एक अच्छा श्रोता कैसे बनें (How To Become A Good Listener)
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अगर आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर बनाना चाहते हैं तो आपको अच्छा वक्ता (speaker) होने के साथ उतना ही बेहतरीन श्रोता (listener) भी होना चाहिए।
जब भी कम्युनिकेशन स्किल्स की बात होती है तो अक्सर लोग सही तरह से बोलने पर ही जोर देते हैं। मसलन, आपको कब कहां और कितना बोलना चाहिए।
आपके शब्दों का चयन व आवाज की टोन किस तरह की होनी चाहिए।
लेकिन अगर आप अच्छे वक्ता है और एक बेहतरीन श्रोता नहीं है तो इसका अर्थ है कि आपको अभी भी अपने कम्युनिकेशन स्किल्स communication skills पर काम करने की जरूरत है।
बातचीत का अर्थ यह नहीं है कि आप कितना अच्छा बोल सकती हैं, बल्कि यह भी जरूरी है कि आप दूसरे व्यक्ति की बातों को कितना ध्यान से सुनती हैं।
आइये आज के इस ब्लॉग में हम जानते है कि एक अच्छा श्रोता कैसे बनें? How To Become A Good Listener.?
अगर आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर बनाना चाहते हैं तो आपको अच्छा वक्ता (speaker) होने के साथ उतना ही बेहतरीन श्रोता (listener) भी होना चाहिए। जब भी कम्युनिकेशन स्किल्स की बात होती है तो अक्सर लोग सही तरह से बोलने पर ही जोर देते हैं। मसलन, आपको कब कहां और कितना बोलना चाहिए। आपके शब्दों का चयन व आवाज की टोन किस तरह की होनी चाहिए।
लेकिन अगर आप अच्छे वक्ता है और एक बेहतरीन श्रोता नहीं है तो इसका अर्थ है कि आपको अभी भी अपने कम्युनिकेशन स्किल्स communication skills पर काम करने की जरूरत है। बातचीत का अर्थ यह नहीं है कि आप कितना अच्छा बोल सकती हैं, बल्कि यह भी जरूरी है कि आप दूसरे व्यक्ति की बातों को कितना ध्यान से सुनती हैं।
एक अच्छा श्रोता कैसे बनें (How To Become A Good Listener)
अच्छे श्रोता बनें, अच्छे वक्ता अपने आप बन जाएंगे
अच्छा श्रोता बनना यानि खुद के साथ साथ औरों का भी भला कर पाना। अगर आप बेहतर सुनने वाले हैं तो दूसरों की नजर में भी आप ऊपर उठ जाते हैं। जो आपके सामने बोल रहा है आप उसके अनुभवों का लाभ ले सकते हैं। इससे आपकी समझ और संवेदनशीलता दोनों बढ़ जायेगी। इसके साथ ही आपके अंदर आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी और आपकी संवाद की क्षमता में भी सुधार होगा।
अच्छे श्रोता बनने के ये कुछ महत्वपूर्ण तरीके Some important ways to be a good listener
ये कुछ तरीके हैं जिनके बारे में जानकर आप एक अच्छे श्रोता बन सकते हैं। ये तरीके निम्न हैं -
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चेहरे का हाव-भाव रखता है बहुत मायने Facial expressions matter a lot
जब भी आप किसी की बात सुन रहे हैं तो उस समय आपके चेहरे का जो हाव-भाव होता है वास्तव में वह बहुत मायने रखता है। जैसे यदि सामने वाले वक्ता की बात आपको अच्छी लगे तो आपके चेहरे पर मुस्कान दिखनी चाहिए। वैसे ही यदि आप उसकी बात से सहमत हैं तो सहमति में आपका सिर जरूर हिलना चाहिए। ऐसा करने पर वक्ता को लगता है कि आप उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुन रहे हैं और इस तरह वक्ता को ख़ुशी मिलती है और वह आपके सामने अपनी बातों को बेहतर तरीके से रख पाता है।
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आई कॉन्टैक्ट Eye contact
अच्छे श्रोता बनने के लिए आपका सामने बोलने वाले वक्ता से आई कॉन्टैक्ट अच्छा होना चाहिए। क्योंकि आपका आई कॉन्टैक्ट सामने वाले के साथ जितना बेहतर होगा आप उतने ही अच्छे श्रोता होंगे। आप बातों को सही तरीके से सुनिए क्योंकि यदि आप अच्छे से सुन नहीं पाते हैं तो आप अच्छे से जवाब भी नहीं दे सकते। आप सामने वाले की बात को अच्छी तरह से सुनकर बेहतर जवाब दें क्योंकि एक गलत जवाब आपको सामने वाले की नजरों में गिरा सकता है।
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वर्तमान में रहें Live in the present
क्या आप जानते हैं कि अच्छे श्रोता की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि वह सुनते समय सिर्फ वर्तमान में जीता है। जब आप किसी की बात सुनते हैं तो आपके ऊपर उस वक्त न अतीत हावी होना चाहिए, न ही भविष्य। इस तरह आप सुनी गई बात को सही तरह से ग्रहण कर पाते हैं और ऐसा करने पर ये बातें आपको ज्यादा देर तक याद रह पाती हैं।
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मानसिक शांति Mentle piece
अच्छा श्रोता वही है जो किसी भी बात को अधिक से अधिक ग्रहण कर पाता है। सामने वाले की बात को ग्रहण करने के लिए मानसिक शांति बेहद जरुरी है। मानसिक शांति के लिए रोज योग, व्यायाम, अच्छी नींद, और अच्छा खान पान जरूरी है। क्योंकि यदि मानसिक शांति नहीं है तो आप किसी भी बात को अधिक ग्रहण नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि आपका मन अशांत रहता है तो तब एक समय में आपके अंदर कई बातें चलती रहती हैं। जिससे आप वक्ता की बात को ध्यानपूर्वक नहीं सुन पाते हैं और आपकी स्मृति में वक्ता की बात पूरी तरह से छप नहीं पाती है।
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मुख्य बातों को अपने दिमाग में बैठाते जाना चाहिए The main things should be kept in mind
अच्छा श्रोता वही है जो बात चाहे जितनी भी लंबी हो, उसे अपने लिए संक्षेप में कर लेता है। इसके लिए वह मुख्य बातों को अपने दिमाग में बैठाता जाता है। इससे वह वक्ता की बात को भूल नहीं पाता है और उसे सारी बातें याद रहती हैं। अच्छा श्रोता ऐसा महसूस करता है कि सुनी गई बात उसके लिए महत्वपूर्ण है। इससे बातों को वह कहीं बेहतर तरीके से सुन पाता है। इससे वह ज्यादा अलर्ट रहता है।
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अपने अनुभव भी साझा कीजिये Share your experiences too
यदि सामने वाला वक्ता आपको किसी ऐसी बात के बारे में बता रहा है, जिसे आप भी फेस कर चुके हैं तो उसे अपने उस अनुभव के बारे में जरूर बताएं। इससे वक्ता आपसे इंप्रेस होगा और साथ ही आपके अनुभव से वह बहुत कुछ सीख सकता है। जब दो लोगों के बीच बेहतर संवाद होता है तो इसका ये फायदा होता है कि इससे संबंध अच्छे बनते हैं और जब संबंध अच्छे हों तो आप बहुत कुछ चीज़ें सामने वाले वक्ता से सीख सकते हैं।
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सुनने का महत्व Importance of Listening
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सुनना भी एक कला है और जिसने इसमें निपुणता हासिल कर ली, वह एक अच्छे लीडर के रूप में अपनी पहचान बना सकता है। अच्छे लिसनर का मतलब यह नहीं है कि आप सिर्फ इससे मतलब रखें कि क्या कहा गया है। बहुत बार उन बातों को भी सुनना और समझना पड़ता है, जो आपसे नहीं कही जा रही है। इसलिए बोलने वाले को अच्छे से रीड करना होता है। उसकी बॉडी लैंग्वेज Body language को समझना होता है। अगर आप इस कला में माहिर होना चाहते हैं, तो एक साथ कई बातों पर गौर करें।
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अशाब्दिक संचार कौशल Nonverbal Communication skills, जैसे आँख से संपर्क करना, झुकना या सिर हिलाना, दूसरे व्यक्ति को यह बताना कि आप रुचि उसमे रखते हैं और ध्यान दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि आप रुचि रखते हैं। यदि लोग मानते हैं कि उनकी बात सुनी जा रही है, तो उनके खुलकर बोलने की संभावना अधिक होती है।
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यह आपसी सम्मान और विश्वास पैदा करता है। सक्रिय सुनने का कौशल दूसरे व्यक्ति को दिखाते हैं कि आप उसमें रुचि रखते हैं जो वे बताने की कोशिश कर रहे हैं। अगर लोग आप पर भरोसा करते हैं तो आपके पास आने की संभावना अधिक होती है। यह एक साथी हो सकता है जिसके साथ आपका झगड़ा हुआ है, एक बच्चा या किशोर जो आप पर विश्वास करना चाहता है, या एक सहकर्मी जो कार्यस्थल के कुछ मुद्दों को सुलझाना चाहता है।
अच्छे श्रोता होने के लाभ Benefits of being a good listener
1. सही समय पर सही फैसले लेने की क्षमता:
अच्छे श्रोता होने के लाभों में से सबसे महत्वपूर्ण लाभ है कि वे सही समय पर सही फैसले ले सकते हैं। उन्हें अपनी सुनने की क्षमता विकसित होती है जिससे वे अपने काम के समय पर अपने निर्णय ले सकते हैं। इससे उन्हें अपने काम में सफलता मिलती है और वे समय से पहले या समय पर फैसले लेने में सक्षम होते हैं।
2. समझदारी से संवाद करने की क्षमता:
अच्छे श्रोता होने से उन्हें समझदारी से संवाद करने की क्षमता विकसित होती है। इससे वे दूसरों के सुझाव और विचारों को समझने में सक्षम होते हैं और उन्हें समझते हुए अपनी बात कहने में आसानी होती है। समझदारी से संवाद करने से उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर विकल्पों का पता चलता है।
3. नए और अलग विचारों का समझना और स्वीकार करना:
अच्छे श्रोता होने से उन्हें नए और अलग विचारों को समझने और स्वीकार करने की क्षमता विकसित होती है।वे एक अन्य संदर्भ में देख सकते हैं और नए और अलग रूपों में बातचीत कर सकते हैं। इस तरह की समझदार वार्ताएं नए और अलग रूपों में सोचने की क्षमता विकसित करती हैं और उन्हें नए और अलग रूपों में सोचने की प्रेरणा देती हैं।
एक अच्छा श्रोता हमेशा अन्य लोगों के विचारों को समझता है और नए और अलग रूपों में सोचने के लिए खुले मन से तैयार रहता है। उन्हें लोगों की अलग-अलग सोच और दृष्टिकोण समझने की क्षमता होती है जो उन्हें एक नए से नए उचित निर्णय लेने में मदद करती है। इससे वे नए और अलग रूपों में सोचने के लिए प्रेरित होते हैं और बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
एक अच्छा श्रोता सभी विचारों को समझने की क्षमता विकसित करता है और सही समय पर सही फैसले लेने में मदद करता है।
4. बेहतर स्थितियों का सामना करने की क्षमता:
अच्छे श्रोता होने से एक और बड़ा लाभ होता है वह है बेहतर स्थितियों का सामना करने की क्षमता। सफलता और नकारात्मकता दोनों हमेशा एक दूसरे से जुड़े होते हैं और व्यक्ति को इन स्थितियों से निपटने की क्षमता रखना बड़ी बात होती है।
अच्छे श्रोता होने से व्यक्ति को दूसरों के सुझावों को सुनने और समझने की क्षमता प्राप्त होती है। उन्हें नकारात्मक स्थितियों में सुधार करने के लिए संभवतः सबसे बेहतर रास्ते पता चलते हैं जो कि उनके अंदर स्वयं के नए विचारों और दूसरों के विचारों को समझ कर उत्पन्न हुए होते हैं।
इसके अलावा, अच्छे श्रोता का मानसिक विकास भी उन्हें बेहतर स्थितियों से निपटने में मदद करता है। उन्हें अपनी स्थिति के बारे में सोचने और अन्य लोगों से सहायता माँगने की क्षमता होती है जो उन्हें सफलता की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं।
सुनने के प्रकार आपको अवश्य जानना चाहिए Types of Listening
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सूचनात्मक श्रवण Informational Listening
जब आप कुछ सीखना चाहते हैं, तो आप इसे समझने और याद रखने के लिए सूचनात्मक श्रवण Informational Listening का उपयोग करेंगे। सुनने की इस शैली में आमतौर पर महत्वपूर्ण मात्रा में प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। क्योंकि नई धारणा को समझने के लिए जबरदस्त एकाग्रता की जरूरत होती है। आपको अपने सीखने के लिए महत्वपूर्ण सोच critical thinking को भी लागू करना चाहिए।
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आप पूरी तरह से समझ सकें कि आप अन्य जानकारी के बारे में क्या सीख रहे हैं। जब आप जानते हैं कि सूचनात्मक श्रवण का उपयोग कब और कैसे करना है, तो आप अपनी सीखने की क्षमताओं में सुधार करने में सक्षम होंगे।
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पक्षपातपूर्ण सुनना Biased Listening
पक्षपाती सुनना Biased Listening को चयनात्मक श्रवण selective listening के नाम से भी जाना जाता है। पक्षपातपूर्ण सुनना तब होता है जब कोई केवल वही सुनता है जो वह सुनना चाहता है। सुनने की इस प्रक्रिया के परिणाम विकृत हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो सुनना चाहता है वह पूरी तरह से स्पीकर यानी बोलने वाले पर ध्यान नहीं देता है।
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भेदभावपूर्ण श्रवण Discriminative Listening
Discriminative Listening का अर्थ है की यह भेदभाव से जुड़ा बिलकुल नहीं है इसका अर्थ केवल संदेश के अर्थ को समझने के बजाय संदेश की ध्वनि की व्याख्या करना है |जैसे एक बच्चा जब पैदा होता है तो उसको किसी भी भाषा, शब्द या अक्षर की जानकारी नहीं होती है| लेकिन फिर भी अगर आप तेज और डाटने वाली आवाज़ में उनसे बात करेंगे तो वो रोने लगते हैं |
इसके अलावा, वह सिर्फ आवाज़ सुनकर ही सबको पहचानने की कोशिश करता है मान लीजिये की आप हिंदी भाषा बोलते हैं और तमिलनाडु घूमने गए हैं | ऐसे में आपको उनके शब्द तो नहीं समझ आएंगे पर उनके बोलने के तरीके, आवाज़ की गति से काफी कुछ समझ पाते हैं | Discriminative Listening की मदद से किसी व्यक्ति के उम्र और भाव का पता लगाया जा सकता है |
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सहानभूति श्रवण Sympathetic Listening
Sympathetic Listening का हिंदी अर्थ होता है सहानभूति श्रवण | आपको इसके नाम से ही समझ आ गया होगा कि यह सहानभूति श्रवण यानि भावनाओ से जुड़ा हुआ है | श्रोता वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों पर नहीं बल्कि भावनाओ पर ध्यान देता है और सन्देश की व्याख्या करने की कोशिश करता है |
मान लेते हैं की आपका दोस्त उदास है जिसे देखकर ही आप समझ जाते हैं और उसके बारे में पूछते हैं| वह आपको होनी परिस्थिति के बारे में बताता है कि उसे क्या परेशानी है, इस समय पर Sympathetic Listening का प्रयोग करते हैं और उसके भावो को समझते हुए उसकी मदद करते हैं |
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आलोचनात्मक श्रवण Critical Listening
Critical Listening इसका हिंदी अर्थ आलोचनात्मक श्रवण है यानि जब किसी सुनी जानकारी का आपको विश्लेषण करना पड़ता है तो उसे आलोचनात्मक श्रवण कहते हैं | आलोचनात्मक श्रवण में आप श्रोता के शब्दों को सिर्फ सुनते नहीं बल्कि उसका अलग -अलग मापदंडो पर तौलते भी हैं किसी समस्या का निर्णय लेने में आलोचनात्मक श्रवण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
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व्यापक श्रवण Comprehensive Listening
जहाँ Discriminative Listening स्किल्स में शब्दों या भाषा का ज्ञान होना आवश्यक नहीं था लेकिन Comprehensive Listening में शब्दों की मदद से आवाज़ की व्याख्या की जाती है | इस परिस्थिति में श्रोता के पास शब्द का भण्डार होना चाहिए और उसे भाषा का सही ज्ञान होना ज़रूरी है | यह श्रवण कौशल आमतौर पर बचपन की शुरुआत से ही विकसित होना शुरू हो जाता है |
सुनने के कौशल को बेहतर बनाने के लिए युक्तियाँ Tips To Improve listening skills
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स्पीकर से eye contact करने की कोशिश करें |
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वक्ता से ऐसे प्रश्न पूछें जिसका उत्तर हां या नहीं में हो | ऐसे प्रश्न को Open Question कहते हैं |
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सिर्फ सुने नहीं बल्कि समझते हुए सुने |
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वक्ता को बोलते समय बीच में न टोकें |
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अगर स्पीकर द्वारा बोली जा रही बात आपको गलत भी लग रही हो तो भी उसे ध्यानपूर्वक सुनें और बीच में न टोकें |
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किसी जानकारी को सुनते समझते समय ध्यान भंग करने वाले लोगों या चीजों से दूरी बनाए |
Conclusion
अगर आप किसी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं और एक बेहतर वक्ता यानि speaker बनना चाहते हैं तो आपको अपनी listening skills बेहतर करनी होंगी | लेकिन एक बार जब आप इसे समझ लेते हैं, तो आप आश्चर्यचकित होंगे कि आपका नेतृत्व Leadership कितना प्रभावी हो गया है। जब आप सक्रिय रूप से सुनने की तकनीक में महारत हासिल कर लेते हैं। हमें उम्मीद है की इस लेख को पढ़ने के बाद आप एक बेहतर श्रोता बन कर जीवन के हर क्षेत्र चाहे वो आपका व्यवसाय हो या निजी जिंदगी अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे ।
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