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दर्द ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी सीख है, सोना और हीरा भी पिघल कर बनता है, जबतक हम टूटते नहीं हैं, तब तक हम सीखते नहीं। हर हार एक सीख होती है, लेकिन अब यह भी नहीं कि इसी तरह हमेशा हार के ही सीखा जाये, दरअसल हार से हमें जीतना सीखना है। सारे दर्द को सह कर खुद को मजबूत कर प्रत्येक हार जीत कर ही कठिनाइयों को पार कर के ही हम सच में ज़िन्दगी की असलियत को समझ सकते हैं। इसी दौरान हम अपनों में वास्तविक रूप से अपनों की तलाश कर सकते हैं।
दर्द ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी सीख है, सोना और हीरा भी पिघल कर बनता है, जबतक हम टूटते नहीं हैं, तब तक हम सीखते नहीं। हर हार एक सीख होती है, लेकिन अब यह भी नहीं कि इसी तरह हमेशा हार के ही सीखा जाये, दरअसल हार से हमें जीतना सीखना है। सारे दर्द को सह कर खुद को मजबूत कर प्रत्येक हार जीत कर ही कठिनाइयों को पार कर के ही हम सच में ज़िन्दगी की असलियत को समझ सकते हैं। इसी दौरान हम अपनों में वास्तविक रूप से अपनों की तलाश कर सकते हैं।
हौंसला अफजाई के लिए हमारे पास बहुत से उदाहरण हैं, जिनकी ज़िन्दगी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जिनमें से एक नाम शामिल हैं ए आर रहमान, दुनिया में नाम और शौहरत कमाने वाले संगीतकार ने जीवन की कितनी कठिनाइयों को सहकर यह मुकाम हासिल किया है, शायद ही हम यह महसूस कर सकते हैं। आज जो चमक हम देखते हैं वह कभी अँधेरे में जुगनू के समान थी जिसे उन्होंने अपने विश्वास और कठिन परिश्रम के बदौलत सूरज की रौशनी में तब्दील कर दिया।
ए आर रहमान के पिता का नाम शेखर था। जिनकी कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई थी और जो एक म्यूजिशियन भी थे। वह एक musician होने के साथ-साथ एक बहुत ही नेक इंसान भी थे। लेकिन जिस वक्त रहमान की पिता की मौत हुई उस वक्त उनकी उम्र बहुत ही छोटी थी और उनकी घर में रोजी रोटी कमाने वाला कोई भी मौजूद नहीं था। उनकी बहन उनसे बड़ी थी और उस वक्त रहमान स्कूल में पढ़ रहे थे लेकिन उनको घर भी चलाना था इसीलिए उन्होंने स्कूल छोड़कर म्यूजिक पर अपना पूरा ध्यान लगा दिया सिर्फ अपनी मां के कहने पर और पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से तथा ज़्यादा समय ना दे पाने की वजह से कई बार अपने स्कूल में मार भी खानी पड़ी।
लेकिन धीरे-धीरे हालात सुधारते हुए और पहले तरह-तरह के संगीत सीखने और काम करने के बाद खुद को स्थापित किया। रहमान को भारत के सबसे प्रसिद्ध निर्देशकों में से एक मणिरत्नम ने अपनी फिल्म में म्यूजिक कम्पोज़ करने का मौका दिया और पहली ही फिल्म रोज़ा में उन्होंने नेशनल अवार्ड हासिल कर लिया। इसके बाद से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दर्द ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी सीख है, सोना और हीरा भी पिघल कर बनता है, जबतक हम टूटते नहीं हैं, तब तक हम सीखते नहीं। हर हार एक सीख होती है, लेकिन अब यह भी नहीं कि इसी तरह हमेशा हार के ही सीखा जाये, दरअसल हार से हमें जीतना सीखना है। सारे दर्द को सह कर खुद को मजबूत कर प्रत्येक हार जीत कर ही कठिनाइयों को पार कर के ही हम सच में ज़िन्दगी की असलियत को समझ सकते हैं। इसी दौरान हम अपनों में वास्तविक रूप से अपनों की तलाश कर सकते हैं।
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