फूलों के हर्बल रंग, जीवन में लाते उमंग

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फूलों के हर्बल रंग, जीवन में लाते उमंग
24 Sep 2021
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रंग हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है। रंग हमारे जीवन में खुशियां मनाने का कारण बनता है। इन खूबसूरत रंगों को हमारी परेशानी का कारण नहीं बनने देना है। कुदरत ने हमें खुशियां मनाने के लिए, अनेक रंग बनाने के लिए कई प्राकृतिक स्रोत दिए हैं। ऐसे में रासायनिक पदार्थ से बने रंग का उपयोग करके हम क्यों अपने स्वास्थ्य और मन को बीमार करें। फूलों से बने रंग हमारे जीवन को, हमारे मन को हमेशा उमंग के कई रंगों से रंगे रखते हैं।

व्यक्ति को जब निराशा और हताशा घेर लेती है और वह नाखुश रहने लगता है, तो अक्सर लोग उसे यही कहते हैं कि क्यों इतनी उदासीन ज़िन्दगी जी रहे हो ? उदासीन अर्थात रंगहीन। यानि तुम्हारी ज़िंदगी बिना रंगों की रंगहीन क्यों लग रही है। हम इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि रंग, मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रंग हमारे जीवन में एक प्रकार से ख़ुशी का प्रतीक होता है। जब भी किसी व्यक्ति को शुभकामनाएं दी जाती हैं, तो हम अक्सर यही कहते हैं कि तुम्हारा जीवन खूबसूरतरंगों से हमेशा भरा रहे। अपनी ख़ुशी को लोगों के साथ बांटने और मनाने का सबसे बढ़िया तरीका  है। जब हमें अपनी ख़ुशी को सबके साथ मनाने का मन करता है, तो हमें रंग ही नज़र आता है, जिसे हम एक-दूसरे को लगाकर खुशियां मनाते हैं। रंग त्यौहारों में भी उपयोग किए जाते हैं। भारत देश में तो एक त्यौहार ही रंगों के नाम से मशहूर है, जिस पर्व को हम होली कहते हैं। यदि व्यक्ति ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहता है जिससे उसकी त्वचा को हानि ना पहुंचे तो इसके लिए फूलों से बनाये गए रंग अधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। फूल हमें खुशबू, खूबसूरती के साथ खूबसूरत रंग भी देता है। 

हर्ष-उल्लास रंगो के संग

मनुष्य जश्न को हर्ष-उल्लास से मनाने के लिए एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। कभी-कभी रंगों में रासायनिक पदार्थ मिले होने के कारण व्यक्ति जब त्वचा पर रंग लगाता है, तो उससे कई तरह के त्वचा सम्बन्धी रोग होने का खतरा रहता है। यही कारण है कि कई लोग न चाहते हुए भी रंगों को अपने जीवन से दूर करते जा रहे हैं। हम यह चाहते तो हैं कि रंग हमारे जीवन का हिस्सा रहे परन्तु रासायन युक्त रंगों से होने वाले नुकसान के कारण व्यक्ति रंगों से दूरी बना लेता है। परन्तु रंग कुछ ऐसे तरीके से भी बनाए जा सकते हैं, जिनके उपयोग से आपका जीवन किसी भी मायने में बेरंग नहीं होगा। सोचिए यदि हमें यह पता हो कि जिन रंगों का उपयोग हम कर रहे हैं वह किसी भी प्रकार से हमें हानि नहीं पहुचाएंगे, तो हम और हर्षित होकर रंगों का प्रयोग करेंगे, हमारी खुशी और बढ़ जाएगी।

हर्बल रंग नहीं हानिकारक

रंगों से होने वाली परेशानी के कारण अब नए तरीके से रंग बनाए जाते हैं अब ऑर्गेनिक तरीके से हर्बल रंगों को बनाया जा रहा है। इस तरह के रंग पूर्ण रूप से व्यक्ति की त्वचा के लिए सुरक्षित रहते हैं। आपको बता दें कि हर्बल रंगों को बनाने के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न प्रकार के फूलों से अनेक रंग बनाए जाते हैं। अच्छी बात यह रहती है कि फूलों की मदद से हम कई प्रकार के रंग बना सकते हैं, जिसमें सूखे और गीले दोनों प्रकार के रंग आते हैं।

घर पर बनाएं हर्बल रंग

खास बात यह है कि इन रंगों को हम घर पर भी बना सकते हैं। फूल से रंग को बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती और लागत तो कम लगती ही है। बस जरूरत है तो आपको कई तरह के फूलों की जो अलग-अलग रंग के हों ताकि आप कई तरह के रंग बना सकें। इन फूलों को आप बाज़ार से खरीद भी सकते हैं या चाहें तो खुद फूलों की बागबानी कर सकते हैं। यह आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

शुभ घड़ी में उड़े लाल रंग

लाल रंग को शुभ घड़ी में अधिक प्रयोग में लाया जाता है। लाल रंग को कई तरह से बनाया जा सकता है। इनमें फूलों की मदद से लाल रंग का बनाया जाना भी शामिल है। जासवंती, सिंदूरिया के बीज, बुरांस, पलिता, मदार, और पांग्री के फूलों से हम सूखे और गीले लाल रंग को बना सकते हैं। हालांकि इनमें से कुछ फूल केवल पहाड़ी इलाकों में ही पाए जाते हैं। इनकी पत्तियों को सुखाकर पीसने से सूखा और रात भर पत्तियों को पानी में भीगाकर सुबह पीस लेने से गीला लाल रंग बनता है।   

टेसू के फूल से रंगे मन केसरिया

केसरिया रंग आखिर किसके मन को नहीं भाता। केसरिया रंग तो हमारे तिरंगे की भी शान बढ़ाता है। इस रंग को बनाने के लिए टेसू के फूल असरकारी सिद्ध होते हैं। पानी को उबालने के पश्चात उसमें टेसू के पौधे से फूल और उसके केसरी पराग को तोड़कर उबलते पानी में डालकर उसे कुछ देर तक चलाएं। इसके बाद मलमल के कपड़े में इस पानी को छान लें। इस तरह से केसरिया रंग का पानी तैयार हो जाएगा। इस पानी को आप ऐसे ही प्रयोग कर सकते हैं या फिर आप टेसू के फूल को पीस कर पानी में डालें और फिर पानी को गाढ़ा करके भी सहेज कर रख सकते हैं। टेसू के फूल और पराग को सूखाकर उसे पीसकर आप सूखा केसरिया रंग भी बना सकते हैं। यह रंग यदि आपके कपड़ों पर लग जाए तो कुछ समय पश्चात या फिर कपड़े धुलने के बाद खुद उड़ जाते हैं। यानि इस रंग से कपड़े भी नहीं खराब होते हैं।

पीले रंग को तैयार करती सेवंती

अमलतास, गेंदा तथा सेवंती का फूल पीला रंग बनाने के लिए सही रहता है। इन फूलों के पत्तियों को छांव में सूखाकर महीन पीसने से गाढ़े पीले रंग का पाउडर तैयार हो जाता है। इस पाउडर को पानी में मिलाकर आप गीले रंग के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।

गुलमोहर और जकरन्दा से बनते हरे-नीले रंग

जकरन्दा के फूल और मुख्यत: केरल में मिलने वाले जासवंती के फूल की पंखुड़ियों को सुखाकर सुन्दर नीले रंग को बनाया जाता है। जकरन्दा केवल गर्मी के महीने में ही खिलता है। ध्यान रहे जासवन्ती के फूल से लाल रंग भी बनाया जाता है। हरे रंग के लिए गुलमोहर की पत्तियां बहुत उपयोगी होती हैं। इन पत्तियों से हरा रंग आसानी से बनाया जा सकता है।

हम कई तरह के फूलों का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के रंग बना सकते हैं। हम इसे एक व्यवसाय का भी रूप दे सकते हैं। क्योंकि हानिकारक रंगों के कारण उत्पन्न हो रही बीमारियों से बचने के लिए लोग हर्बल रंगों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं। यह हमारी त्वचा के लिए लाभकारी तो होगा ही साथ में इसे व्यवसाय के नजरिए से भी इस्तेमाल कर सकते हैं।