इंसान हो या जानवर माँ तो माँ होती है
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अक्सर देखा गया है कि, बंदरिया अपने बच्चे के शव को लेकर घंटों या कई दिनों तक घूमती रहती है। यह बहुत ही दिलचस्प और सोचने वाली बात थी कि आखिर बंदरिया ऐसा क्यों करती होगी? इस पहेली का पता लगाने में करीब 400 से अधिक अध्ययनों के बाद आखिर इस सवाल का जवाब मिल ही गया। बंदरिया भी एक माँ होती है। इंसान सोचते हैं कि जानवरों में कोई भावना नहीं होती, लेकिन इस बात को गलत ख़ारिज करती है बंदरिया का अपने बच्चे के लिए अनूठा प्रेम। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खोज कर के 50 से ज्यादा बंदरो की प्रजाति में मादा बंदर की इस कृत को देखा गया है। काफी शोध करने के बाद पता चल ही गया कि बंदरिया एक इंसान की तरह अपने बच्चे की मौत को स्वीकारना नहीं चाहती। बच्चे की मौत का असर बंदरिया को मानसिक घात पहुँचता है। हर माँ अपने जीते जी अपने बच्चे की मौत को बर्दाशत नहीं कर पाती। बंदरिया भी कुछ इसी तरह खुद को नहीं संभाल पाती और अपने बच्चे के शव को गले लगाकर तबतक घूमती है ,जबतक बच्चे का शव सड़ने न लग जाये। क्योकि यह पल हर माँ के लिए उसके जीवन का सबसे कष्टदायी पल होता है जिसे सहन कर पाना बहुत ही कठिन है।