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मनुष्य अनेक विचारों से प्रतिक्षण घिरा रहता है। विचारों का यह संग्रह मनुष्य के व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है। हम यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य के विचारों से उसके व्यक्तित्व का आंकलन किया जाता है। प्रत्येक क्षण मनुष्य के भीतर चलने वाले विचारों की यह किताब कभी मनुष्य के लिए सार्थक सिद्ध होती है तो कभी निरर्थक। इसलिए मनुष्य किस तरह के विचारों को अपने मन में स्थान देता है यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह यहीं से अपने जीवन के सार्थकता के रास्ते पर चलना प्रारम्भ करता है। अतीत, वर्तमान और भविष्य के आधार पर निर्मित विचार मनुष्य के क्षवि निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसके पास सोचने और समझने की शक्ति के साथ दिमाग में उपजे बीज को बाहर की दुनिया में अंकुरित करने की भी क्षमता है। अपनी इन्हीं क्षमताओं के कारण व्यक्ति खुद को और अपने आस-पास के वातावरण को इतना बदल पाया है। मनुष्य दिमाग में जन्मी कल्पना को वास्तविक जीवन में सार्थक बनाने में सक्षम है। हमने इस दुनिया के रूप को किस हद तक परिवर्तित किया है इसका अंदाजा हम इतिहास और आज के परिपेक्ष की तुलना करके लगा सकते हैं। यह सब केवल इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि हमारे पास सोचने की ऐसी क्षमता है जिसके आधार पर हम असंभव कार्य को भी कर पाने में सफल हो पाए हैं। किसी किये गए कार्य में मिली सफलता और अनुभव ने हमारी उस सोच को सार्थक बनाया है। विचारों की सार्थकता ही मनुष्य का भविष्य भी निर्धारित करती है कि वह किस तरह का जीवन-यापन करेगा तथा अपने आस-पास वातावरण को कितना सुगम बनाएगा। मनुष्य के विचार ही समाज की अस्थिमज्जा हैं, यदि यह धनात्मक है तो समाज का रूप धनात्मक होगा और यदि विचार ऋणात्मक है तो यह समाज के स्वरुप को ऋणात्मकता की चादर में लपेटकर किसी गहरी खाई में फेंकने का काम करेगा। इसीलिए कहा जाता है कि हमारा दिमाग कई दिशाओं में विचलन करता है।
मनुष्य के विचारों में कहीं पर भी शून्यता नहीं है। वह प्रत्येक छान कुछ न कुछ सोचता रहता है। बहुत कम लोग ऐसे मिलेंगे जो विचारशून्यता को प्राप्त हुए हैं, जैसे - गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, कबीर, गुरुनानक,पैगम्बर, साईं, आदि। वरना सामान्यतः व्यक्ति विचारों की मायाजाल में जकड़ा हुआ है।
हमारे दिमाग में विचार क्यों आते हैं?
विचार एक भावना है जो वास्तविकता की राह पर चलकर कई आकाँक्षाओं के माध्यम से अतीत, वर्तमान और भविष्य के गोते लगाते हुए स्वयं को एक मूर्त रूप प्रदान करने का प्रयास करते हैं। दिन के पहले प्रहार से रात के अंतिम प्रहर तक विचारों का तांता लगा रहता है। मगर क्या हमने कभी विचार किया कि ऐसा क्यों होता है? शायद हमने कभी इस प्रश्न का उत्तर खोजा ही नहीं या यूं कहें कि हमें इस तरह के उत्तरों की आकांक्षा ही नहीं है। यदि हम इस विचार पर भी विचार करें तो सिर खुजाने जैसी भावना का आभास होगा, क्योंकि यह प्रश्न जितना सरल प्रतीत होता है उससे कहीं ज्यादा जटिल है इसका उत्तर। एक पल को अगर हम विचार की धारणा के प्रति जागरूक होकर सोचें तब हम पाएंगे कि हम विचारों से जितना भरे हैं उतना ही हम वास्तिवकता से खाली हैं। यही कारण है कि हमारे दिमाग में इतने सारे विचार एक समंदर का रूप लिए रहते हैं और लहरों की तरह निरंतर चलायमान रहते हैं। कुछ तथ्यों से हम जान सकते हैं कि विचार क्यों आते हैं और अगर हम मनन या चिंतन करें तो हम पाएंगे कि इन विचारों की भी अपनी एक श्रृंखला है, जो कि तीन अलग-अलग भागों में विभाजित है जिसमें कि अतीत के विचार, वर्तमान के विचार और भविष्य के विचार आते हैं जो मानवीय जीवन के सार का व्याख्यान करते हैं। परन्तु यह तीनों आपस में भिन्न हैं।
भावनाओं का भार उठाते अतीत के विचार
हमारे अंदर विचार उन भावनाओं के आधार पर जन्म लेते हैं जो अतीत में हमारे ह्रदय की किन्हीं गहराइयों में जगह बना लेते हैं। अतीत में घटित घटनाएं हमारे भीतर जन्म लेने वाले विचार का कारण बनती है। अतीत के विचार हमारी भावनाओं से जुड़े होते हैं। जिनका विचार करके हम कभी प्रसन्न होते हैं, कभी हताशा के काले बादल से घिर जाते हैं। कभी अतीत में घटित हादसों का विचार करके हम उसमें सुधार करने की कल्पना करके अपने मन को सांत्वना देते हैं। ऐसी घटनाएं जिन्हें हम अपनी स्मृति से मिटा देना चाहते हैं परन्तु वह बार-बार विचार बनकर हमारे पास वापस चली आती हैं। कभी अतीत में घटित कुछ घटनाओं के विचार मन को हर्षित कर जाते हैं। हम विचार करते हैं कि काश हम उस वक़्त को वापस महसूस कर पाते। अतीत के विचार हमें अपने भीतर सुधार करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। क्योंकि भूतकाल में हुए वाक्या हमारे द्वारा वर्तमान में किये जा रहे काम और भविष्य की योजना के लिए मार्गदर्शित करते हैं। हमारे अंदर मौजूद खूबी और कमी का बोध हमें अतीत की घटनाओं से होता है और इनका विचार निरंतर हमारे अंदर खुद को मौजूद रखता है। अतीत के विचार हमारे भीतर भावनाओं का भार उठाते हैं।
वास्तविकता से दो हाथ करते वर्तमान के विचार
वर्तमान की घटनाएं अतीत को न्योता देते हुए निरंतर चलती हैं। हमारे आस-पास की दैनिक परिस्थितियां हमारे भीतर अनेक विचारों को जन्म देती हैं। हमारे मन में ऐसे कई विचार आते हैं जिनका आधार वास्तव में वर्तमान समय में हमारे साथ घटित होने वाली घटनाएं होती हैं। यह वह चरण है जिसमें विचार मनुष्य की दिनचर्या को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। मनुष्य के अंदर सबसे अधिक विचारों की उत्पत्ति वर्तमान परिस्थिति के कारण ही उत्पन्न होती हैं। इन परिस्थियों में उत्पन्न विचारों के माध्यम से हम अपनी वास्तविकता को बदलने का प्रयास करते हैं या उसे और अच्छा करने की कोशिश करते हैं। वर्तमान के विचार मनुष्य की मनोवृत्ति पर सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं। इन विचारों से मनुष्य की समझ का रूप भी परिवर्तित होता है। वर्तमान के विचारों का वर्तमान में ही वास्तविक होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। क्योंकि इसमें कई छोटे-बड़े विचारों का संग्रह होता है। उदाहरण के तौर पर हमारे भीतर यह विचार आया कि हमें किसी एक व्यक्ति से बात करनी है, हमनें उस व्यक्ति से बात करके उसे वास्तविकता का रूप दे दिया।
आकाँक्षाओं की अपेक्षा भविष्य के विचार
भविष्य के विचार मुख्यतः योजना के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत होते हैं। हमारी ऐसी कई आकांक्षाएं होती हैं जिन्हें हम पूर्ण करना चाहते हैं। यह सब हमारे अंदर विचार के रूप में ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और फिर हम इन्हें आने वाले समय में वास्तविक बनाने के लिए योजनाएं बनाने का विचार करने लगते हैं। भविष्य के लिए मन में आये विचारों के आधार वर्तमान होते हैं परन्तु उनका सामना वास्तविकता से होगा यह निश्चित नहीं रहता है। भविष्य के विचार अच्छे जीवन-यापन के लिए अधिकतम मनुष्य के भीतर जगह बनाते हैं। यह वह विचार हैं जो मनुष्य को चिंता के घेरे में लाकर खड़ा करता है साथ में उसे सुनहरे भविष्य निर्माण करने का मौका भी देते हैं। भविष्य की आकाँक्षाओं को पूर्ण करने का विकल्प इन्हीं विचारों के माध्यम से उत्पन्न होता है।
कल्पना की विचारों की दुनिया
कुछ विचारों का आगमन कल्पनाओं के आधार पर भी होता है। ऐसी कल्पनाएं जिनका वास्तविकता से कोई नाता नहीं होता है। मनुष्य प्रतिदिन ऐसे कई विचारों को अपने जीवन का हिस्सा बनाता है जिनका अतीत, वर्तमान, भविष्य से कोई रिश्ता नहीं होता है परन्तु वह फिर भी उन विचारों को अपने जीवन में शामिल करता है। जैसे कि किसी विषय पर विचार करके कवितायें लिखना। इनका हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य से कोई मतलब नहीं होता है परन्तु हम इन विचारों को महसूस करके एक रूप देते हैं।
मनुष्य को कुछ समय के लिए खुद को विचारों से मुक्त रखना चाहिए। यह एक कठिन कार्य है क्योंकि प्रतिक्षण मनुष्य के दिमाग में किसी विषय से संबंधित कोई न कोई विचार निरंतर चलता रहता है। कुछ समय के लिए विचारों से शून्य होना मनुष्य के विचारों को नई दिशा देता है। दुनिया में ऐसे कई महापुरुष हुए जिन्होंने खुद को इस स्थान तक पहुँचाया। कुछ पलों के लिए विचारों से मुक्ति मनुष्य को जीवन के उन पहलुओं से अवगत कराता है, जिनसे वह अभी तक अंजान था।
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