महाकुंभ मेला में भीड़ मैनेज के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा

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महाकुंभ मेला में भीड़ मैनेज के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा
30 Nov 2024
7 min read

News Synopsis

संगम तट पर होने वाले Mahakumbh 2025 में आने वाले 45 करोड़ तीर्थयात्रियों की सेफ्टी, सिक्योरिटी और सेअमलेस मैनेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एआई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का लाभ उठाकर मानवता के सबसे बड़े समागमों में से एक को डिजिटल बना रही है।

भारी भीड़ पर नज़र रखने और 24/7 निगरानी सुनिश्चित करने के लिए पूरे मेला स्थल पर एआई-पावर्ड कैमरे लगाए जा रहे हैं। ये अत्याधुनिक कैमरे न केवल सिक्योरिटी को मजबूत करेंगे बल्कि मेले के दौरान बिछड़ने वाले व्यक्तियों को फिर से मिलाने में भी मदद करेंगे। यह मेला 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन शुरू होगा और 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा।

एआई कैमरों के अलावा फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खोए हुए रिश्तेदारों को खोजने में तत्काल सहायता प्रदान करेंगे, जिससे धार्मिक समागम के दौरान परिवारों को फिर से मिलाने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।

राज्य सरकार के के अनुसार मेला प्रशासन ने खोए हुए लोगों को खोजने के लिए एक एक्सटेंसिव प्लान तैयार की है। राज्य सरकार ने कहा "एक डिजिटल 'खोया पाया केंद्र' 1 दिसंबर से काम करना शुरू कर देगा, जिसमें परिवार से बिछड़े व्यक्तियों को फिर से मिलाने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा।"

उन्होंने कहा कि पूरे कुंभ क्षेत्र को 328 एआई-इनेबल्ड कैमरों से सुसज्जित किया जा रहा है, जिनका टेस्ट पहले ही चार प्रमुख स्थानों पर किया जा चुका है। उन्होंने कहा "ये कैमरे 24/7 भीड़ पर नज़र रखेंगे और खोए हुए व्यक्तियों का पता लगाने में सहायता करेंगे। राज्य सरकार के निर्देशों के तहत इन कैमरों की बड़े पैमाने पर स्थापना अपने अंतिम चरण में है।"

डिजिटल खोया-पाया केंद्र हर गुमशुदा व्यक्ति का विवरण तुरंत डिजिटल रूप से दर्ज कर लेंगे। रजिस्टर्ड होने के बाद AI-पावर्ड कैमरे व्यक्ति की खोज शुरू कर देंगे। इसके अतिरिक्त गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में जानकारी फेसबुक और माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की जाएगी, जिससे उन्हें जल्दी से जल्दी ढूँढना आसान हो जाएगा।

राज्य सरकार ने कहा कि महाकुंभ में खोए हुए व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा "यह एडवांस्ड सिस्टम तुरंत काम करेगी, तस्वीरें खींचेगी और अनुमानित 45 करोड़ उपस्थित लोगों में से व्यक्तियों की पहचान करेगी।" मेले में अपने परिवार से बिछड़े किसी भी व्यक्ति की देखभाल एक सुरक्षित, संगठित और रेस्पोंसिबल सिस्टम के तहत की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे कि कोई भी एडल्ट व्यक्ति किसी बच्चे या महिला की पहचान और संबंध की पुष्टि किए बिना उसे अपने कब्जे में न ले सके। इस पहल का उद्देश्य आयोजन में प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए परिवारों को फिर से मिलाने का एक सुरक्षित और एफ्फिसिएंट तरीका प्रदान करना है।

प्रयागराज मेला अथॉरिटी Prayagraj Mela Authority ने 4,000 हेक्टेयर के महाकुंभ क्षेत्र को 25 सेक्टरों में विभाजित किया है, जिससे यह इतिहास का सबसे बड़ा महाकुंभ स्थल बन गया है। एसडीएम को अपने-अपने क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण, प्रशासन और विभागीय समन्वय की निगरानी के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है। इन सेक्टर मजिस्ट्रेटों को पूरे आयोजन के दौरान कुशल शासन और जनता और प्रशासन के बीच सुचारू संचार सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई है।

अनुमान है, कि 45 करोड़ श्रद्धालु और एक लाख से अधिक कल्पवासी इस मेले में शामिल होंगे। इस बार महाकुंभ 2025 का स्वरूप अभूतपूर्व होगा। डेढ़ महीने तक चलने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में साधु-संत और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

प्रयागराज मेला अथॉरिटी ने सेक्टर मजिस्ट्रेटों की क्षेत्रवार सूची पहले ही जारी कर दी है, जिनमें से अधिकांश ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। एसडीएम मेला अभिनव पाठक के अनुसार शेष अधिकारियों को जल्द ही विभागीय जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाएगा और वे मेला क्षेत्र में अपने सेक्टर की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। ये सेक्टर मजिस्ट्रेट जन शिकायतों का प्रोम्प्ट सेटलमेंट करने के साथ ही महाकुंभ-2025 के सेअमलेस ऑर्गेनाइजेशन के लिए भी जिम्मेदार होंगे।