विश्व मानवाधिकार दिवस : आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार

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विश्व मानवाधिकार दिवस : आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार
09 Dec 2022
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मानवाधिकारों Human Rights का अर्थ ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं। दुनिया में सभी को समानता का अधिकार मिले, इस दुनिया में जो भी हैं सभी समान रूप से जीने का अधिकार रखते हैं।

दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता दी गई, जिसमें भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक मनुष्य को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। अत: प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस World Human Rights Day मनाया जाता है।

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के तहत मानवीय दृष्टिकोण और राज्य तथा व्यक्ति के बीच संबंध को लेकर कुछ सामान्य बुनियादी मूल्यों का एक सेट स्थापित किया है। मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।

मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला Nelson Mandela ने कहा था, ‘लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।’ 

मानवाधिकार Human Rights हम इंसानो के लिए अत्यधिक महत्व रखते हैं। मानवाधिकार अगर न हों तो इंसान का वजूद ना के बराबर होगा। हमारे लिए मानवाधिकार का होना उतना ही ज़रूरी है जितना इंसान का सांस लेना ज़रूरी है। इस दुनिया में सभी लोग अधिकारों के मामले में बराबर है।

सामान्य जीवन यापन के लिए प्रत्येक मनुष्य के अपने परिवार, कार्य, सरकार और समाज पर कुछ अधिकार होते हैं, जो आपसी समझ और नियमों द्वारा निर्धारित होते हैं। लोगों के बीच भाषा, नस्ल, रंग, लिंग, धर्म, अन्य विचार, संपत्ति, राजनीतिक आदि बातों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए इसलिए मानवाधिकार का निर्माण किया गया है।

\आपको बता दें कि मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की रक्षा protect human rights के लिए मनाया जाता है। लेकिन कई लोग यह नहीं जानते हैं कि मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है, मानवाधिकार Human Rights क्या हैं, मानवाधिकार क्यों इतने ज़रूरी हैं और इसके बारे में क्यों सबको जानना चाहिए।

तो चलिए, आज इस आर्टिकल में विश्व मानवाधिकार दिवस World human rights day के बारे में विस्तार से जानते हैं कि इस दिवस को मनाने के पीछे का क्या कारण और महत्व है। 

कैसे हुई विश्व मानवाधिकार दिवस को मनाने की शुरुआत Beginning Of Celebrating World Human Rights Day

मानवाधिकारों का अर्थ ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म Caste, Gender, Nationality, Language, Religion या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं।

किसी मनुष्य के साथ कोई भी भेदभाव नहीं हो यह मानव अधिकार है। मानव अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा Universal Declaration of Human Rights (UDHR) के तहत मानवीय दृष्टिकोण और राज्य तथा व्यक्ति के बीच संबंध को लेकर कुछ सामान्य बुनियादी मूल्यों का एक सेट स्थापित किया है।

मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, गरिमापूर्ण जीवन जीने एवं समानतापूर्वक जीने तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार Right to life and liberty, Right to freedom from slavery and torture, Right to freedom of expression and Right to work and education आदि शामिल हैं।

मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 10 दिसंबर 1948 को United Nations General Assembly संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए तिथि का चयन किया गया था। 10 दिसंबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) को अपनाया था।

दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता दी गई, जिसमें भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येगरिमापूर्ण जीवन जीने एवं समानतापूर्वक जीने गरिमापूर्ण जीवन जीने एवं समानतापूर्वक जीने का अधिकार मनुष्य को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं।

सन् 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व मानवाधिकार दिवस मनाना तय किया। भारत में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में लाया गया और 12 अक्टूबर 1993 राष्ट्रीय मानव आयोग का गठन किया गया। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस World human rights day के रूप में निश्चित किया गया।

विश्व मानवाधिकार दिवस 2022 थीम Human Rights Day 2022 Theme 

मानवाधिकार दिवस हर साल, एक अलग विषय के साथ मनाया जाता है। हर साल, संयुक्त राष्ट्र इस दिन के जश्न को और अधिक प्रभावशाली और उत्साहजनक बनाने के लिए मानवाधिकार दिवस के लिए एक अलग विषय चुनता है।

पिछले विषयों में समानता (2021), रिकवर बेटर (2020), यूथ स्टैंडिंग अप फॉर ह्यूमन राइट्स (2019) आदि शामिल हैं। मानवाधिकार दिवस 2022 के लिए थीम Dignity, Freedom, and Justice for All, गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय है। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 75वीं वर्षगांठ 10 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी।

इस साल 10 दिसंबर 2022 को मानवाधिकार दिवस से शुरू होकर, यूडीएचआर को प्रदर्शित करने के लिए एक साल का अभियान शुरू करेंगे। यूडीएचआर को 'सभी लोगों और राष्ट्रों के लिए उपलब्धि का एक सामान्य मानक' के रूप में तैयार किया गया था, और कहा गया है कि सभी मनुष्य नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के हकदार हैं।

मानवाधिकार क्या है What Is Human Rights?

मानवाधिकार हम इंसानो की वह ताकत है जो आपको अपने अधिकार के बारे में बताते हैं। यह हमारे लिए एक अनमोल उपहार की तरह है। किसी भी मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन जीने हेतु प्रकृति द्वारा प्रदत नैसर्गिक एवं राष्ट्र द्वारा प्रदत अधिकारों को ही मानवाधिकार कहा जाता है। आपको इनके बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। चलिए जानते हैं इन मानवाधिकारों Human Rights के बारे में-

  • मानवाधिकारों Human Rights में प्रमुख रूप से जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, गरिमापूर्ण जीवन जीने एवं समानतापूर्वक जीने का अधिकार, काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल है।

  • मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) की स्थापना की गई।

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को प्राप्त हैं।

  • कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हक़दार है।

  • मानवाधिकार सभी मनुष्यों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। 

  • किसी भी इंसान की ज़िंदगी, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है- "मानवाधिकार"

  • मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, जिसकी 'भारतीय संविधान' न केवल गारंटी देता है, बल्कि इसका उल्लंघन करने वालों को अदालत सजा भी देती है। 

अपने अधिकार के बारे में जानें Know Your Rights

भारत में मानवाधिकारों Human Rights की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी कई सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। आप लोगों को यह पता होना चाहिए कि सब लोग गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं, मतलब सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।

हर किसी को परस्पर भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के अधिकार और स्वतंत्रता दी गई है। Human rights are eternal values, मानवाधिकार शाश्वत मूल्य हैं। इसे व्यक्तिगत हित साधन में उपयोग में लाना वैश्विक और भारतीय दोनों ही दृष्टि से उपयुक्त नहीं है। 

सबसे बड़ी बात यह है कि नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि जैसी बातों पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। फिर चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो, या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फर्क नहीं रखा जाएगा। 

अधिकारों की श्रृंखला में मानवाधिकार को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे पास केवल इसलिए हैं, क्योंकि हम मानव है वे किसी भी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किए गए हैं। राष्ट्रीयता, लिंग, जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा, या किसी अन्य के कारण भेदभाव किए बिना, ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी के लिए प्रकृति प्रदत्त हैं और इन अधिकारों का अतिक्रमण, विश्व के किसी भी देश या किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया किया जाना चाहिए ।

यह दिन युवा केंद्रित है

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सभी के लिए सतत विकास लक्ष्यों Sustainable Development Goals को प्राप्त करने के लिए युवाओं की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण Youth participation most important है। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि सकारात्मक बदलाव लाने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

युवाओं को उनके अधिकारों को जानने के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है जिससे वो अधिकारों के विषय में सबको जागरूक करके अपने अधिकारों का दावा कर सकें और विश्व स्तर पर सबको लाभान्वित कर सके।

सभी मनुष्यों को मानव अधिकारों के बारे में जागरूक जरुरी है। यह दिन बड़े राजनीतिक सम्मेलनों और बैठकों का आयोजन करके और मानव अधिकारों के मुद्दों से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा मनाया जाता है।

इसके अलावा इस दिन मानवाधिकार के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार और नोबेल शांति पुरस्कार United Nations Prize and Nobel Peace Prize प्रदान किया जाता है। विभिन्न स्तर पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठन द्वारा मानवाधिकार क्षेत्र से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR)

  • संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) को पारित किया गया था।

  • इसके अंतर्गत अधिकारों और स्वतंत्रताओं से संबंधित कुल 30 अनुच्छेदों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जीवन, स्वतंत्रता और गोपनीयता जैसे नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।

  • भारत ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के प्रारूपण में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

  • यह किसी भी प्रकार की संधि नहीं है। यानि यह प्रत्यक्ष तौर पर किसी भी देश के लिये कानूनी दायित्त्व निर्धारित नहीं करता है।

  • मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR), को ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक’ (International Bill of Human Rights) के रूप में जाना जाता है। 

मानवाधिकार के उद्देश्य Human Rights Objectives

सभी मनुष्यों को मानव अधिकारों के बारे में जागरूक करने एवं मानव अधिकारों के संरक्षण एवं सुरक्षा Protection and Security of Human Rights को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवर्ष मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना आवश्यक है।

मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है, मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। समानता, शांति, न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की सुरक्षा को बढ़ावा देना मानवाधिकार का उद्देश्य है।

प्रत्येक व्यक्ति जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा या सामाजिक स्थिति के भिन्न होने के बावजूद मानवाधिकारों का हकदार है। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानव द्वारा मानव का शोषण हो रहा है।

अत्याचार को रोकना एक बेहद ज़रूरी कार्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का सबको अधिकार है। हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद धर्म और जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है।

आदमी चाहे कोई भी हो, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा, सभी केवल इंसान हैं और सभी मनुष्यों को समानतापूर्वक जीने का अधिकार प्राप्त होना जरुरी है। सभी मनुष्य नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के हकदार हैं।