ना करें पशुओं पर प्रहार, पौधों से मिलेगा आहार
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इस बात को सुनकर आपको हैरानी हो सकती है कि पौधों से मीट और दूध बनाया जा सकता है लेकिन यह बात 100 प्रतिशत सत्य है। दुनिया में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर दूध और मीट को पशुओं को नुकसान ना पहुंचा कर पौधों से बना लिया जाता है। दुनिया के कई देश इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। जहां पहले पशुओं को नुकसान पहुंचा कर ऐसी चीजें बनाई जाती थी। अब पौधों की मदद से दूध और मीट बनाना संभव बन गया है।
इस बात को सुनकर आपको हैरानी हो सकती है कि पौधों से मीट और दूध बनाया जा सकता है लेकिन यह बात 100 प्रतिशत सत्य है। दुनिया में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर दूध और मीट को पशुओं को नुकसान ना पहुंचा कर पौधों से बना लिया जाता है। दुनिया के कई देश इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। जहां पहले पशुओं को नुकसान पहुंचा कर ऐसी चीजें बनाई जाती थी। अब पौधों की मदद से दूध और मीट बनाना संभव बन गया है। मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे कई देश है जो पौधों से मीट और दूध बना रहे हैं। जिसका कारोबार भी तेजी से अपना रंग रूप बदल रहा है। जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा लोग इस बात से रूबरू होंगे, वह भी इस फार्मूले का इस्तेमाल कर इस बात का पालन करेंगे। तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश के पशुओं को हानि होने में कमी देखने को मिलेगी। आंकड़ों में बताया गया है कि अमेरिका और यूरोप के कई शहरों में बर्गर, हॉट डॉग और अन्य पदार्थ पौधों की मदद से बना लिए जाते हैं। यह पूरी तरह से शाकाहारी मिजाज का खाना होता है, लेकिन इसका स्वाद आपको सामान्य दूध और मीट से भी बेहतर लग सकता है।
स्वाद वही पर प्रक्रिया अलग
चिकन की तरह दिखने वाला मीट मटर से बना लिया जाता है। यह सारी गतिविधियां किसी लैब में नहीं बल्कि फास्ट फूड कंपनियों द्वारा ही की जाती है।
वहीं अगर दूध की बात की जाए तो यह सोया और अन्य पौधों से बनाया जाता है। पहले तो इस तरह के दूध की कीमत को केवल शाकाहारी लोग ही समझते थे, लेकिन अब इसकी गुणवत्ता को देखते हुए नॉनवेज खाने वाले लोग भी इसे पसंद करने लगे हैं। कारोबार में बढ़ोतरी के बाद पौधों से बनने वाले इस दूध की क्षमता से लोग काफी प्रसन्न हुए और अब विदेश में इसे कई कॉफी शॉप और ग्रॉसरी स्टोर्स पर भी देखा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह दूध सामान्य दूध से भी ज्यादा फाइबर वाला होता है। इसकी मैन्युफैक्चरिंग डेनोन (Danone) और छोबानी (Chobani) नामक विदेशी कंपनियां कर रही हैं।
इस व्यापार में हो रही बढ़ोतरी
मीडिया में जारी आंकड़ों के मुताबिक पौधों से दूध निर्मित करने का व्यापार अच्छी खासी तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल इसके 1.48 लाख करोड़ के होने की बात सामने आई है। साल 2020 के आंकड़े को देखें तो अमेरिका में पौधों से बनने वाले दूध का व्यापार 15 प्रतिशत का था।
हेनरी फोर्ड की तकनीक को किया अमल
अगर मीट बनाने की प्रक्रिया पर गौर करें तो साल 2009 में एथन ब्राउन (Ethan Brown) ने अपनी कंपनी बेयोंड मीट (Beyond Meat) की पेशकश की, जिसमें शोधकर्ताओं ने मीट बनाने के लिए हेनरी फोर्ड (Henry Ford) की तकनीक को अमल में लाकर इसे सफल बनाया। विशेषज्ञों ने पशुओं के मांस में मिलने वाले तत्वों का परीक्षण किया। जिसके बाद पौधों से निकले तत्वों का इस्तेमाल कर प्रक्रिया अपनाई। प्रक्रिया में मटर और सोयाबीन से प्रोटीन को अलग किया गया फिर उसे आलू के स्टार्च और नारियल तेल के फैट्स में एकत्रित किया गया। इस प्रक्रिया के पूर्ण होते ही उसमें नमक और कुछ अलग तरह के फ्लेवर का सामंजस्य बिठाकर उसे मीट की तरह बनाया गया। यह प्रक्रिया काफी सफल भी साबित हुई। हेनरी फोर्ड ने तो गाय के अनाज से दूध बनाने की प्रक्रिया का भी जिक्र किया था। आज उनकी कही बाते सफल साबित हो रही है।
इस कारोबार के बढ़ने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2009 से लेकर अब तक यह कंपनी 80 से भी ज़्यादा देशों में अपने उत्पादों को पहुंचा रही है। इसके अलावा इस कंपनी का मुकाबला एक और कंपनी कर रही है जिसका नाम है इंपॉसिबल फूड्स (Impossible Foods)। यह कंपनी अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में एक तरफा व्यापार कर रही है।
यह फार्मूला है पुराना
पौधों से मीट और दूध बनाने की प्रक्रिया का नाता केवल आज के दौर से नहीं है। यह फार्मूला तो बरसों पुराना है। इस प्रक्रिया का उपयोग बौद्ध धर्म के नागरिक पिछले 1500 वर्षों से करते आ रहे हैं। हालांकि नई तकनीक और वर्षों पुरानी प्रक्रिया में बेहद अंतर है पर इसको पुरानी प्रक्रिया का नया रूप कहा जा सकता है।
जिस तरह विदेशों में पौधों से दूध और मीट का बनाने का प्रयोग बढ़ रहा है। उसी तरह भारत में भी कई कंपनियां इस तरह की पहल कर रही है। भारत में भी यह नया पोधों वाला फार्मूला जरूर जोर पड़केगा। आप भी पशुओं को हानि नहीं देने की पहल में हिस्सा लेना चाहते हैं, तो हमारी आपसे विनती है कि आप भी इन प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें, शाकाहारी बनाने की पहल में भागीदारी जरुर दें।
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