ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी क्या है ?

Share Us

6598
ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी क्या है ?
17 Jan 2022
6 min read

Blog Post

Green इकोनॉमी इस बात पर जोर देती है कि क़ुदरती संसाधनों के संरक्षण के लिए जो लक्ष्य तय किए गए हैं, उन्हें हासिल किया जाए। मानव के विकास का पथ ऐसा होना चाहिए जिसमें वो क़ुदरती संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ तरक़्क़ी कर सके और दोनों ही ख़ुशी से साथ रह सकें। पर्यावरण को संरक्षित रखते हुये विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना ही Green growth ग्रीन ग्रोथ है। जब पर्यावरण को बचाने के साथ आर्थिक विकास भी हो तो ये ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी कहलाता है। ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी के लिए कुछ जरुरी कदम उठाने आवश्यक हैं। पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी आवश्यक है।

औद्योगिक क्रांति के पश्चात् वैश्विक स्तर  पर जिस प्रकार से उद्योगों का प्रसार हुआ उससे भारी मात्र में कार्बन उत्सर्जन carbon emission हो रहा है। वायु प्रदूषण Air pollution, जल प्रदूषण Water Pollution एवं मृदा प्रदूषण soil pollution में वृद्धि हुयी है तथा जैवविविधता Biodiversity के लिए संकट उत्पन्न हुआ है। इस कारण पर्यावरण environment को काफी नुकसान पहुँचा है। हमें पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ आर्थिक विकास Economic Development को भी बढ़ाना है और इस आर्थिक विकास और पर्यावरण का संबंध है Green growth economy ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी से। चलिए जानते हैं कि क्या है Green growth इकोनॉमी और यह  क्यों  आवश्यक है। 

क्या है Green growth इकोनॉमी 

हरित अर्थव्यवस्था आर्थिक financial, पर्यावरणीय तथा सामाजिक हितों environmental and social interests को बनाए रखने तथा उन्हें आगे बढ़ाने पर बल देती है। ऐसा आर्थिक विकास जो protect the environment पर्यावरण की रक्षा या संरक्षण करते हुए प्राप्त किया जाता है उसे ग्रीन ग्रोथ (Green Growth) कहते हैं और इसी ग्रीन ग्रोथ वाली अर्थव्यवस्था को ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी कहा जाता है। एक निम्न कार्बन (Low Carbon), संसाधन कुशल (Resource Efficient) एवं सामाजिक रूप से समावेशी (Socially Inclusive) अर्थव्यवस्था को ग्रीन इकोनॉमी कहते हैं। हरित अर्थव्यवस्था आने वाले भविष्य को ज़्यादा से ज़्यादा हरा भरा बनाने पर जोर देती है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ-साथ balance the environment पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए अब ‘हरित विकास’ या Green Growth के विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर हम ऐसा करते हैं तो हम जरूर विकास की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ साथ प्रकृति के संरक्षण conservation of nature का काम भी कर सकेंगे। हरित विकास से तात्पर्य है कि आर्थिक विकास के लिए हम जिन भी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं हमें उसके साथ-साथ उनकी जगह पर नए संसाधन विकसित करने की व्यवस्था भी करनी चाहिए। विकास दर के मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए हमें नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के ऐसे संसाधन विकसित करने होंगे, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। 

क्यों जरुरी है ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी 

ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी जरुरी है क्योंकि आर्थिक विकास के लक्ष्य के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को भी साथ-साथ ले के चल सकें और हम exploitation of natural resources प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से बच सकें। बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या problem of climate change से निपटने के लिए ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। क़ुदरती संसाधनों के संरक्षण के लिए, प्रदूषण से बचने के लिए, विकास और संरक्षण के लक्ष्यों को एक साथ हासिल करने के लिए और दूसरा ये कि पारिस्थितिकी को बचाए रखने preserve the ecology की प्रक्रिया के साथ-साथ आर्थिक विकास की दर के स्तर को भी हासिल करने के लिए ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी जरुरी है। इन सब बातों पर ही ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी की बुनियाद टिकी है। ग्रीन इकोनॉमी के द्वारा विकसित देशों में विकास और आर्थिक समृद्धि की जो मौजूदा सोच है, उसे बदलने की ज़रूरत है। अपने विकास के लक्ष्य हासिल करने के लिए एक नई सोच को विकसित करना होगा। आर्थिक कार्यकुशलता और पर्यावरण को मजबूत करने और बचाने के लिए ग्रीन ग्रोथ आवश्यक है। Sustainable growth और सतत् विकास के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी जरुरी है। हरित अर्थव्यवस्था के द्वारा Increase in employment and income रोजगार एवं आय में वृद्धि इस प्रकार की आर्थिक गतिविधियों द्वारा की जाती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन एव प्रदूषण में कमी, ऊर्जा व संसाधन कुशलता में वृद्धि तथा जैवविविधता व पारितंत्र के संरक्षण Biodiversity and ecosystem protection में आगे बढ़ सके। 

ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी के लिए आवश्यक कदम 

हमें ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी के लिए कुछ जरुरी कदम उठाने चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग Global warming का ख़तरा हमारे पर्यावरण को लगातार नुक़सान पहुंचा रहा है। मानवजनित गतिविधियों anthropogenic activities के चलते कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन दर बढ़ा है। दुनिया के अस्तित्व के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम से कम प्रति वर्ष 3-6 फ़ीसदी की दर से कम करना होगा। उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था और वो कॉरपोरेशन जिनकी वैश्विक मौज़ूदगी है उनके द्वारा उठाए गए कदम निश्चित तौर पर इस पर अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं। दुनिया भर में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है और दुनिया में कई अर्थव्यवस्थाएं कार्बन आधारित प्रोजेक्ट carbon based project की ओर अग्रसर हैं। सरकारों को कार्बन उत्सर्जन के शून्य स्तर तक पहुंचने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्णायक भूमिका निभाने के साथ घरेलू स्तर पर इसे लेकर सख्त क़दम उठाने की ज़रूरत है। ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी के लिए हरित ऊर्जा का प्रमख स्थान है। हरित ऊर्जा यानि सौर solar, पवन wind, nuclear and hydroelectric energy नाभिकीय एवं जलविद्युत ऊर्जा से है। मतलब ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी में परिवहन के ऐसे साधनों का प्रयोग जरुरी है जिनसे कम से कम कार्बन उत्सर्जन हो। जैसे सीएनजी चालित वाहनों CNG powered vehicles, इलेक्ट्रिक वाहनों electric vehicles आदि को बढ़ावा देना चाहिए। इसके साथ ही हरित उद्योगों का विकास development of green industries किया जाना चाहिए। इसके लिए धुएँ को अत्याधुनिक चिमनियों से फिल्टर किया जाना चाहिए। इसके अलावा हरित कृषि green farming को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। घर भी ऐसे बने हो जहाँ तक हो सके प्राकृतिक ऊर्जा से जरुरत पूरी हो जाए। पर्यावरण के लिए अनुकूल औद्योगिक समाधान को बढ़ावा देने की भी ज़रूरत है। जैसे कि मोरक्को Morocco ऐसा देश है जिसने अपनी ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए सोलर solar फार्म को स्थापित किया जिससे बहुत हद कार्बन उत्सर्जन की दर को कम किया गया।