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भारत में ऐसी अनगिनत जगह हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने पर मजबूर कर देती हैं। जो एक बार भारत में आ जाए वे शायद यहाँ से दोबारा वापस न जाना चाहे। भारत की हर जगह इतनी खूबसूरत है कि इसकी ख़ूबसूरती बयां करने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि देखते ही मन को मोह लेती है। ख़ूबसूरती के अलावा यहाँ कुछ ऐसी जगह भी हैं जिनके बारे में सुन के शायद कोई विश्वास न करें पर देखने के बाद सारा भ्रम यकीन में बदल जायेगा और इन अद्भुत और हैरान करने वाली जगहों को कभी भुला नहीं पायेगा।
भारत को सबसे खूबसूरत देशों में गिना जाता है। रोचक और आश्चर्य पहलूओं से भरा हुआ है अपना देश। भारत में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जो बहुत ही हैरान करने वाली हैं इसलिए इसे अविश्वसनीय भारत भी कहा जाता है। भारत की इन्ही खूबियों के कारण यहाँ पर्यटक खिंचे चले आते हैं। यहाँ के खूबसूरत पहाड़, बीच, नदियाँ, खेल, ऐतिहासिक इमारतें, होटल, मन को रोमांचित करने वाली जगहें और भी बहुत कुछ विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। अगर आप एक बार भारत में आ गए तो यहाँ की अविस्मरणीय यादों को आप आजीवन भुला नहीं पाओगे इसलिए पर्यटन के हिसाब से भारत को काफी अच्छी जगह माना जाता है। ऐसी ही कुछ अद्भुत जगहें हैं जो आपने पहले कभी नहीं देखी होंगी।
एशिया का सबसे साफ़-सुथरा गॉंव
गाँव तो आपने बहुत सारे देखे होंगे पर ये गाँव कुछ हटकर है। ये गाँव इतना स्वच्छ है कि आप देखोगे तो बस देखते रह जाओगे। ये गाँव परमात्मा का बगीचा के नाम से प्रसिद्ध है। इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव भी कहा जाता है यह गाँव मेघालय के चेरापूँजी मावलयनोंग में पड़ता है। सबसे बड़ी बात इस गाँव की यह है कि यहाँ साक्षरता दर 100% है। यहाँ के लोग पढ़े-लिखे होते हैं। इस गांव का नाम साफ़ सफाई के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर तक जा चुका है। यहाँ पर बहुत ही खूबसूरत पर्वत और झरने भी हैं। मावल्यान्नॉंग की सड़कों को देखकर आपको खुद ही पता चल जाएगा कि इस गाँव को यह उपाधि क्यों दी गई है। यहाँ हर तरफ हरियाली है और सड़कों पर पत्ते तक दिखाई नहीं देंगें। हर घर के बाहर कूड़े के लिए बांस से बना कूड़ादान है। पूरी दुनिया में ये गाँव किसी मिसाल से कम नहीं है। यहां के लोग सिर्फ अपने घरों में ही नहीं बल्कि सड़कों पर भी सफाई रखते हैं और पूरा ध्यान रखते हैं कि कहीं भी कोई गंदगी न हो। ये गाँव पुरुष प्रधान नहीं बल्कि महिला प्रधान है और यहां पर बच्चे अपनी माँ का सरनेम लगाते हैं। इस वजह से भी ये गाँव खास है।
काले जादू की धरती
असम में एक गाँव है मरयोंग जो काले जादू की धरती के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस धरती का नाम संस्कृत शब्द के माया नाम से पड़ा है। यहाँ पर ऐसी कथाएं प्रचलित हैं कि लोग गायब हो जाते हैं और जानवरों में भी बदल जाते हैं। यहाँ पर लोग जादू टोना भी करते हैं इसलिए इसे जादू की धरती भी कहा जाता है। इस गांव के नज़दीक पोबीतोरा वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। यदि आपको जीवन में घूमने का मौका मिले तो इस जगह जरूर जाना। बहुत सारे रहस्यों से भरपूर है ये गाँव।
कंकालों की झील
इसे रूपकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है। यह झील उत्तराखंड के चमोली जिले में है। हिमालय पर समुद्र तल से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूपकुंड झील में समय-समय पर बड़ी संख्या में कंकाल पाए जाते हैं। इन घटनाओं ने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाला हुआ है। झील के आस-पास यहां-वहां बिखरे कंकालों की वजह से इसे 'कंकाल झील' अथवा 'रहस्यमयी झील' भी कहा जाने लगा है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस स्थान के इतिहास की जितनी कल्पना की गई थी वह उससे भी जटिल है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि दो प्रमुख आनुवंशिक समूह एक हजार साल के अंतराल में वहां मारे गए होंगे।
साँपों की धरती
महाराष्ट्र में एक गांव है जो शेत्फेल नाम से जाना जाता है। ये महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में पड़ता है। इस गांव के लोग सांपों की पूजा करते हैं। इस गांव में हर किसी के घर में कोबरा होता है और हर घर में कोबरा के लिए एक अलग जगह बनायी जाती है और इस स्थान को देवस्थानम यानी देवताओं का निवास स्थल कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सांपों को भगवान शंकर से संबंधित माना गया है। इन लोगों की पूजा का असर भी होता ही है क्योंकि अभी तक किसी भी इंसान को सांपों ने काटा नहीं है। इनसे बच्चे भी आराम से खेलते हैं। किसी को भी इन सांपों को देखकर डर नहीं लगता है। इस गांव के घरों में सांप कुछ ऐसे घूमतें हैं जैसे वे कोई खतरनाक जीव न होकर परिवार का हिस्सा ही हों। लोग सांपों को अपने परिवार का ही एक सदस्य मानते हैं। हर कोई इन सांपों की उपस्थिति से बेपरवाह अपने-अपने काम करते रहते हैं।
चूहों का मंदिर
हमारे देश में जानवरों को भगवान की तरह ही पूजा जाता है। ऐसा ही एक मंदिर है राजस्थान के बीकानेर शहर में देशनोक कस्बा, यहाँ पर करणी माता की पूजा की जाती है। यहाँ पर करीब 25 हजार चूहे हैं। इन चूहों को बड़े ही सम्मान के साथ पूजा जाता है। लोग इनको प्रसाद चढ़ाते हैं। इस मंदिर में आपको चूहे ही चूहे दिखाई देंगे। जब भी किसी खाने की चीज को अगर चूहे छू लेते हैं तो हम उसे फेंक देते है, क्योंकि उसको खाने से बीमार होने की संभावना रहती है, लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है जहां चूहों का झूठा किया हुआ प्रसाद मिलता है। यहां पर काले चूहों के साथ कुछ सफेद चूहे भी होते हैं, जिन्हे ज्यादा पवित्र माना जाता है। सफ़ेद चूहों को माता करणी की संतान माना जाता है।
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