विलक्षण प्रतिभा के धनी - नारायण मूर्ति 

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विलक्षण प्रतिभा के धनी - नारायण मूर्ति 
08 Jun 2023
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नारायण मूर्ति, भारतीय उद्यमी, फिलांथ्रोपिस्ट और एक नेतृत्व प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। उनकी अद्भुत प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और नवाचारी सोच ने उन्हें व्यापार और समाज सेवा के क्षेत्र में विश्व पटल पर ऊंचाईयों तक पहुंचाया है। नारायण मूर्ति की कहानी Story of Narayan Murthy, उनके योगदान और उनके उद्यमिता की प्रेरणा लाखों लोगों को मुद्रित करती है।

सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि यह वह व्यक्तित्व हैं जिसने विश्व को यह बताया कि एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता था।

यदि आप ध्यान से इनके जीवन की यात्रा और  व्यक्तित्व से रूबरू होना चाहतें हैं तो पहले यह समझिये कि कैसे आप अपने सपने को साकार करने के लिए सालों साल संघर्ष करते रहे, प्रतीक्षा करते रहे पर लगातार उस लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहना उन्होंने कभी भी नहीं छोड़ा, और आने वाली पीढ़ी को प्रेरित किया कि स्वप्न देखते हो तो उसे पूरा करने का सामर्थ्य भी लाओ।

नारायण मूर्ति एक विलक्षण प्रतिभा Narayan Murthy a prodigious genius हैं जो भारतीय व्यापारी, उद्यमी और फिलांथ्रोपिस्ट हैं।

इस लेख में, हम नारायण मूर्ति के जीवन, कार्य और योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्रसिद्ध सॉफ़्टवेयर कंपनी infosys technologies के संस्थापक और जानेमाने उद्योगपति, एक बेहद सफल businessman - ये सभी कुछ तो हमने नारायण मूर्ति के विषय में सुना है लेकिन यदि आज नारायण मूर्ति की बात करें तो सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि यह वो व्यक्तित्व हैं जिसने विश्व को यह बताया कि एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ हो सकता है।

यदि आप ध्यान से इनके जीवन की यात्रा और व्यक्तित्व से रूबरू होना चाहतें हैं तो पहले यह समझिये कि कैसे आप अपने इस सपने को साकार करने के लिए सालों साल संघर्ष करते रहे, प्रतीक्षा करते रहे पर लगातार उस लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहना उन्होंने कभी भी नहीं छोड़ा ।

 शायद यही कारण है कि आज infosys company जिसका इतना बड़ा नाम और रुतबा है कभी यह एक साधारण से व्यक्ति का असाधारण स्वप्न था, जो उसने अपने दोस्तों को साथ जोड़कर शुरू किया था। 

विलक्षण प्रतिभा के धनी - नारायण मूर्ति Rich in Prodigious Talent- Narayan Murthy

नारायण मूर्ति: एक उद्यमी का जन्म Narayana Murthy: Birth of an Entrepreneur

नारायण मूर्ति का जन्म भारतीय राज्य कर्नाटक के श्रीनिवासन के एक गणित अध्यापक के घर में हुआ। उनकी शिक्षा की गुणवत्ता उच्चतम स्तर पर थी और उन्होंने प्रथम श्रेणी से इंजीनियरिंग पठन पाठन की। इंजीनियरिंग में उनकी प्रतिभा और समर्पण के चलते उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत की।

मैसूर के एक साधारण से मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे, सरकारी विद्यालयों में पढ़े। मैसूर विश्वविद्यालय से Bachelor of  engineer की degree ली और IIT कानपुर से Master of technology में परास्नातक किया।अपने कार्यजीवन का आरंभ नारायणमूर्ति ने पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम्स (PCS), पुणे से किया। बाद में अपने दोस्त शशिकांत शर्मा और प्रोफेसर कृष्णय्या के साथ 1984  में पुणे में system research institute की स्थापना की थी।

1989 में नारायणमूर्ति ने infosys कम्पनी की स्थापना की। जो कुछ भी उन्होंने अपने जीवन में प्राप्त किया -संघर्ष से, कड़ी मेहनत से और सबसे अधिक आत्मवश्वास से प्राप्त किया।आत्मविश्वास ही वह कड़ी है जिससे उन्होंने अपने लक्ष्य के लिए बहुत सब्र और हिम्मत दिखाई।

बचपन से ही प्रतिभावान मस्तिष्क के धनी नारायण मूर्ति विद्यालय और college जीवन में भी अपने calculations की दुनिया में प्रसन्न रहते थे और इसी प्रतिभा ने उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास को बनाए रखा। अच्छा-बुरा हर वक़्त जो भी आया पर उनके इस स्वप्न पर दृढ़विश्वास ने ही नारायण मूर्ति को विश्व में पहचान दी। 

विश्वप्रसिद्ध इंजीनियरिंग गुरु नारायण मूर्ति ने अपनी पढ़ाई के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके अद्भुत गणितीय कौशल और तकनीकी ज्ञान ने लोगों को प्रभावित किया और उन्हें एक उद्यमी के रूप में पहचान दिलाई।

एंटरप्रेनर बनने की पहली कड़ी first step to become an entrepreneur

नारायण मूर्ति की उद्यमिता ने उन्हें एंटरप्रेनर बनने की पहली कड़ी में आगे बढ़ाया। उन्होंने 1981 में संगठनात्मक रूप से भारतीय सॉफ्टवेयर संगठन (बीएसओ) Indian Software Organization (BSO) की स्थापना की। इस संगठन को बैंगलोर में स्थापित किया गया था और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास में।

नारायण मूर्ति ने इस संगठन को अग्रणी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनियों में से एक बनाया और उसे ग्लोबल स्तर पर मान्यता प्राप्त कराया।

विपणन और व्यापार क्षेत्र में महानता Marketing and Business Excellence

नारायण मूर्ति का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र विपणन और व्यापार था। उन्होंने व्यापार के माध्यम से नए और उन्नत विचारों को प्रस्तुत किया और भारतीय व्यापार समुदाय को प्रेरित किया। उनकी अद्वितीय व्यापारिक नीतियों और मार्गदर्शन के कारण, वे एक सफल उद्यमी के रूप में मान्यता प्राप्त कर गए और एक व्यापार गुरु के रूप में मान्यता प्राप्त किया।

नारायण मूर्ति ने भारतीय सॉफ्टवेयर संगठन (बीएसओ) के माध्यम से उद्योग को नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में बीएसओ ने वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त की और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाई। नारायण मूर्ति के अनुरोध पर बीएसओ ने उद्योग में नैतिकता, उच्चतम मानकों की पालना, गुणवत्ता पर ध्यान देने, और तकनीकी ज्ञान और कौशल को प्रोत्साहित करने जैसे मूल्यों पर भी बल दिया।

सामाजिक कार्यों में नारायण मूर्ति का योगदान Contribution of Narayan Murthy in social work

नारायण मूर्ति एक फिलांथ्रोपिस्ट भी हैं और सामाजिक कार्यों में अपना सक्रिय योगदान देते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पहलों की शुरुआत की है। उन्होंने गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किया है और उच्च शिक्षा के लिए सुविधाएं प्रदान की हैं।

उन्होंने स्वास्थ्य और स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, और महिला शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी निष्ठा प्रदर्शित की है। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ सहयोग किया है और समुदाय के विकास को प्रोत्साहित किया है।

उद्यमी और फिलांथ्रोपिस्ट के रूप में प्रशंसा Acclaimed as Entrepreneur and Philanthropist

विद्यार्थी, संगठनकार, और उद्यमी रूप में नारायण मूर्ति की प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें विश्व स्तर पर महान बना दिया है। उनका योगदान उद्योग, व्यापार, और सामाजिक क्षेत्र में सराहा जाता है और उन्हें उद्यमी और फिलांथ्रोपिस्ट के रूप में प्रशंसा प्राप्त होती है।

नारायण मूर्ति ने अपने उद्यमी मनोभाव और नवाचारों के साथ भारतीय व्यापार और उद्योग को गहराई तक पहुंचाया है। उन्होंने विपणन, प्रबंधन, और उत्पादन के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय दक्षता प्रदर्शित की है। नारायण मूर्ति ने विभिन्न उद्योगों में सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए कठिनाईयों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने संघर्षों को अवसर में बदलने की क्षमता दिखाई है और सहजता से समस्याओं का सामना किया है।

नारायण मूर्ति की उपलब्धियाँ (Narayana Murthy awards and achievements)

नारायण मूर्ति की उपलब्धियाँ व्यापारिक, उद्योग, और सामाजिक क्षेत्र में व्यापक हैं। उन्होंने अपनी दिलचस्पी के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। यहां कुछ प्रमुख पुरस्कार और उपलब्धियाँ हैं:

  1. पद्म विभूषण: नारायण मूर्ति को 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण, द्वितीय उच्चतम नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया गया। इस सम्मान से उन्हें उनके उद्यमी योगदान, औद्योगिक प्रगति, और सामाजिक सेवाओं की मान्यता मिली।

  2. एर्नस्ट और यंग ग्लोबल पर्सन ऑफ द इयर: 2005 में नारायण मूर्ति को एर्नस्ट और यंग ग्लोबल पर्सन ऑफ द इयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार व्यापार, लीडरशिप, और उद्यमिता के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। नारायण मूर्ति को इस पुरस्कार से सम्मानित करने का कारण उनकी प्रगतिशील सोच, व्यापारिक उद्यमिता, और शिक्षा क्षेत्र में योगदान है।

  3. नारायण मूर्ति के प्रतिभाशाली कार्यों ने उन्हें व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में वैश्विक मान्यता दिलाई है। उनकी निरंतर सामरिकता, दृढ़ संकल्प, और उत्कृष्टता की प्रेरणा देने वाली कहानी दुनियाभर के लोगों को प्रेरित कर रही है। उनकी उपलब्धियों की सूची में व्यापारिक प्रगति, टेक्नोलॉजी में अद्वितीय योगदान, और समाज के लिए सेवा शामिल हैं।

  4. नारायण मूर्ति ने आईटी और सॉफ्टवेयर सेक्टर में अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी प्रशंसा प्राप्त की है। उन्होंने इंफोसिस लिमिटेड को स्थापित किया और उसे एक वैश्विक आईटी सेवा प्रदाता बनाया। उनकी अद्वितीय विचारधारा और नेतृत्व के कारण इंफोसिस लिमिटेड विश्व भर में एक मान्यता प्राप्त कंपनी बन गई है।

  5. नारायण मूर्ति को सामाजिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने विभिन्न शिक्षा, स्वास्थ्य, और कला के क्षेत्रों में योगदान दिया है। उनकी स्वदेशी शिक्षा आंदोलन के माध्यम से ग्रामीण और गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अपनी गहरी रुचि प्रकट की है और विभिन्न आरोग्य सेवाओं के लिए निर्माण कार्य किया है।

  6. नारायण मूर्ति को  Officer of the Legion of Honor -फ्राँस सरकार के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। इनके हिस्से में तो इतने पुरस्कार हैं जिनकी गिनती भी कम होगी - honorary commander of the order of the British Empire, sayaji ratna award, philanthropist of the year आदि। इनमें से कुछ पुरस्कार तो विश्व के अलग-अलग देशों से है ।

    इन्होंने पुस्तक भी लिखी है- A better India: A Better world

    नारायण मूर्ति का व्यक्तित्व ही ऐसा है कि आज भी वह बेहद साधारण जीवन जीना पसंद करतें हैं । नारायण और सुधा मूर्ति दोनो ही एक दूसरे की शक्ति भी है और प्रेरणा भी, शायद उनकी यही सादगी है हर किस को भा जाती है। उनकी आँखों ने जो उज्ज्वल स्वप्न देखा वह स्वप्न पूरा करके दिखाया और आने वाली पीढ़ी को प्रेरित किया कि स्वप्न देखते हो तो उसे पूरा करने का सामर्थ्य भी लाओ।

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नारायण मूर्ति की उपलब्धियों के साथ-साथ, उन्होंने दुनिया को दिखाया है कि संघर्षों और परिश्रम के माध्यम से असीमित संभावनाओं को प्राप्त किया जा सकता है।

Infosys की कहानी Story of Infosys

नारायण मूर्ति की कहानी अधूरी रहेगी अगर हमने इनके सपने यानी Infosys की कहानी आपके साथ नहीं बाँटी। 1981 में startup शब्द का नाम भी नहीं सुना होगा लेकिन इस समय नारायण मूर्ति अपने इस startup के विषय में ना ही सिर्फ सोच चुके थे बल्कि अपने हिस्से के प्रयास, अपने हिस्से का संघर्ष भी शुरू कर चुके थे।

Infosys की स्थापना 2 जुलाई, 1981 को पुणे में एन आर नारायण मूर्ति के द्वारा की गई। इनके साथ और छह अन्य लोग थे: नंदन निलेकानी, एनएसराघवन, क्रिस गोपालकृष्णन, एस डी.शिबुलाल, के दिनेश और अशोक अरोड़ा, राघवन के साथ आधिकारिक तौर पर कंपनी के पहले कर्मचारी मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) से 10,000 उधार लेकर कम्पनी की शुरुआत की।

अगर आपको लगता है कि नारायण मूर्ति infosys के पहले कर्मचारी थे तो ऐसा नहीं है, पहले कर्मचारी N S राघवन थे। कम्पनी की शुरुआत उत्तर मध्य मुंबई में माटुंगा में राघवन के घर में infosys  consultancy private limited के रूप में हुई जो एक पंजीकृत कार्यालय था। ये सभी दोस्त आपस में infosys के co-founder थे। शुरुआत काफी संघर्षपूर्ण थी। धन की कमी के कारण इस कम्पनी को स्थापित करने में समस्याएँ थी।

1983 तक तो इस बहुराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी ( multinational information technology services company)  में एक computer तक की उपलब्धता नहीं थी, यदि आप 80 के दशक के अनुसार सोचें तो तकनीकी व्यवस्थाएँ या तो अत्यधिक महँगी थी या विदेशों में उपलब्ध थी या फिर एक आम आदमी का इस विषय में सोचना बहुत ही असम्भव सा लगता था। 

नारायण मूर्ति ने अपने एक interview में कहा था - ‘’हम सभी दोस्तों ने शुरुआत तो कर ली थी पर इसके बाद सभी दोस्त कहीं बाहरी देशों के रोज़गार के लिए जा चुके थे, मैं यहीं भारत में रुका ताकि जो हमने जो सोचा हैं उसके लिए प्रयासरत रहूँ’’ इस प्रयास में bank के चक्कर काटना, धन की व्यवस्था, आर्थिक तरक्की के प्रयास, यह सभी कुछ शामिल था। 

यहाँ तक कि अपनी पसंद के कम्प्यूटर के महत्वपूर्ण  विकल्पों को भी नारायण मूर्ति अफोर्ड नहीं कर पा रहे थे। पर कहतें हैं ईश्वर भी उन्ही की सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करता है। आखिरकार इसके दो वर्ष बाद यह computer खरीदने में सफल हो पाए, यानी Data General 32-bit MV8000.

1981 से लेकर सन 2002 तक श्री मूर्ती इनफ़ोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) रहे और अपने नेतृत्व में उन्होंने एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी को दुनिया के बड़ी कंपनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया।

1999 में वह स्वर्णिम अवसर आया जब इन्फ़ोसिस ने इतिहास रचा, जब कम्पनी के शेयर अमरीकी शेयर बाज़ार NASDAQ ( National Association of Securities Dealers Automated Quotations) में रजिस्टर हुए। infosys ऐसा कर दिखाने वाली पहली भारतीय कम्पनी थी। नारायणमूर्ति 1981 से लेकर 2002 तक कम्पनी के मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे।

2002 में उन्होंने कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी Nandan Nilekani को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फ़ोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। नारायणमूर्ति 1992 से 1994 तक NASSCOM (National Association of Software and Service Companies) के भी अध्यक्ष रहे।

1989 में एक बार infosys technologies को मंदी  का दौर भी देखना पड़ा था पर नारायणमूर्ति का फिर भी यही फैसला था वह अपने स्वप्न के साथ खड़े रहेंगे और उनके मित्रों ने उनकी इस बात को समझा। आज यह भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक है जिसके पास 30 जून 2008 को (सहायकों सहित) 94,379 से अधिक पेशेवर थे।

इसके भारत में 9 विकास केन्द्र हैं और दुनिया भर में 30 से अधिक कार्यालय हैं। वित्तीय वर्ष 2007-2008 के लिए इसका वार्षिक राजस्व US$4 बिलियन से अधिक थी और उस समय इसकी बाजार पूंजी US$30 बिलियन से अधिक थी।

1996 में, इन्फोसिस ने कर्नाटक (बंगलुरु ) राज्य में इन्फोसिस संस्थान बनाया. जो स्वास्थ्य रक्षा (health care), सामाजिक पुनर्वास और ग्रामीण उत्थान, शिक्षा, कला और संस्कृति के क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।

जीवनसंगिनी का साथ -सुधा मूर्ति - With life partner - Sudha Murthy -

नारायण मूर्ति के जीवन की के विषय में कोई भी बात तब तक पूरी नहीं होती जब तक उनकी सफलता के लिए उनकी सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी उनकी पत्नी और बेहद प्रतिभावान महिला-सुधा मूर्ति। एक बेहद प्रतिभाशाली लेखिका, उन्ही की तरह बुद्धिजीवी मस्तिष्क की धनी हैं।

यही वह व्यक्ति थी जिन्होंने उनकी प्रतिभा का भरोसा किया, सम्मान किया। जब इन दोनो का विवाह हुआ तो सुधा मूर्ति आर्थिक रूप और शैक्षिक रूप से सुदृढ़ थी। घर की, जीवन की बाँगडोर को सुधामूर्ति ने ही सम्हाला और नारायण मूर्ति को अपने स्वप्न को साकार करने को प्रेरित किया।

नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति का यह मधुर सम्बन्ध ही था जिसने नारायण मूर्ति को अपने इस स्वप्न को संघर्ष की दिशा में प्रयासरत रहने की हिम्मत दी।

सुधा मूर्ति ने हमेशा अपने interviews में कहा है कि - ''हम दोनो एक दूसरे को कभी नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करते बल्कि एक दूसरे का सम्मान करतें हैं''। सुधा मूर्ति के हर कथन में यही बात झलकती है कि अपने पति के सपनों और प्रतिभा को पहचानकर उन्होंने विश्वास रखा और मुस्कुराकर उनका पूरा साथ दिया।