कौन सी पी थी घुट्टी, जो 17 साल की पढ़ाई में एक भी दिन नहीं ली छुट्टी…
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याद है बचपन में हम लोग स्कूल जाते वक़्त कितनी आना-कानी करते थे। स्कूल का नाम सुनते ही पेट में दर्द होने लगता था। अगर हम आपसे पूछें कि आप कितने दिन स्कूल या कॉलेज नहीं गए, तो आप शायद न बता पाएं। और ये आप ही क्या, हम भी नहीं बता सकते। ऐसे ही अगर आपको पता चले कि हमारे बीच एक ऐसा भी शख्स है, जिसने 17 साल की स्कूलिंग में एक भी दिन छुट्टी नहीं ली, तो किसी को भी इस बात पर यकीन होना मुश्किल है।
याद है बचपन में हम लोग स्कूल जाते वक़्त कितनी आना-कानी करते थे। स्कूल का नाम सुनते ही पेट में दर्द होने लगता था। अगर हम आपसे पूछें कि आप कितने दिन स्कूल या कॉलेज नहीं गए, तो आप शायद न बता पाएं। और ये आप ही क्या, हम भी नहीं बता सकते। ऐसे ही अगर आपको पता चले कि हमारे बीच एक ऐसा भी शख्स है, जिसने 17 साल की स्कूलिंग में एक भी दिन छुट्टी नहीं ली, तो किसी को भी इस बात पर यकीन होना मुश्किल है।
अगर आप भी इस शख्स के बारे में जानने को उतावले हो रहे हैं, तो मिलिए तमिलनाडु के जी.वी.विनोथ कुमार से। यही वो शख्स हैं, जिन्होंने L.K.G. से लेकर ग्रेजुएशन तक एक भी दिन स्कूल नहीं छोड़ा। चाहें कभी आंधी आये या तूफ़ान, विनोथ के कदम नहीं रुके और यही कारण है कि विनोथ को अपनी परफेक्ट हाज़िरी के लिए अभी तक 19 सर्टिफिकेट मिल चुके हैं। उनका सफर अब भी जारी है।
विनोथ ने बताया कि जब 12वीं पास करने के बाद स्कूल से परफेक्ट अटेंडेंस का सर्टिफिकेट मिला, तब उन्हें यह रिकॉर्ड बनाने का आइडिया आया। विनोथ अब 19 साल का परफेक्ट अटेंडेंस का रिकॉर्ड कायम कर India Book of Records और Guinness Book of Records में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते हैं।
विनोथ बताते हैं कि उनके पिता शिक्षक हैं। विनोथ के घरवालों ने उसे स्कूल जाने के लिए हमेशा प्रेरित किया। उनके पिता ही उन्हें हर दिन स्कूल छोड़ कर आते थे। विनोथ के दोस्त जब ट्रिप पर जाते हैं, तो वो उनके साथ न जाकर घर पर ही अपने सपनों की तैयारी करते हैं, क्योंकि विनोथ मानते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
अपने लक्ष्य को पाने के लिए किन - किन बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है , आइये उन बातों पर नज़र डालते हैं -
ध्यान केंद्रित करना (Focus) -
किसी भी काम को परिपूर्णता से करने में फोकस की अहम् भूमिका है। फोकस के बिना हम कुछ भी करने में असमर्थ रहते हैं और इधर उधर भटकते रहते हैं। इसके लिए पहले आपको यह तय करना है कि आपको क्या करना है और जो करना है वो क्यों करना है । तो सबसे पहले अपनी यह धारणा बदलिए कि हमें दुनिया के बनाये हुए रास्ते पर चलना है। अपने रास्ते खुद बनाइये उन पर अपना ध्यान केंद्रित करिये जब तक आपको अपने लक्ष्य में सफलता नहीं मिल जाती। फोकस करने से हमको सफलता जल्दी मिल जाती है।
समर्पण (Dedication ) -
अपने लक्ष्य को पाने के लिए खुद को समर्पित करना पड़ता है। अगर आपके दिमाग में अपने सपने को पूरा करने के अलावा कुछ नहीं आता तो इसका मतलब है कि आपने खुद को अपने काम के प्रति समर्पित किया हुआ है। आपके अंदर पागलपन है अपने लक्ष्य को लेकर और यही पागलपन आपको शीर्ष पर ले जाता है। अगर हम उन लोगों की बात करें जिन्होंने इतनी कम उम्र में एक विशिष्ट क्षेत्र में नाम बनाया है तो सोचिये वो कितने समर्पित रहे होंगे अपने लक्ष्य को लेकर। तो आप भी ठान लीजिये कि मुझे भी अपने सपने को पाने के लिए रात दिन एक कर देना है। डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी कहते थे कि सपने वो नहीं होते जो आप नींद में देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको नींद ही नहीं आने देते।
10,000 घंटे का नियम ( Ten Thousand Hours Rule ) -
"मैलकम ग्लैडवैल " द्वारा सफलता या किसी कार्य में महारत हासिल करने हेतु 10,000 घंटे के नियम का प्रतिपादन किया गया है | यह नियम कहता है कि यदि आपको किसी क्षेत्र में विशेष सफलता या विशेषज्ञता प्राप्त करनी है तो उससे पहले आपको कम से कम 10,000 घंटे का समय उस कार्य में निवेश करना होगा | अगर हम उदाहरण के तौर पर क्रिकेट की बात करें तो सचिन तेंदुलकर, मास्टर ब्लास्टर ऐसे ही नहीं माने जाते हैं, वो टीम में आने से पहले 10,000 घंटे का अभ्यास कर चुके थे। बिल गेट्स भी हार्वर्ड छोड़ने से पहले 10,000 घंटे की प्रोग्रामिंग कर चुके थे। आप कोई भी क्षेत्र उठा कर देख लें जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में अपना नाम कमाया है। सभी कड़ी मेहनत और हज़ारों घंटों के अभ्यास के बाद ही एक अलग मुकाम पर पहुंचे हैं।
घंटे की गुणवत्ता (Quality of hours ) -
हम सब जानते ही हैं कि हम सबके पास दिन के 24 घंटे ही होते हैं। इन्हीं 24 घंटों में सब कुछ व्यवस्थित करना पड़ता है। इसलिए सबसे पहले अपने दिनचर्या की एक सूची बनायें और उसी के आधार पर अपने कार्यों का वितरण करें। इस मानसिकता के साथ काम न करें कि आप इसे बोझ लिए कर रहे हैं। अगर अपने काम में रुचि लेकर करेंगे तो आप अच्छा महसूस करेंगे और आपको वक़्त का पता ही नहीं चलेगा। कोई भी काम बस मेहनत से पूरा नहीं होता उसके लिए आपको सही सोच पर काम करना पड़ेगा। आपको वक़्त का सदुपयोग करना आना चाहिए तभी आप वक़्त पर अपने लक्ष्य को पा सकेंगे।
विनोथ की कहानी को साझा करने का हमारा यही मक़सद है कि दुनिया में कुछ भी करना असंभव नहीं है। यह शख़्स तो एक उदाहरण है जिसके जीवन से हम समझ सकते हैं कि अपने सपनों को कैसे पूरा किया जाये। अपने सपने को पूरा करने में जुट जाओ और तब तक मत रुको जब तक आपके सपने पूरे ना हो जाएँ।
मंज़िल यूँ ही नहीं मिलती राही को
जूनून सा दिल में जगाना पड़ता है,
किसी ने पूछा चिड़िया से घोंसला कैसे बनता है
वो बोली, तिनका-तिनका उठाना पड़ता है....
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