लीडरशिप और मानवीय मूल्य

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लीडरशिप और मानवीय मूल्य
02 Dec 2021
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एक लीडर leader को कैसा होना चाहिए? इस विषय पर लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। हम जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, किसी भी व्यवसाय profession में, नौकरी Job में या किसी भी क्षेत्र में हों, किसी भी भूमिका में, यह सबसे बड़ी सच्चाई जो हमें हमेशा याद रखनी चाहिए कि हम कुछ भी होने से पहले एक इंसान हैं और इस नाते हमें मानवीय मूल्यों human values की एहमियत को समझना पड़ेगा और इसे न सिर्फ अपने निजी जीवन personal life बल्कि अपने प्रोफ़ेशन का भी हिस्सा बनाना होगा। मानवीय मूल्यों का ऐसा आलिंगन निश्चय ही हमारे जीवन में संतुष्टि satisfaction, आनंद joy और स्फूर्ति Energy का संचार करेगा।

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ ,जैसे पेड़ खजूर ,पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर”

उपरोक्त कबीर दास Kabir Das के प्रसिद्ध दोहे की प्रसिंगिकता आज के सामाजिक परिदृश्य social context में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। लगातार आगे बढ़ने की होड़, दूसरों को पीछे छोड़ देने की ज़िद ,अधिक से अधिक लाभ पाने की लालसा ने लोगों के दिमाग पर बहुत नकारात्मक प्रभाव negative effect डाला है। लोगों ने अपनी सुविधा या यूं कहें कि अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए तमाम तरह के जुमले या धारणाएं गढ़ ली हैं और उन्हें लोगों में रेवड़ियों की तरह बाँट रहे हैं जोकि कोरोना corona के वायरस से भी तेज़ी से लोगों को प्रभावित कर रहा है। जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में मानवीय मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। ऐसे ही कुछ भ्रामक और नकारात्मक विचारों या धारणाओं से व्यवसायिक जगत Business world भी अछूता नहीं है। 

एक Leader को कैसा होना चाहिए ? इस सवाल के बहुत से जवाब हो सकते हैं पर जो सबसे ज्यादा प्रचलित है वो है कि एक लीडर को बहुत सख्त और त्वरित निर्णय लेने वाला, दिल से ज्यादा दिमाग की सुनने वाला, होना चाहिए आदि। मतलब कि उसे एक सख्त निर्णयकर्ता होने और एक अच्छा इंसान होने के बीच में किसे प्राथमिकता देनी चाहिए ? यह धारणा कि "मुश्किल काम करने के लिए अधिक कठोर होना पड़ता है" सही नहीं है इसके उलट सच तो यह है कि, कठिन कामों को करने के दौरान हम ज्यादा मानवीय होते हैं या यूँ कहें कि हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने मानवीय मूल्यों "बीइंग मोर ह्यूमन" being more human की सकारात्मक अवधारणा को साथ ले कर चलना होगा।

दया compassion, बुद्धिमत्ता wisdom और सहजता ये तीन तत्व हैं जो किसी भी लीडर के प्राथमिक गुण होने चाहिए। विश्व प्रसिद्ध लेखक Shakespeare अपनी कविता Mercy  में बताते हैं कि "दया, आशीषों से भरी है; यह न केवल देने वाले को, बल्कि लेने वाले को भी आशीर्वाद देती है”। "बुद्धिमत्ता" एक ऐसा गुण है जो अनुभव से आता है, इसे कहीं से कुछ समय में प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह  जानकारी से नहीं, अनुभव से पाई जाती है। ज्ञान आपको जानकार बनाता है, बुद्धिमत्ता आपको सहज और निश्छल बनाती है। आप यदि सच में बुद्धिमान हैं तो सहजता खुद ब खुद आपके व्यक्तित्व personality का हिस्सा बन जाएगी। एक बुद्धिमान लीडर में लोगों को प्रेरित करने की गहरी समझ और विषम एवं असहज परिस्थितियों में भी पूरी पारदर्शिता transparency के साथ सभी को साथ लेकर सकारात्मक निर्णय लेने का साहस होना चाहिए। इस तरह की लीडरशिप में कर्मचारी अपने काम  में आनंद का अनुभव करते हुए खुद के साथ संस्था की तरक्की के भरसक प्रयास करते हैं। उपरोक्त गुणों वाले लीडर के नेतृत्व में कर्मचारी अधिक सहज महसूस करते हैं और परिणाम स्वरूप उनकी और संस्था की उत्पादकता productivity भी बढ़ जाती है।

 एक अच्छा लीडर अपने कार्यकलापों में ज्यादा से ज्यादा मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए अपने संगठन organization के मूल्यों में कर्मचारियों की भलाई ,सामूहिक कल्याण community welfare, बेहतर सम्बन्ध निर्माण relationship development आदि तथ्यों को अनिवार्य रूप में समाहित करता है। एक लीडर को अपने व्यक्तित्व से अहम् ego का त्याग करते हुए दूसरों के विचारों को सुनना, समझना और मानवीय मूल्यों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करना कई बार गैर पारम्परिक, लीक से हट कर और मुश्किल हो सकता है पर यकीन मानिये इसके परिणाम निश्चय ही दूरगामी और सकारात्मक positive ही होंगे। इसके लिए आपको सबसे पहले लीडरशिप के परंपरागत कायदों को भूलना पड़ेगा और मानव होने के नए अर्थों को सीखना होगा। एक लीडर को हमेशा खुद निर्णय लेने  के बजाय अपनी टीम को इस प्रकार प्रेरित motivate करना चाहिए कि वो खुद अपने निर्णय ले सकें।

प्रकृति ने हमें दो कान और एक मुँह इसीलिए दिए हैं कि हम कम बोलें और ज्यादा सुनें। एक अच्छे लीडर में दूसरों को धैर्यपूर्वक सुनने listen और समझने का सलीका भी होना चाहिए और ये बेहद स्वाभाविक भी है, जब कोई हमें ध्यानपूर्वक सुनता है तो हम मनोवैज्ञानिक physiological रूप से संतुष्ट  महसूस करते हैं। इससे हमें सीखने को भी मिलता है और जिसकी बात हम सुनते हैं उसके मन में हमारे लिए अधिक सम्मान respect भी पैदा होता है, जोकि हमारे लिए व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों दृष्टिकोण से अच्छा है।

जब भी आप अपने कर्मचारियों से मिलें, बात करें, तो कोशिश करें कि ये जान सकें कि वो किन समस्याओं से जूझ रहे हैं और आप उन समस्याओं को हल करने में उनकी कैसे मदद कर सकते हैं। ऐसा करना उनके विकास में मदद करेगा और आपके मानवीय मूल्यों को अधिक प्रभावी effective बनाएगा। 

हम सभी अपने क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करना चाहते  हैं और सराहना भी पाना चाहते हैं, यह स्वाभाविक भी है। एक सच्चा लीडर अपने कर्मचारियों employees की वर्तमान खूबियों को सम्मान देते हुए, उनकी छुपी प्रतिभाओं को पहचान कर, उन्हें और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए, भविष्य की चुनौतिओं के लिए तैयार भी करता है। ऐसा करना कई बार कुछ लोगों को असहज कर सकता है, क्यूंकि उन्हें लगता है कि हम तो पहले से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पर लीडरशिप leadership किसी को संतुष्ट या असंतुष्ट करने के बारे में नहीं है बल्कि यह तो एक कला art है जो लोगों को चुनौतियों challenges का सामना करना सिखाती है, जिनसे लोग बच कर निकल जाना चाहते हैं।

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