आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है

Share Us

10131
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है
31 Jul 2021
8 min read

Blog Post

हम आज ऐसे वातावरण का हिस्सा हैं जिसको बनाने और बिगाड़ने का श्रेय हम लोगों को ही जाता है। हम हमेशा अवसर की तलाश में ही बैठे रहते हैं। स्वयं से आगे बढ़ने की सोच को उजागर करना पड़ेगा। हम लोग कुछ ऐसा सोंचें जिससे एक व्यवसाय भी मिल जाए और प्रकृति को कोई नुकसान भी ना हो। इस लेख में हमने उन्ही कुछ बिंदुओं पर बात की है। जो हम कम लागत में भी शुरू कर सकते हैं और ये सबसे अलग भी है।

हमारे पास रोज़गार की कमी नहीं है, हमें ज़रूरत है तो बस इच्छाशक्ति की । अगर हम खाली हैं और हमारे पास रोजगार नहीं है, तो इसके ज़िम्मेदार हम ख़ुद हैं। क्यों कि हम दूसरों पर आश्रित हैं । इसलिए अवसर की तलाश में समय को बर्बाद ना करें ख़ुद को अवसर मानकर कुछ बेहतर कुछ नया करने की कोशिश करें।  हमने जाना कि प्रकृति बस पैसों से नहीं चलती, हमारी सोच से भी आगे बढ़ सकती है। हमारी सकारात्मक सोच हमें बेहतर जीवन की ओर ले जाती है।

आज हम ऐसी ही कुछ पहल के पहलू आपके सामने लेकर आए हैं, जिनसे ज़िन्दगी सुगम हो सकती है और जो हमारे पर्यावरण के लिए उपयोगी भी है।

लाइब्रेरी सिस्टम (book on rent)

 आपको पता है हम जो काग़ज़ या पेपर का उपयोग कर रहे हैं, वो पेड़ों की लकड़ी से बनते हैं। तो अब आप सोचिए कि पेपर को बनाने के लिए हर दिन ना जाने कितने पेड़ों को काटा जाता है और ये पेड़ पौधे हमारी प्रकृति का अहम हिस्सा भी हैं। हमारे वातावरण को संतुलित रखने में इनका होना कितना ज़रूरी है। जिस गति से पेड़ पौधों को काटा जा रहा है उससे फिर वो दिन दूर नहीं जब यहां ज़िन्दगी नहीं बस काग़ज़ ही रह जाएंगे। हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए एक पहल हम लाइब्रेरी के इस्तेमाल से भी कर सकते हैं। 

आज कल लोग किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। हम सब लोग किताबों को खरीदकर लाते हैं, उन्हें पढ़ते हैं । पढ़ने के बाद वो किताबें या तो हमारे घरों में रखे रखे या तो धूल खाती रहती हैं या उन्हें अनुपयोगी समझ कर कबाड़ में बेंच दिया जाता है। फिर ज़रूरत पढ़ने पर हम नई किताबें खरीदते हैं और उनके साथ भी ऐसा ही किया जाता है। अब अगर हम सोचें कि एक ऐसा लाइब्रेरी सिस्टम शुरू किया जाए जिसमें सारी किताबों को सभी लोग पढ़ सकें। इससे आपको सारी किताबें खरीदनी नहीं पड़ेगी बस उनका प्रतिदिन के हिसाब से जो किराया है वही लिया जायेगा। इस तरह हम पैसे और पर्यावरण दोनों बचा सकते हैं।

साइकिल सिस्टम( Bycycle On Rent ) 

इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में दौड़ भाग करना अब हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। आज हम ख़ुद की सहूलियत, ख़ुद के सुकून के लिए पर्यावरण की बलि चढ़ा रहे हैं। मगर शायद हम ये भूल गए हैं कि 

अभी तो प्रकृति ने बस करवट बदली है,

अभी तो कुदरत की भरपाई बाक़ी है...

हमारा वजूद, हमारी ज़िन्दगी सब कुछ पर्यावरण के हाथों में है। हमें खुद को बचाने के लिए अपने पर्यावरण को बचाना पड़ेगा। हमारी पहल प्रदूषित हुए वातावरण को रोकने

में लगनी चाहिए मगर दुर्भाग्यवश हम खुद को बचाने में लगे हुए हैं।

अगर आपसे बोला जाए कि आपको वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना है तो आप शायद इस पहल को शुरू ना करें मगर आपसे बोला जाए कि ख़ुद को संक्रमित होने से बचाना है तो आप खुद के लिए आवश्यक - अनावश्यक, हर तरह से ख़ुद को बचाने की कोशिश करेंगे। तो अगर आप खुद के बारे में ही सोचें फिर इसकी शुरुआत हम साइकिल सिस्टम से कर सकते हैं। यह सिस्टम शहर के कई इलाकों में साइकिल स्टेशन बनाकर शुरू किया जा सकता है। जो एक दूसरे से जुड़े हुए हों। साइकिल को आप किसी भी स्टेशन से ले जाकर किसी भी स्टेशन पर जमा सकते हैं। इस तरह हम अपने स्वास्थ्य, ईंधन, और पर्यावरण सबकी रक्षा कर सकते हैं। 

TWN की यह सोच सकारात्मक व्यवसाय बल्कि एक बेहतर भविष्य को सुरक्षित रखने में मदद करती है।