ई-वेस्ट: इस साल कचरा हो जाएंगे 5.3 अरब फोन, ये है बड़ी वजह
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वर्तमान समय को डिजिटल वर्ल्ड digital world कहा जाता है, और इस डिजिटल दुनिया में लगातार नए-नए स्मार्टफोन smartphones लॉन्च किये जा रहे हैं। स्मार्टफोन का इतनी तेजी से अपग्रेड होना जलवायु और प्रकृति climate and nature के लिए बड़ा घतरा बन गया है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे electronic waste के निवारण पर काम करने वाली संस्था वेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट Waste Electrical And Electronics Equipment की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल भारत की आबादी के करीब चार गुना स्मार्ट फोन ई-कचरा बन जाएंगे। यानी दुनियाभर में करीब 5.3 अरब फोन फेंक दिए जाएंगे। वेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट (WEEE) ने कहा कि यह रिपोर्ट वैश्विक व्यापार के आंकड़ों global trade data पर आधारित हैं। WEEE के अनुसार पुराने फोन का दोहन करना काफी खतरनाक है और इससे जलवायु को नुकसान होता है।
ऐसे में इस फोन के कीमती सामानों को रीसाइकल recycle करना ही सबसे सही तरीका है। जबकि, ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा है, जो अपने पुराने फोन old phones को रीसाइकल करने के बजाय अपने पास रखे रहते हैं। यही ई-वेस्ट को लेकर बड़ी समस्या बनती जा रही है। ई-वेस्ट पैदा करने के मामले में भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश है। भारत India में हर साल करीब 10 लाख इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है, जिनमें सबसे ज्यादा मात्रा कंप्यूटर कचरे computer waste की होती है। इस कचरे में 70 फीसदी भारी धातुएं मिली होती है, जिनमें सीसा की मात्रा भी अधिक होती है।
डराने वाली बात यह है कि भारत में इतना अधिक ई-वेस्ट होने के बाद भी केवल 10 फीसदी तक ही इलेक्ट्रॉनिक कचरा इकट्ठा किया जाता है। वहीं WEEE की रिपोर्ट के अनुसार अगले 7-8 सालों में ही 7.4 करोड़ टन की दर से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा electric and electronic waste बढ़ने लगेगा। इस ई-वेस्ट में स्मार्टफोन के साथ अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस electronic devices का कचरा भी शामिल है।