बेटियां हमारी ताकत
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हमें बेटियों को किसी से कम नहीं आँकना चाहिए। बेटियां आज हर क्षेत्र में अपने पॉंव पसार रही हैं। वे आज हर क्षेत्र में बराबर की हकदार हैं। हम सबको मिलकर बेटियों को पूर्ण सम्मान और अधिकार देना चाहिए। हम सबको ये संकल्प लेना चाहिए कि बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएंगे, उनका मनोबल हमेशा ऊँचा रखेंगे।
बेटियां सिर्फ घर परिवार तक सीमित नहीं हैं। बेटियां राष्ट्र ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन कर रही हैं। बेटी जब घर में पैदा होती है तो उसकी हंसी की महक पूरे घर में फ़ैल जाती है। पूरे घर में रौनक ही रौनक आ जाती है। पूरे घर आँगन में खुशियां छा जाती हैं। बेटियों की खिलखिलाहट से परेशानियां जल्द दूर हो जाती हैं। अधिकतम लोगों का तो यह मानना है कि नकारात्मकता उस घर में प्रवेश नहीं कर पाती है जहां बेटियां रहती हैं। भारत देश में बेटी को शक्ति का रूप माना जाता है। उसे देवी का दिव्य रूप माना जाता है और बेटी सच में होती भी ऐसी ही हैं। तभी तो उसे पूजनीय माना जाता है और आज तो बेटी चाँद सितारों से भी आगे जा चुकी हैं। बेटी अब भार नहीं बल्कि हमारा आन, मान, शान और अभिमान है। कहते हैं जिस घर में नारी या बेटी को सम्मान दिया जाता है, उस घर में साक्षात देवी निवास करती हैं।
आजकल सरकार ने भी बेटियों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाये हैं। जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लाड़ली योजना, नारी सशक्तिकरण आदि योजनाएं लागू की गयी हैं और NDA जैसी परीक्षाओं के लिए भी महिलाओं को अनुमति दे दी गई है। ये सब इस बात को दर्शाते हैं कि समाज में परिवर्तन हो रहा है और सृष्टि की संरचना में अहम भूमिका निभाने वाली बेटी को सम्मान मिल रहा है, जिसकी वो हकदार है। वैसे अभी भी कई लोग हमारे समाज में छोटी मानसिकता वाले हैं, जिनको ये बताने की जरूरत है कि बेटियों को भी उनका अधिकार मिलना चाहिए। ऐसे लोगों को ये भी समझना चाहिए कि उनका इस दुनिया में कोई अस्तित्व है, तो वह उन्हीं की वजह से है। आज जहां मंगलयान की सफलता पर सब खुश हैं, वहीं कुछ लोग अभी भी पुरानी विचारधारा के हैं, जो बेटियों को अभी भी सम्मान नहीं दे पा रहे हैं। खैर समय बदल रहा है और एक दिन ऐसा आएगा जब बेटी को हर कोई सर्वोपरि मानेगा वैसे बहुत मायनों में ये सच भी हो रहा है। अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओं में लड़कियां लड़कों से आगे बाजी मार रही हैं। जैसे पिछले 14-15 सालों से लड़कियां ही बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों से आगे रहती हैं। ये हमारा दुर्भाग्य है कि लोगों की गन्दी सोच के कारण अभी भी बलात्कार के कई मामले देखने को मिलते हैं। जहां एक तरफ बेटी को पूजनीय माना जाता है तो दूसरी तरफ इस गन्दी सोच के कारण हम यह सोचने पर विवश हो जाते हैं कि आखिर कब वास्तव में बेटी को इज्ज़त और सम्मान मिलेगा। ये तभी संभव है जब हर कोई इस छोटी मानसिकता से ऊपर उठकर बेटियों को उन्मुक्त पक्षी की तरह खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ देगा। हम उन पर कोई बंधन ना थोपें। जिस भी क्षेत्र में बेटियां जाना चाहें उन्हें वह स्वतंत्रता प्राप्त हो। वैसे समय के साथ-साथ लोगों की सोच में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। लोग बेटियों को सशक्त बना रहे हैं, उन्हें और उनके काम को महत्व दे रहे हैं। बेटियों को भी यह अवसर मिल रहा है कि वो हर कार्यक्षेत्र में भाग ले पाएं। बेटियां आज बोझ नहीं भविष्य हैं।
बेटियां देश के विकास में पूरी तरह भाग ले रही हैं। इस पर कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं -"हर लड़ाई जीत कर दिखाऊँगी, मैं अग्नि में जलकर भी जी जाऊँगी "।
आज बेटियां सिर्फ परिवार में ही नहीं समाज में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। यदि कोई परेशानी आती है तो, बेटियां आगे आकर उसको दूर करने की कोशिश करती हैं। परेशानियों से परिवार और समाज को दूर रखने की कोशिश करती हैं। कोरोना काल में भी हर किसी ने देखा कि कैसे बेटी परिवार का सहारा बनी। जैसे कि एक बिहार की बेटी अपने पिता को साइकिल से गुरुग्राम से बिहार तक लेकर गयी। बहुत बेटियों ने तो घर की स्थिति ख़राब होने पर घर की आर्थिक रूप से मदद भी की।
अभी हाल में ही टोक्यो ओलम्पिक में भी भारत की बेटियों ने नाम रोशन किया जैसे मीराबाई चानू ने सिल्वर मैडल, लवलीना ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज़, अवनि और भावनि ने भी शारीरिक रूप से सक्षम न होने के बाद भी जीत दिलाई। ये सब साधारण परिवार से हैं और इस मुकाम को हासिल कर सबके लिए प्रेरणा बन गयी हैं।
अंत में हम सबको ये संकल्प लेना चाहिए कि बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएंगे, उनका मनोबल हमेशा ऊँचा रखेंगे। उनके ऊपर आने वाली हर बाधा को दूर करेंगे और बेटियों को वो सम्मान देंगे जिसकी वो हकदार हैं।
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