हाइड्रो पावर प्लांट, व्यवसाय के दरवाजे खोलता
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कहते हैं कि पानी जीवन का माध्यम है, परन्तु पानी जीविका का भी एक अच्छा माध्यम बन सकता है। ईंधन की कमी और बढ़ते प्रदुषण के कारण हाइड्रो पावर प्लांट की पूरी दुनिया में मांग बढ़ती जा रही है। इसमें लगने वाला कम व्यय मनुष्य को इस काम के प्रति आकर्षित करता है। पानी को माध्यम बनाकर जीविका का साधन ढ़ुढ़ना एक सही और सुगम रास्ता सिद्ध हो सकता है। व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति इसके बारे में विचार कर सकते हैं।
मनुष्य की जरूरतें कभी खत्म नहीं होती हैं, ना ही कभी पूर्ण रूप से पूरी होती हैं। मनुष्य की इच्छा शक्ति ही संसार में परिवर्तन का आधार बनती है। प्रकृति विविधताओं से भरा हुआ है और व्यक्ति को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने का पूरा अवसर देता है। मनुष्य की कुछ बुनियादी जरूरतें होती हैं, जिन्हें वो पूर्ण करने का प्रत्यत्न कर रहता है। इन्हीं जरूरतों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है बिजली। आधुनिक समयकाल में बिजली प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता है। आज के समय में बिजली का इस्तेमाल प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है। अंधेरे में रोशनी से लेकर खाने तक वाहन से लेकर टेक्नोलॉजी तक हर जगह हमें आज बिजली की आवश्यकता होती है। बिजली की खपत पूरी दुनिया में बहुत अधिक मात्रा में है। पृथ्वी का लगभग तीन हिस्सा पानी से ढका हुआ है। हां यह अलग बात है कि पीने योग्य पानी की मात्रा धरती पर इस समय बहुत कम बची है। पीने के अलावा भी पानी का इस्तमाल अन्य कारणों से किया जाता है। बिजली उत्पादन में भी पानी मुख्य भूमिका में रहता है। पानी की सहायता से हम पर्याप्त मात्रा में बिजली की खपत को पूरा कर पाते हैं, जिसे हम हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी कहते है। ईंधन के कारण हो रहे प्रदूषण से बचने में भी पानी द्वारा उत्पन्न की गई बिजली का इस्तेमाल कई मुश्किलों से बचाता है। पानी से बिजली पैदा करने के लिए लगाए जाने वाले हाइड्रो पावर प्लांट एक व्यवसाय के तौर पर हजारों लोगों को अपनी जीविका चलाने का साधन देते हैं।
दुनिया में बिजली आपूर्ति का 16.6 प्रतिशत माध्यम पानी
हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी में पानी के माध्यम से हम बिजली का उत्पादन करते हैं। इसके लिए अधिक जल वाले क्षेत्र में हाइड्रो पावर प्लांट लगाए जाते हैं, जो बिजली उत्पादन की प्रक्रिया को करता है। पूरे विश्व में हाइड्रो पावर प्लांट के माध्यम से करीब 16.6 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति की जाती है, जबकि अक्षय ऊर्जा का कुल 70 प्रतिशत इसी माध्यम से उत्पादित किया जाता है। इस विधि का उपयोग दुनिया के कई देशों में बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। इस प्लांट को लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें बहुत ही कम लागत आती है। कोई भी व्यक्ति जिसके पास कम पूंजी हो वो इसका काम आसानी से शुरू कर सकता है।
प्लांट कैसे करता है कार्य
हाइड्रो पावर प्लांट में तेज रफ्तार पानी को प्रोपेलर जैसे टुकड़े को जिसे हम टर्बाइन कहते हैं, पर गिराकर उसे घुमाकर बिजली पैदा की जाती है। टर्बाइन एक जल विद्युत संयत्र है। इसमें बांध द्वारा पानी इकट्ठा किया जाता है। ऊंचाई पर जलाशय में एकत्रित पानी गुरूत्वाकर्षण के कारण नीचे आने का प्रयत्न करता है, जिसे एक सुव्यवस्थित गेट के माध्यम से नीचे की तरफ गिराया जाता है। गिरते पानी के नीचे टर्बाइन को रखा जाता है, पानी गिरने के बाद टर्बाइन बहुत तेजी से घूमने लगता है। तेजी से घूमने के कारण उत्पन्न शाफ्ट जनरेटर में जाता है और बिजली पैदा करता है। उत्पन्न बिजली की सप्लाई सीधे हमारे घरों और खदानों तक होती है। पूरी प्रक्रिया से यह समझ आता है कि बिजली पैदा करने की यह विधि कितनी सरल और कम व्यय वाली है। जलाशय पानी के रूप में भी बिजली का भंडारण करता हैं और बारिश के मौसम में या दैनिक कार्य में इसका उपयोग कर सकते हैं।
प्लांट में कई लोगों को मिलता काम
हाइड़्रो पावर प्लांट में होने वाली पूरी प्रक्रिया में कई मशीनरी काम होते हैं, जिसको ऑपरेट करने के लिए कर्मचारियों को रखा जाता है। इसके अलावा भी हाइड्रो पवार प्लांट में अन्य काम होते हैं, जिसके लिए व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है। प्लांट में कम लागत के साथ अधिक मुनाफा होता है जिससे कर्मचारियों को भी इसका फायदा होता है। अधिक पावर प्लांट लगाए जाने से लोगों को अधिक व्यवसाय का जरिया तो मिलेगा ही साथ में इससे अधिक बिजली की आपूर्ति होगी। बिजली आपूर्ति होने के साथ आम इसांन पर बिजली का ज्यादा खर्च नहीं आएगा। हाइड्रो पावर प्लांट का व्यवसाय हर दिशा में केवल मुनाफा ही देगा।
80 प्रतिशत काम बिजली पर आधारित
आज की दुनिया को हम बिजली से चलने वाली दुनिया कह सकते हैं। ईंधन से चलने वाली गाड़ियां भी अब बिजली के सहारे चलती हैं। घर पर या औद्योगिक क्षेत्र में अधिक समय तक बिजली सप्लाई से मनुष्य की रोजमर्रा के काम 80 प्रतिशत बिजली पर निर्भर करते हैं। हालांकि कुछ प्रतिशत की गुंजाइश अभी भी बाकी है, जिसकी आपूर्ति और अधिक प्लांट के लगने से पूर्ण होंगी।
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