इंसान में सूअर की किडनी ही क्यों ? जानें रहस्य
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लाखों लोगों के मन में इस सफल ऑपरेशन के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंसान में सूअर की किडनी का प्रयोग ही क्यों हुआ। किसी और जानवर का भी तो किया जा सकता था। आज हम आपको इस बात का रहस्य बताएंगे।
कुछ दिन पूर्व अमेरिका के बेहतरीन डॉक्टरों ने इंसान में सूअर की किडनी लगाने का सफल ऑपरेशन किया। ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ है। यह एक अनूठा ऑपरेशन था। जिसे पूरी दुनिया की सराहना मिल रही है। अमेरिका के डॉक्टरों ने जिस तरह यह ऑपरेशन सफल बनाया है, किडनी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीज अब उम्मीद लगा सकते हैं कि उन्हे आने वाले भविष्य में कुछ राहत मिल सकती है।
देश और दुनिया में ऐसे कई आंकड़े सामने आते हैं जिसमें पता चलता है कि किडनी से जुड़ी समस्या झेल रहे मरीजों को कोई किडनी का डोनर नहीं मिला। कई मरीज तो इसके चलते जान भी गंवा देते हैं, लेकिन अब इस तरह की उपलब्धि मिल जाने के बाद दुनिया में एक उम्मीद भी जगी है कि किसी जानवर की किडनी भी इंसानों में काम आ सकती है। लाखों लोगों के मन में इस सफल ऑपरेशन के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंसान में सूअर की किडनी का प्रयोग ही क्यों हुआ। किसी और जानवर का भी तो किया जा सकता था। आज हम आपको इस बात का रहस्य बताएंगे।
पहले जान लें कैसा हुआ यह अनूठा ऑपरेशन
इंसान में सूअर की किडनी इस्तेमाल का यह अनूठा ऑपरेशन एक ऐसे व्यक्ति के शरीर में किया गया जिसका पहले ही ब्रेन डेड हो चुका था। अगर आपको यह नहीं पता कि ब्रेन डेड व्यक्ति कैसे होता होते हैं, तो जान लीजिए, वह व्यक्ति जिनका दिमाग काम करना बंद कर देता है, लेकिन उनके शरीर के दूसरे कुछ अंग काम कर सकते हैं, जैसे की लीवर, किडनी। इसी तरह के दिमागी रूप से डेड व्यक्ति के शरीर में अमेरिकी डॉक्टरों ने सूअर की किडनी लगाने का प्रयत्न किया और उसमें सफल रहे। इस अनूठे ऑपरेशन के बाद करीब 54 घंटे तक डॉक्टरों ने व्यक्ति की जांच की और पाया की प्रतिक्रिया सामान्य है। जिसके बाद इस ऑपरेशन को सफल घोषित किया गया।
यह प्रक्रिया कहलाती है (Xenotransplantation)
विज्ञान की भाषा में समझा जाए तो एक जीव शरीर से दूसरे जीव के शरीर में किसी जीवित सेल्स, टिशू या अंग को लगाने की प्रक्रिया को (Xenotransplantation) कहा जाता है।
आपके सवाल का जवाब जान लें
आप को इस उत्तर का इंतजार होगा कि आखिर इंसानी शरीर में सूअर की किडनी का ही इस्तेमाल क्यों किया गया। इस मामले पर जब चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों से बात की गई तो उन्होंने माना है कि काफी शोध के बाद यह बात सिद्ध थी कि सूअर की किडनी इंसानी शरीर के लिए सही थी, लेकिन इसमें दिक्कत भी थी। सूअर के शरीर में एक शुगर सेल मौजूद था। जिसे अल्फा-गल बोला जाता है। इस तरह के सेल से इंसानी शरीर को खतरा हो सकता था। इस समस्या के निदान के लिए सूअर को जेनेटिक रूप से बदल दिया गया। जिसके बाद इंसान में सूअर की किडनी लगाने की इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इसके अलावा अगर जानकारों की मानें तो सूअर की किडनी इंसानों की किडनी से काफी मेल रखती है और कुछ गुण भी मिलते है।
क्या है इस प्रक्रिया का भविष्य
अगर इस पूरी प्रक्रिया को भविष्य के स्तर पर देखा जाए तो कई चिकित्सा विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले 2 वर्ष के बीच या फिर बाद में इसका परीक्षण इंसान पर किया जा सकता है।
एक तरफ चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा इस तरह की बड़ी सफलता हासिल की गई, दूसरी तरफ सबके मन में यह सवाल भी पनप रहे हैं कि सूअर की किडनी अगर इंसानों की बीमारियों में इस्तेमाल होने लगी तो क्या सभी लोग इसे स्वीकार कर पाएंगे। अब देखना यह है कि आखिर आने वाले भविष्य में इस तरह की पद्धति का किस तरह इस्तेमाल हो पाता है।
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