ईस्टर -बदलाव का दिन
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क्रिसमस के दिन भगवान यीशु का जन्म हुआ था और ईस्टर के दिन उनका पुनरुत्थान हुआ था। ईस्टर को बदलाव का दिन कहा जाता है क्योंकि इस दिन उन सभी लोगों का हृदय परिवर्तन हुआ था जिन्होंने ईसा मसीह को कष्ट पहुंचाया था और उन्हें सूली पर चढ़ाया था। ईसाई धर्म के प्रवित्र ग्रंथ बाइबल Bible में लिखा है कि ईस्टर संडे के दिन दोबारा से जीवित होने के बाद ईसा मसीह 40 दिन तक पृथ्वी पर रहे थे।
अप्रैल महीने में ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे Good friday और ठीक उसके एक दिन बाद रविवार को ईस्टर संडे Easter sunday मनाने की परंपरा है। गुड फ्राइडे के नाम से लगता है कि ये कोई जश्न है लेकिन वास्तव में इसे एक शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है वहीं दूसरी ओर ईस्टर संडे के दिन लोग खुशी मनाते हैं।
इस साल गुड फ्राइडे 15 अप्रैल और ईस्टर संडे 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयाई, भगवान यीशु Jesus Christ के बलिदान को याद करते हैं क्योंकि गुड फ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था और उन्होंने मानव जाति के हित के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे, इसीलिए गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे Black Friday भी कहते हैं और इस दिन को ईसाई धर्म के लोग शोक दिवस की तरह मनाते हैं। ईस्टर संडे खुशी का दिन होता है और लोग इस दिन को एक जश्न की तरह मनाते हैं क्योंकि इस दिन भगवान यीशु दोबारा जीवित हुए थे। ईसाई धर्म के प्रवित्र ग्रंथ बाइबल Bible में लिखा है कि ईस्टर संडे के दिन दोबारा से जीवित होने के बाद ईसा मसीह 40 दिन तक पृथ्वी पर रहे थे। आइए ईस्टर संडे के बारे में और बातें जानते हैं-
क्या है ईस्टर का इतिहास? History of Easter Sunday
बात उस समय की है जब राजद्रोह के आरोप में यहूदी शासकों ने गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को बहुत कष्ट पहुंचाया था और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया था और इन्हीं कारणों की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी और इस दिन को 'गुड फ्राइडे' कहा जाता है। इसके बाद जब कुछ दिन बाद लोग यीशु की कब्र के पास गए तो उन्होंने पाया की कब्र खुली हुई है और वहां सिर्फ कफन है। ये देखने के बाद उनके सारे अनुयायी वहां से चले गए। एक महिला वहीं रुकी रही और ईसा मसीह की कब्र के पास बैठकर रोने लगी। कुछ देर बाद उस महिला को दो स्वर्ग दूत दिखाई देते हैं और वे उस महिला से उसके रोने का कारण पूछते हैं। वह महिला बोलती है कि लोग उसके ईसा मसीह को लेकर चले गए हैं। तभी वह भगवान यीशु को देखती है और वो दोनों दूत उस महिला से कहते हैं कि वे अब परम पिता के पास जा रहे हैं। वह महिला तुरंत ईसा मसीह के अनुयायियों followers of Christ के पास गई और उन्हें बताया कि भगवान यीशु फिर से जीवित हो गए हैं। ऐसा बताया जाता है कि पुनरुत्थान के बाद ईसा मसीह 40 दिनों तक पृथ्वी पर रहे थे और उसके बाद अपने कुछ अनुयायियों के साथ स्वर्ग चले गए थे।
ईस्टर का महत्व Importance of Easter
ईसाई धर्म में क्रिसमस और ईस्टर Christmas and Easter दोनों ही पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है क्योंकि क्रिसमस के दिन भगवान यीशु का जन्म हुआ था और ईस्टर के दिन उनका पुनरुत्थान हुआ था। ईस्टर को बदलाव का दिन Day of Change कहा जाता है क्योंकि इस दिन उन सभी लोगों का हृदय परिवर्तन हुआ था जिन्होंने ईसा मसीह को कष्ट पहुंचाया था और उन्हें सूली पर चढ़ाया था।
कैसे मनाते हैं ईस्टर संडे?
ईस्टर का दिन खुशी का दिन होता है इसीलिए ईसाई धर्म Christianity के लोग चर्च में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और पूरे गिरिजाघर Church में मोमबत्तियां जलाते हैं। इसके साथ-साथ वे सब बाइबल पढ़ते हैं और एक दूसरे को प्रभु यीशु के जीवित होने की खुशी में बधाई देते हैं।
अंडे और ईस्टर संडे का क्या संबंध है?
ईसाई धर्म में अंडे egg को नया जीवन और उमंग का प्रतीक माना जाता है इसीलिए ईस्टर के दिन अंडों का विशेष महत्व होता है। ईस्टर के दिन लोग अंडों को सजाते हैं और एक दूसरे को अंडे गिफ्ट में देते हैं।
ईस्टर से जुड़ी खास बातें
- ईसाइयों के लिए ईस्टर संडे खुशी मनाने का दिन होता है, इस दिन को खजूर इतवार के नाम से भी जाना जाता है और इसे सनराइज सर्विस भी कहते हैं।
- ईस्टर संडे को बदलाव का दिन भी कहते हैं क्योंकि जिन लोगों ने गुड फ्राइडे के दिन यीशु को कष्ट दिया था, उन्हें भी अपनी गलतियों का अहसास हुआ था।
- प्रभु यीशु के भक्त उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करने के लिए ईस्टर के दिन चर्च में ढेर सारी मोमबत्तियां जलाते हैं। कुछ लोग चर्च के साथ-साथ अपने घरों में भी मोमबत्तियां जलाते हैं। इन मोमबत्तियों को अपने मित्रों को बांटना भी एक प्रचलित परंपरा है।
- ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार ईस्टर, इस शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है।
- ईस्टर संडे से पहले हर चर्च में रात्रि जागरण होता है और कुछ अन्य धार्मिक परम्पराओं को पूरा किया जाता है।
निष्कर्ष
गुड फ्राइडे के एक दिन बाद रविवार के दिन जिसे ईस्टर संडे कहते हैं, प्रभु यीशु का पुनरुत्थान हुआ था। अपने पुनरुत्थान के साथ उस रविवार को प्रभु यीशु ने पाँच महत्वपूर्ण बातों को सिद्ध किया। उनका भगवान होना, उनकी क्षमा करने की शक्ति, मृत्यु पर उनकी विजय, बुराई पर विजय और परमेश्वर के वचन को सत्य, इसीलिए उस रविवार को खुशी के रूप में ईस्टर संडे के नाम से मनाया जाता है। कई लोग तो ये भी पूछते हैं कि ईस्टर बनी Easter Bunny और ईस्टर एग Easter Egg का यीशु के पुनरुत्थान से क्या लेना-देना है? अब ये सारी बातें तो प्राचीन रोमन कैथोलिक चर्च Roman Catholic Church से आती हैं और यीशु के पुनरुत्थान को एक उत्सव की तरह मनाने के लिए लोग इसमें कई नई-नई चीज़ों को जोड़ते गए, ईस्टर एग और ईस्टर बनी भी उनमें से एक हैं।
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