गिलोय की खेती, दवाई भी और कमाई भी

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गिलोय की खेती, दवाई भी और कमाई भी
11 Oct 2021
9 min read

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आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गिलोय की खेती के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जानकारी को अच्छी तरह समझ लीजिएगा, क्योंकि अगर आपने अच्छी तरह समझा तो आप गिलोय को घर में भी उगा सकते हैं। सोचिए? अगर गिलोय से आपकी कमाई नहीं भी बनी, तो घर में मुफ्त की दवाई तो बन ही जाएगी। आइए जानते हैं कैसे उगते हैं गिलोय।

गिलोय जिसे अमृता और अंग्रेजी में टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora Cordifolia) कहा जाता है। इसे अलग-अलग राज्यों की भाषा में अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हमने यहां आपको हिंदी और इंग्लिश के नाम से अवगत कराया है। गिलोय बेल एक औषधीय युक्त बेल है। जिसे उगाकर आप पैसा भी कमा सकते हैं और दवा के रूप में इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा कहा जाता है कि गिलोय आयुर्वेद में बड़ा ही असरदार औषधीय पौधा है। इस पौधे में लाखों बीमारियों की परेशानियों को दूर करने और उसको खत्म करने के तत्व मौजूद हैं। 

कोरोना काल में भी आयुर्वेदिक उपचार ले रहे कई मरीजों ने गिलोय का उपयोग करके अपनी बीमारी को दूर किया है। कोरोना काल के बाद से गिलोय को लेकर काफी चर्चा बढ़ चुकी है। अब लोग इसे घर-घर उपयोग करने लगे हैं। इसकी भारी गुणवत्ता को देखते हुए यह कहना बिल्कुल सही होगा कि यह दवाई भी है और कमाई का जरिया भी बन सकती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गिलोय की खेती के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जानकारी को अच्छी तरह समझ लीजिएगा, क्योंकि अगर आपने अच्छी तरह समझा तो आप गिलोय को घर में भी उगा सकते हैं। सोचिए? अगर गिलोय से आपकी कमाई नहीं भी बनी, तो घर में मुफ्त की दवाई तो बन ही जाएगी। आइए जानते हैं कैसे उगते हैं गिलोय।

कैसा होता है गिलोय

गिलोय झुंड में रहने वाला पौधा है। इस पौधे का तना लगभग 2 से 3 सेंटीमीटर का होता है। इसको अमृता बेल इसलिए कहा जाता है क्योंकि एक बार लग जाने के बाद इसकी श्रृंखला(चेन) आगे बढ़ती जाती है। श्रृंखला में आगे बढ़ने को लेकर इसे गिलोय या अमृता बेल कहा जाता है। बेल होने के कारण यह किसी अन्य पेड़ के सहारे आगे बढ़ता है। इसकी पत्तियों की बनावट को पान के पत्तों की तरह कहा जा सकता है। जो बड़ी खूबसूरत लगती हैं। इसमें फूल भी नजर आते हैं।

गिलोय उगाने के लिए कौनसी मिट्टी उपयोग करें

गिलोय की खेती करने के लिए मुख्य रूप से अगर आप जल्दी से गिलोय को उगाना चाहते हैं, तो आप बुलई दोमट मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मिट्टी मुख्य रूप से मिट्टी, रेत और गोबर मिलाकर बनाई जाती है। इस तरह की मिट्टी में गिलोय को उगाना आसान साबित होता है। इसके अलावा इस पौधे की खासियत यह है कि आप इसे सामान्य किसी भी मिट्टी में उगा सकते हैं। इसे आप अपने घर के आंगन की मिट्टी में भी उगा सकते हैं।

वातावरण कैसा हो

विशेषज्ञों की राय माने तो गिलोय किसी भी वातावरण में उग सकता है, लेकिन मुख्य रूप से अगर खेती की बात करें तो इसे थोड़ी गर्म और उमस वाली जगहों पर उगाया जाता है। ऐसी जगहों पर यह पौधा काफी तेजी से बढ़ता है। वातावरण के साथ-साथ पानी निकासी के लिए अगर अच्छा प्रारूप बनाया गया हो तो खेती अच्छी विकसित होगी।

गिलोय लगाने के लिए आवश्यक सामग्री

विशेषज्ञों की राय मानी जाए तो गिलोय लगाने के लिए 6 से 8 इंच के तने जिसमें दो जरूरी गांठे मौजूद हों उनका इस्तेमाल किया जाता है। इस्तेमाल में आने वाले तने की कटाई जून-जुलाई में होनी चाहिए और इसे लगाने का समय भी जून-जुलाई में ही अच्छा साबित होता है। यह खेती की दृष्टि से काफी लाभप्रद निर्णय माना जाता है। कटे हुए तनों का उपयोग होने वाली मिट्टी में गड्ढा करके रोपाई (यानी की मिट्टी में पौधों को गड़ाया) की जाती है। ध्यान रहे कि गिलोय को पूरी तरह नहीं गड़ाया जाता है। इसकी एक गांठ और इसके थोड़े ऊपरी हिस्से को ही मिट्टी के अंदर गड़ाया जाता है। बाकी ऊपर की एक गांठ और थोड़ा निचला हिस्सा हवा में रहता है। अच्छी खेती के लिए आप गिलोय को 2 या 3 मीटर की दूरी पर लगा सकते हैं। इसे लगाने के लिए आप किसी अन्य पेड़ या लकड़ियों की मदद ले सकते हैं। जिसके सहारे यह श्रंखला के रूप में आगे बढ़े। 

खाद के बारे में जानें

खेती करने की दृष्टि से देखें तो 10 टन गोबर खाद पदार्थ प्रति हेक्टेयर डालने की जरूरत होती है। जिसमें आधी नाइट्रोजन खुराक यानी (75 किलो) मिलाई जाती है।

इसके साथ ही अच्छी खेती के लिए आप की खेती के स्थान और जरूरत के मुताबिक गोबर खाद और नाइट्रोजन खुराक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रति हेक्टेयर कितने तनों की जरूरत पड़ेगी

गिलोय की खेती के दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक हेक्टेयर के लिए आपको करीब 2500 या थोड़े ज्यादा तनों की जरूरत होगी।

गिलोय का निरोगी गुण खेती में कैसे उपयोगी?

जैसा कि हमने आपको बताया कि गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि युक्त पोधा है। इसलिए खेती करते वक्त गिलोय को पौधों में होने वाली कोई बीमारी परेशान नहीं करती। गिलोय पोधा अपने आप में इतना ताकतवर है की पौधों में होने वाले किसी भी तरह के  संक्रमण को आसानी से झेल भी लेता है और मात भी दे देता है। इस लिहाज से इस पौधे को किसी भी दवाई रूपी नियंत्रण की जरूरत नहीं पड़ती। इससे खेती करने वाले व्यक्ति के दवाई में लगने वाले पैसे में भी बचत हो जाती है।

कब होती है कटाई

गिलोय की खेती में कटाई अक्सर पतझड़ के मौसम में की जाती है। इस मौसम तक यह पौधा करीब 2.5 से 3 सेंटीमीटर तक बड़ा हो जाता है। इसे काटते समय इसकी जड़ों को अगर वहीं रहने दिया जाए तो यह फिर से उगने की क्षमता रखता है। 

कटाई के बाद गिलोय को छोटे-छोटे टुकड़ों में साफ-सुथरी और छायादार जगह पर बोरो में भरकर रखा जाता है। गिलोय की खेती कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक हर साल प्रति हेक्टर करीब 750 किलो तने उगाए जा सकते है।

आखिर में एक बड़ी खासियत जान लें...

इस पौधे की विशेषता है कि यह किसी भी पेड़ के सहारे उग सकता है और जिसके सहारे भी यह गिलोय उगता है उसकी विशेषता भी अपने अंदर धारण कर लेता है। उदाहरण के रूप में समझा जाए तो, इसे नीम के साथ उगाने पर यह नीम के गुणों को भी अपने अंदर धारण कर लेता है। नीम और गिलोय का मिश्रण काफी बेहतरीन माना जाता है। इसे नीम के पेड़ के साथ उगाने की सलाह हमेशा दी जाती है। जिसका कारण यह है कि नीम के साथ उगा हुआ गिलोय सबसे ताकतवर और लाभ पहुंचाने वाला होता है। 

गिलोय की अनगिनत विशेषताएं हैं, जिसको देखते हुए इसकी खेती ना सिर्फ आपको कमाई का जरिया दिलाती है, बल्कि दवाई के रूप में आपका साथ भी निभाती है।

हमे उम्मीद है कि गिलोय की खेती और इसे घर में उगाने जैसी तमाम जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। इस गुणकारी पौधे का फायदा लें और इसे उगाने हेतु जानकारी अच्छी लगी हो, तो बाकी लोगों को भी इससे अवगत कराएं।