करोड़ (2013-14) है। 

2. प्रति व्यक्ति आय ने बीते वर्ष की तुलना में 15.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह क्रमशः 2020-21 और 2021-22 के लिए 1,27,065 और 1,48,524 रुपये और 2021-22 के लिए अनुमानित था। इसका मतलब यह है कि प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि हुई है।

3. 2020-21 के दौरान सकल बचत में गैर-वित्तीय निगमों, वित्तीय निगमों, जनरल गवर्मेंट और घरेलू क्षेत्रों की हिस्सेदारी क्रमशः 35.6 प्रतिशत, 10.0 प्रतिशत, (-)24.1 प्रतिशत और 78.5 प्रतिशत है। जीएनडीआई के लिए सकल बचत की दर वर्ष 2019-20 के लिए 29.4 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 के लिए 27.8 प्रतिशत का अनुमान है।

4. तृतीयक क्षेत्र भारत के जीडीपी (50 %से अधिक) में अधिक योगदान देता है। जैसा कि तृतीयक क्षेत्र सभी वर्तमान फर्मों और अंतिम उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करता है, तृतीयक क्षेत्र को अक्सर सेवा उद्योग के रूप में जाना जाता है।

5. 2022-23 के लिए अग्रिम अनुमानों के अनुसार, देश में कुल खाद्य उत्पादन रिकॉर्ड 3235.54 लाख टन का अनुमान है जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 LMT से अधिक है।

6. भारत का लक्ष्य वैश्विक व्यापार में अपने निर्यात का हिस्सा 2027 तक 3% और 2047 तक मौजूदा 2.1% से 10% तक बढ़ाना है, जो सौ भारतीय ब्रांडों को वैश्विक चैंपियन के रूप में बढ़ावा देता है।

7. कुल विश्व आयात में भारत का हिस्सा 2.5%है।

8. भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार ने 8 सितंबर 2021 को हर समय 642.453 बिलियन डॉलर का उच्च स्तर छू लिया। 3 फरवरी 2023 तक भंडार  575.3 बिलियन डॉलर हो गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं Characteristics of Indian Economy

  • नियोजित अर्थव्यवस्था Planned Economy

भारत में विकास (development in india) के लिये नियोजन की नीति अपनायी गयी हैं। यह नियोजन (planning) 1 अप्रैल 1951 से चालू किया गया है। अब तक बहुत सी विकास योजनाओं (development plans) को क्रियान्वित किया गया हैं, जिससे देश का विकास हुआ है। 

  • सार्वजनिक क्षेत्र के विकास हेतु कार्य Development of public sector

यहाँ पर सार्वजनिक क्षेत्रों का विकास development of public sector भी लगातार हो रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत लोहा एवं इस्पात उद्योग, सीमेन्ट उद्योग, रसायन उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, कोयला उद्योग व अनेक उपभोक्ता उद्योग शामिल हैं। 

  • बैंकिंग सुविधाओं का विकास Development of banking facilities

यहाँ पर बैंकिंग सुविधाओं    का बराबर विकास हो रहा है। जून 1969 में भारत में व्यापारिक बैंकों की 8262 शाखाएँ (branches) थी, लेकिन जून 2007 के अंत में इन शाखाओं की संख्या 72,165 हो गई है। 

  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि increase in per capita income

भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद व्यक्ति के आय लगातार बढ़ रही है। वर्तमान की कीमतों के आधार पर यह 1999-2000 में 15,881 रुपये से बढ़कर 2006-2007 में 29642 रुपये हो गयी है। और 2016-17 में यह 1,03,870 रुपये थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ( National Statistical Office) के अनुसार 2022-23 के लिए मौजूदा कीमतों पर अनुमानित वार्षिक प्रति व्यक्ति (शुद्ध राष्ट्रीय आय) 1,72,000 रुपये है। यह 2014-15 में 86,647 रुपये से लगभग 99 प्रतिशत की वृद्धि है।

  • बचत एवं पूंजी निर्माण दरों में वृद्धि Increase in savings and capital formation rates

बचतों व पूंजी निर्माण की दरों में भी वृद्धि हो रही है, साल 1950-51 में बचते सफल घरेलू आय का 8.6 प्रतिषत थी, जबकि 06-07 में 34.8 हो गयी और यह वर्तमान समय में भी यह लगातार बढ़ रही है। 

  • सामाजिक सेवाओं का विस्तार extension of social services

भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य education, health जैसी सामाजिक सेवाओं का विकास हुआ है। शोध एवं तकनीकी शिक्षा (research and technical education) में प्रगति हुई। इसके साथ ही साक्षरता का स्तर भी बढ़ा है। व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रौद्योगिकीय शिक्षा Vocational Education & Technological Education के विद्यालयों में महाविद्यालयों की संख्या बढ़ी हैं। 

  • सामाजिक परिवर्तन (social change)-

देश में हो रहे विकास के फलस्वरूप यहाँ सामाजिक परिवर्तन social change की गति तेज हुई हैं। रूढि़वादिता, जाति-प्रथा, बाल-विवाह तथा छुआ-छूत (orthodoxy, caste-system, child-marriage and untouchability) जैसी बुराइया कम हुई हैं।

सामाजिक राजनैतिकता (social politics) तथा आर्थिक क्रियाकलापों में महिलाओं की सहभागिता women's participation बढ़ी हैं। इसके साथ ही महिलाओं में शिक्षा एवं ज्ञान का स्तर बढ़ा हैं। 

  • बाजार तंत्र market mechanism

भारतीय अर्थव्यवस्था में एक मजबूत व्यापार तंत्र strong trading system का विकास हुआ है। यहाँ वस्तुओं के साथ-साथ श्रम एवं पूंजी (labor and capital) के संगठित बाजार हैं। इसके अलावा, वस्तु बाजार अधिकांश वस्तुओं की कीमतें, उनकी माँग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। अनिवार्य वस्तुओं के अभाव में उनका वितरण उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से किया जाता हैं। कृषकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये भारत सरकार Indian Government द्वारा अनेक उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता हैं।

  • गरीबी एवं बेरोजगारी दूर करने के उपाय Measures to remove poverty and unemployment

देश में गरीबी एवं बेरोजगारी poverty and unemployment दूर करने के लिये विशिष्ट कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जैेसे ग्रामीण रोजगार गारण्टी कार्यक्रम Rural Employment Guarantee Program समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम आदि। 

  • नवीन प्रौद्योगिकी Innovative technology

भारत में नित हो रहे नवीन खोजो से नवीन प्रौद्योगिकी का विकास development of new technology हो रहा है। इसमें उत्पादन तकनीक में सुधार और नये उद्योगों की स्थापना Improvement in technology and establishment of new industries हो रही है। ‘विकास उद्योगों’ Development Industries की स्थापना से व्यावसायिक जीवन में गति शीलता बढ़ गई है तथा प्रबंधकों के समक्ष प्रबंधन के नये-नये आयाम विकसित हो रहे है।

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  • कृषि पर निर्भरता dependence on agriculture

भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है। राष्ट्रीय आय में कृषि का कुल 30 प्रतिशत का योगदान है। हालांकि विकसित देशों में कृषि का राष्ट्रीय आय में योगदान 2 से 4 प्रतिशत तक होता है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रकार

भारतीय अर्थव्यवस्था निम्न प्रकार की है -

  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था Capitalist economy
  • समाजवादी अर्थव्यवस्था Socialist economy
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था Mixed economy
  • कृषक अर्थव्यवस्था Agrarian economy
  • औद्योगिक अर्थव्यवस्था Industrial economy
  • सेवा अर्थव्यवस्था Service economy

विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत की कुछ अन्य विशेषताएँ Some other features of India as a developing nation

प्रत्येक अर्थव्यवस्था का उद्देश्य समाज के पास उपलब्ध एवं ज्ञात दुर्लभ संसाधनों को प्रयोग करके मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करना है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन तथा उपभोग द्वारा की जा सकती है। 

स्वतन्त्रता के बाद भारत के आर्थिक विकास में परिवर्तन आए हैं जैसे कृषि क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए , नवीन उद्योग स्थापित हुए हैं, साथ ही उत्पादन विधि में नयी नयी तकनीक का उपयोग हुआ है। धीरे धीरे भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुई है और अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ निम्न हैं-

उत्पादन में निरन्तर वृद्धि Continuous increase in production

देश के उत्पादन में निरन्तर प्रगति हुई है। प्रथम योजना में विकास दर 3.6 थी जो आठवीं योजना में बढ़कर 6% हो गयी एवं नवीं योजना में यह 79% प्रतिशत तक पहुँची है। इसी प्रकार कृषि उत्पादन में और औद्योगिक उत्पादन दर में भी वृद्धि हुई है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य में सुधार Improvement in education and health

देश की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सन् 1950-51 में प्राइमरी मिडिल स्कूलों की संख्या 2.31 लाख थी जो सन् 2002-03 में बढ़कर 6.51 लाख हो गयी है। इस अवधि में विश्वविद्यालय एवं उसके समान संस्थाओं की संख्या भी 28 से बढ़कर 306 हो गयी है। देश में साक्षरता की दर 1941 में 16.61% थी जो 2001 में बढ़कर 64.8% हो गयी है। स्वास्थ्य सुविधाओं में भी तेजी से वृद्धि हुई है।

कृषि का आधुनिकीकरण Modernization of agriculture

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है, न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है। स्वतन्त्रता के बाद सरकार ने कृषि के विकास पर पूरा ध्यान दिया है।

इसके लिए सिंचाई, उन्नत किस्म के बीज, खाद और कृषि से संबंधित अन्य जरुरी सामग्री किसानों को उपलब्ध कराई है। जिससे कृषि के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। 

परिवहन, संचार, आदि आधारभूत सुविधाओं का विकास 

विकासशील राष्ट्र के रूप में देश में परिवहन, संचार, आदि आधारभूत सुविधाओं का तीव्र गति से विकास हुआ है। देश में 1947 में मात्र 1,400 मेगावट बिजली उत्पादन क्षमता थी, जो कि 2004 के अन्त तक बढ़कर 1,12682 मेगावाट हो गयी। सतह वाली सड़कों की लम्बाई 1.57 लाख किलोमीटर से बढ़कर 33 लाख किलोमीटर हो गयी।

ऐसे ही रेलवे लाइनों की लम्बाई 53,596 किलोमीटर से बढ़कर 63,221 किलोमीटर हो गयी। 

राष्ट्रीय आय में वृद्धि Increase in national income

ये सच है कि विकसित राष्ट्रों की तुलना में आज भी भारत में प्रति व्यक्ति आय कम है लेकिन स्वतन्त्रता के बाद से प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में निरंतर वृद्धि हो रही है। 

संरचनात्मक विशेषताएँ Structural Features

  • जल शक्ति

भारत में निरन्तर बहती हुई नदियाँ हैं। इन नदियों पर बाँध बनाये जाते हैं। साथ ही जल शक्ति का उपयोग विद्युत शक्ति के निर्माण में भी किया जा रहा है जिससे इसका उपयोग देश के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के लिए हो रहा है। 

  • भौगोलिक स्थिति

भारत की भौगोलिक स्थिति काफी अच्छी है। जहाँ उत्तर में हिमालय इसका प्रहरी है। वहीं पूर्व में बांग्ला देश व म्यामार है। पश्चिम में अरब सागर व दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में सातवा स्थान है। 

  • वन सम्पदा

वन सम्पदा हमारी भारतीय सभ्यता और प्राचीन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। वन किसी भी राष्ट्र की बहुमूल्य सम्पत्ति होते हैं। भारत इस दृष्टि से भी आगे है। भारत में 675.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वन हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.55% है। वन, उद्योग, कागज उद्योग, पेण्ट्स, रबर, औषधि व शहद,अन्य कई उद्योगों का आधार हैं।

  • जलवायु

जलवायु की बात की जाये तो भारत में भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न जलवायु पायी जाती है। यानि देखा जाये तो विश्व की समस्त जलवायु भारत में मिल जाती है।

  • जन शक्ति

जन शक्ति के मामले में भी भारत काफी आगे है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। भारत देश में करोड़ो की संख्या में लोग निवास करते है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान समय में भारत देश की जनसंख्या 1,404,234,872 करोड़ है।

  • खनिज सम्पदा

खनिज सम्पदा की दृष्टि से भी भारत धनी देश है। आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट व तांबा आदि खनिज पदार्थ भारत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। भारत का अभ्रक उत्पादन में विश्व में प्रथम व मैंगनीज उत्पादन में तीसरा स्थान है। वहीं भारत में शक्ति के साधन के रूप में कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ, गैस, अणुशक्ति, जलविद्युत व लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है । एक अनुमान के 'अनुसार कोयले का उपयोग यदि वर्तमान दर पर ही किया जाये तो कोयला भण्डारों का उपयोग 600 वर्षों तक किया जा सकता है।

  • पशु धन

पशु धन की दृष्टि से भी भारत काफी धनी देश में से एक है। विश्व के दूध देने वाले पशुओं की कुल संख्या का 25% भाग भारत में पाया जाता है। भारत में विश्व के कुल पशु धन का 30% पाया जाता है जो विश्व में सर्वाधिक है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लेटेस्ट आंकड़े : Latest figures of Indian economy

आर्थिक विकास Economic Development

  • भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 2022-23 में 7.8% बढ़ने का अनुमान है, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  • भारत की प्रति व्यक्ति आय 2022-23 में 10.4% बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत की विदेशी मुद्रा भंडार 2022-23 में 600 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।

रोजगार सृजन Employment generation

  • भारत में नौकरी की वृद्धि दर 2022-23 में 8.2% रहने का अनुमान है।
  • भारत में 2022-23 में लगभग 8 मिलियन नए रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
  • भारत में बेरोजगारी दर 2022-23 में 4.5% रहने का अनुमान है।

उद्योग Industry

  • भारत का औद्योगिक उत्पादन 2022-23 में 8.8% बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र 2022-23 में 10.4% बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत में सेवा क्षेत्र 2022-23 में 7.4% बढ़ने का अनुमान है।

कृषि Agriculture

  • भारत का कृषि उत्पादन 2022-23 में 2.9% बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत में खाद्यान्न उत्पादन 2022-23 में 3.3% बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत में दूध उत्पादन 2022-23 में 7.8% बढ़ने का अनुमान है।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में हालिया आंकड़ें Recent figures in various sectors of the economy

  • विनिर्माण क्षेत्र: विनिर्माण क्षेत्र में सितंबर 2022 में उत्पादन 10.9% बढ़ा है।
  • सेवा क्षेत्र: सेवा क्षेत्र में सितंबर 2022 में जीडीपी वृद्धि दर 8.1% रही है।
  • कृषि क्षेत्र: कृषि क्षेत्र में सितंबर 2022 में खाद्यान्न उत्पादन 3.6% बढ़ा है।
  • निर्यात: भारत का निर्यात सितंबर 2022 में 45.01 बिलियन डॉलर रहा है।
  • आयात: भारत का आयात सितंबर 2022 में 56.53 बिलियन डॉलर रहा है।

विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां Challenges of Indian economy in various sectors

  • मुद्रास्फीति: भारत में मुद्रास्फीति की दर सितंबर 2022 में 7.04% रही है।

  • ऊर्जा संकट: भारत में ऊर्जा की कमी के कारण बिजली संकट पैदा हो रहा है।

  • कच्चे माल की कीमतें: कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि से भारत के निर्यातकों को नुकसान हो रहा है।

  • कृषि क्षेत्र की समस्याएं: कृषि क्षेत्र में कम उपज, सिंचाई की कमी और किसानों की आय में कमी प्रमुख समस्याएं हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं Prospects of indian economy

  • भारत की अर्थव्यवस्था को भविष्य में मजबूत विकास की संभावना है।

  • भारत की बढ़ती जनसंख्या और मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।

  • भारत की सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों से अर्थव्यवस्था को और अधिक लाभ होगा।

निष्कर्ष Conclusion 

भारतीय अर्थव्यवस्था एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हालांकि, कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है और अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को समझने के लिए बहुत अच्छी रिसर्च की आवश्यकता है, इसे किसी एक आर्टिकल में समेटा नहीं जा सकता। एक कहावत है कि बूँद-बूँद से ही सागर भरता है, ठीक उसी प्रकार थोड़ी-थोड़ी जानकारी से ही हमे किसी भी विषय के बारे में पूरी जानकारी होती है। आशा है ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।