जीएसटी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव
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जीएसटी भारत के इतिहास में सबसे बड़े कर सुधारों में से एक है। 01 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू हो चुका है। जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है। इसका हिंदी में अर्थ 'वस्तु एवं सेवा कर' होता है।
जीएसटी के तीन प्रकार हैं केंद्रीय जीएसटी ( सीजीएसटी ) CGST, राज्य जीएसटी ( एसजीएसटी ) SGST और एकीकृत जीएसटी ( आईजीएसटी )। इसके लागू होते ही सर्विस टैक्स service tax, सेल्स टैक्स sales tax, वैट VAT, एक्साइज ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर से लोगों को मुक्ति मिल चुकी है। GST लागू होने पर सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को हुआ है, क्योंकि अब चीजें पूरे देश में एक ही रेट rate पर मिल रही हैं।
जीएसटी GST आने के बाद टैक्स ढांचा एकदम समान हो गया है और पूरी तरह पारदर्शी है, जिससे टैक्स विवाद में कमी आई है। भारत में लगभग सभी उत्पाद और सेवाएं जीएसटी के अधीन हैं, जो चार दरों में विभाजित है: 5%, 12%, 18% और 28% ।
जीएसटी के कई फायदे और नुकसान हैं जो उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों को प्रभावित करते हैं। आइए इस आज इस लेख के माधयम से हम भारतीय अर्थव्यवस्था पर GST के प्रभावों Effects Of GST On Indian Economy का पता लगाएं।
पूरे देश में 01 जुलाई July 2017 में भारत में सबके लिए एक कर माल और सेवा कर या जीएसटी पेश किया गया था। वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है। भारत में जीएसटी लागू करने का इरादा व्यापार के लिए अनुपालन को आसान बनाना था।
कोई भी वस्तु निर्माण से लेकर अंतिम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गुजरता है। चलिए जानते हैं जीएसटी का भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy पर क्या प्रभाव पड़ा है लेकिन इससे पहले हमे जीएसटी के बारे में जानना होगा कि जीएसटी क्या है और इसे कैसे लागू किया जाता है।
जीएसटी क्या है What is GST
जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स Goods and Services Tax GST है। हिंदी में इसका अर्थ 'वस्तु एवं सेवा कर' होता है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और विक्री पर लगाया जाता है। कोई भी वस्तु निर्माण से लेकर अंतिम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गुजरता है। पहला चरण है कच्चे माल को खरीदना। दूसरा चरण उत्पादन production या निर्माण होता है।
फिर, सामग्रियों के भंडारण या Warehouse वेयरहाउस में डालने की व्यवस्था है। इसके बाद, उत्पाद रीटैलर या फुटकर विक्रेता retail seller के पास आता है। और अंतिम चरण में, रिटेलर आपको या अंतिम उपभोक्ता को अंतिम माल बेचता है।
भारत में जीएसटी लागू करने का इरादा व्यापार को आसान बनाना था। सरकार ने सभी तरह के अप्रत्यक्ष कर indirect tax को खत्म करते हुए एक राष्ट्र एक कर की परिकल्पना पर इसे लागू किया है। वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्य में जोड़ पर लगाया जाता है।
जीएसटी के प्रकार Types of GST
खरीददार और निर्माता दोनों जीएसटी GST के अधीन हैं। जीएसटी लागू होते ही सर्विस टैक्स service tax, सेल्स टैक्स, वैट value-added tax VAT, एक्साइज ड्यूटी excise duty जैसे अप्रत्यक्ष कर से लोगों को मुक्ति मिल चुकी है और उनकी जगह जीएसटी लग चुका है। यह देशभर में एक जैसे सामान पर समान रूप से लागू है। भारत में, उत्पादों और सेवाओं के निर्माण और बिक्री के हर चरण पर जीएसटी लगाया जाता है। जीएसटी के 3 प्रकार हैं जो निम्नलिखित हैं।
CGST (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स): जहां केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा। केंद्र सरकार वस्तुओं और सेवाओं की किसी राज्य के भीतर बिक्री पर CGST वसूल करती है। एक राज्य में खरीदने के बाद उसी राज्य में बेची जाने वाली वस्तु या सेवा पर सीजीएसटी (CGST) लगता है।
SGST (राज्य वस्तु और सेवा कर): राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकारों द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा। यह कर राज्य सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की किसी राज्य के भीतर आपूर्ति पर लगाया जाता है। जब किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति एक ही राज्य के अंदर होती है तो उस पर एसजीएसटी (SGST) लगता है।
IGST (एकीकृत माल और सेवा कर): IGST कर दो राज्यों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान पर लगाया जाता है। जब किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति Supply एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है, तो उस पर आईजीएसटी (IGST) लगता है।
आपूर्ति से मतलब वस्तु या सेवा की बिक्री, ट्रांसफर, एक्सचेंज आदि से है। कई बार व्यापारी किसी एक राज्य में कारोबार करता है। लेकिन, वह कई राज्यों से माल खरीदता है। ऐसे में दूसरे राज्य में खरीदे गए माल पर उसे आईजीएसटी IGST चुकाना पड़ता है।
अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का प्रभाव Effects of GST on Indian Economy
जीएसटी से भारत में निर्मित वस्तुओं और सेवाओं के प्रति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार National and International Markets में प्रतियोगिता बढ़ती हुई दिख रही है। जीएसटी का उद्देश्य आम कर दरों और प्रक्रियाओं के साथ भारत को एक सामान्य बाजार बनाना है और इसकी आर्थिक बाधाओं को दूर करना है।
भारत पर जीएसटी के प्रभाव को सकारात्मक माना जा सकता है। जीएसटी पूरे देश के लिए लाभदायक है। यह उद्योग, उपभोक्ता और सरकार के सभी हितधारकों को लाभ पहुंचा रही है। जीएसटी के कारण देश का कर ढांचा सुव्यवस्थित हुआ है। भारत में जीएसटी प्रभाव के कारण करों में कमी आई है। नतीजतन, अंतिम ग्राहक कम करों का भुगतान करता है। कर के बोझ में कमी ने खुदरा retail और अन्य व्यवसायों के उत्पादन और विकास को बढ़ावा दिया है।
जीएसटी GST का उद्देश्य आम कर दरों और प्रक्रियाओं के साथ भारत को एक सामान्य बाजार बनाना है और इसकी आर्थिक बाधाओं को दूर करना है। जीएसटी से 'मेक इन इंडिया' Make In India पहल को और बढ़ावा मिला है।
जीएसटी से केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष कर कानूनों और सर्विस टैक्स जैसे सेंट्रल एक्साइज, वैट, एंटरटेनमेंट टैक्स entertainment tax, सेंट्रल सेल्स टैक्स central sales tax, एंट्री टैक्स, लक्ज़री टैक्स इत्यादि जैसे राज्य सरकारों के असंख्य कर रिकॉर्डों को बनाए रखने की अनिवार्य आवश्यकता समाप्त हो गई है। निर्यात किए गए उत्पादों पर सीमा शुल्क कम किया गया है।
इससे देश की निर्यात दर को बढ़ावा मिला है। जीएसटी के सकारात्मक प्रभाव से अधिक भारतीय व्यवसायों को विदेशी बाजारों में प्रवेश करने में मदद मिलेगी। भारत में जीएसटी के प्रभाव के कई दीर्घकालिक लाभ हैं।
आइए इस सरल विचार का उपयोग करके भारतीय अर्थव्यवस्था पर GST के प्रभावों का पता लगाएं:
1. सरल कर संरचना Simpler tax structure
GST के कारण हमारे भारत की कर प्रणाली tax system of india अब सरल हो गई है। चूंकि केवल एक कर है, इसलिए गणना करना अब आसान हो गया है। इस टैक्स की मदद से उपभोक्ता आसानी से समझ सकते हैं कि किसी खास सामान को खरीदते समय उन्हें कितना टैक्स देना होगा। जीएसटी के बारे में सोचते समय और यह कैसे जीडीपी को प्रभावित करता है, यह आवश्यक है।
2. उत्पादन के लिए अधिक धन More funds for production
कर योग्य कुल राशि में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था पर GST के प्रभावों में से एक रही है। निर्माता इस बचाए गए पैसे को उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्पादन प्रक्रियाओं में निवेश कर सकते हैं।
3. छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए समर्थन Support for small and medium enterprises
यदि आपने GST द्वारा स्थापित संरचना योजना के तहत पंजीकरण कराया है, तो GST की राशि आपकी कंपनी के वार्षिक टर्नओवर और आपके व्यवसाय के आकार पर निर्भर करती है। योजना निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:
कम अनुपालन और कागजी कार्रवाई
कम कर देयता
उच्च तरलता क्योंकि कर कम हैं
4. निर्यात की मात्रा में वृद्धि Increased volume of export
GST और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए निर्यात माल पर सीमा शुल्क कम हो गया है। इसलिए, माल का उत्पादन और परिवहन करते समय उत्पादन सुविधाएं अब अधिक लागत प्रभावी हैं। दो तरफा बचत के परिणामस्वरूप, अधिक औद्योगिक सुविधाएं अपने उत्पादों का निर्यात कर रही हैं।
5. पूरे भारत में उन्नत संचालन Enhanced operations throughout India
एक समान कराधान संरचना के कारण पूरे भारत में माल परिवहन अब सरल है, जिसने पूरे देश में परिचालन में सुधार किया है।
6. रियल एस्टेट पर जीएसटी का प्रभाव Impact Of GST On Real Estate
हमारे देश की कुल जीडीपी का लगभग 8% रियल एस्टेट से आता है। जीएसटी के लागू होने से पहले, एक निर्माणाधीन संपत्ति के भुगतान के लिए वैट, सेवा कर, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना पड़ता था। हालांकि, एक तैयार घर खरीदने के लिए केवल स्टैंप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
जीएसटी लागू करने से घर खरीदने की लागत कम होगी, खासकर यदि आप इसे निर्माण से पहले करते हैं। इसके अलावा, डेवलपर्स को उनके द्वारा प्रदान की गई वस्तुओं और सेवाओं पर भुगतान किए गए GST पर इनपुट क्रेडिट से भी लाभ होगा, क्योंकि संभावित खरीदार उस देयता को वहन करेंगे।
चूंकि सरकार ने जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ स्टैंप ड्यूटी को समाप्त कर दिया है, इसलिए रियल एस्टेट पर लगाए गए कर भी सरल हो गए हैं। इससे रियल एस्टेट सेक्टर पर जीएसटी के प्रभाव की प्रमुखता बढ़ गई है। इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना, निर्माणाधीन सभी घरों के लिए GST की कुल राशि 5% होगी। रहने के लिए तैयार संपत्तियों पर जीएसटी लागू नहीं है। यदि आप घर खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो कृपया संपत्तियों पर जीएसटी के प्रभावों पर विचार करें।
एक संपत्ति पर विचार करें जहां कालीन क्षेत्र 60 वर्ग मीटर तक है और यह गैर-मेट्रो स्थान में 90 वर्ग मीटर है। यदि हां, तो आप संपत्ति को किफायती आवास योजना में शामिल कर सकते हैं। अगर इस वाजिब कीमत वाले घर की कीमत 45 लाख से कम है, तो इस पर 1% GST लगेगा; अन्यथा, यह 5% GST को आकर्षित करेगा। रियल एस्टेट पर जीएसटी के ये कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव हैं।
टियर-4 कराधान प्रणाली में, बिल्डरों को अधिक करों का भुगतान करना पड़ता है लेकिन बाद में इनपुट क्रेडिट प्राप्त होता है। नतीजतन, यह देखना आसान है कि जीएसटी भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे मदद करता है।
7. जीएसटी का आम आदमी पर असर Impact of GST on the common man
तात्कालिक प्रभावों पर नजर डालें तो ग्राहकों को अब खरीदे जाने वाले सामान और सेवाओं पर अतिरिक्त टैक्स देना होगा। अधिकांश आवश्यक उपभोग्य सामग्रियों में या तो समान या अधिक कर राशि होगी। आम आदमी के लिए जीएसटी के कई फायदे हैं।
छोटे पैमाने के व्यवसायों को भी अनुपालन लागत वहन करनी चाहिए, जो उपभोक्ता के लिए उनके माल की कीमतों को बढ़ा सकती है।
हालाँकि, GST के कुछ दीर्घकालिक लाभ भी हैं। उदाहरण के लिए, उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माताओं के लिए करों में कमी के कारण एफएमसीजी उद्योग FMCG industry को अपनी वस्तुओं की लागत कम करनी होगी।
कीमतों में कमी से मांग में तत्काल वृद्धि होगी, विनिर्माण चक्र में तेजी आएगी और अधिक राजस्व उत्पन्न होगा। इससे अंततः अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और खरीदार और विक्रेता दोनों ही अच्छी रकम बचाने में सक्षम होंगे।
उत्पादन बढ़ने से विस्तार के द्वार भी खुलेंगे, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां और उच्च आय होगी। इससे न केवल आम आदमी के लिए अवसरों में सुधार होता है बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
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GST ने किन-किन करों का स्थान लिया है GST has Replaced How Many Indirect Taxes ?
जीएसटी के आने से पहले कई सारे इनडायरेक्ट टैक्स थे। उन सभी टैक्स को जीएसटी में समाहित कर दिया गया है। चलिए जानते हैं जीएसटी ने किन किन टैक्स की जगह ली है
- एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज ऑन गुड्स ऑफ स्पेशल इंर्पोटेंस
- एंटरटेनमेंट टैक्स entertainment tax
- एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज टैक्सटाइल एंड टैक्सटाइल प्रोडक्ट
- सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी Central excise duty
- ड्यूटी ऑफ एक्साइज मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिपरेशन
- सर्विस टैक्स service tax
- परचेज टैक्स
- लग्जरी टैक्स luxury tax
- ड्यूटी ऑफ कस्टम
- स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम
- सेस एंड सर्विस चार्ज
- वैल्यू ऐडेड टैक्स
- सेंट्रल सेल्स टैक्स
- एंट्री टैक्स entry tax
- टैक्स ऑन लॉटरी, वेटिंग एंड गैंबलिंग
- टैक्स ऑन एडवरटाइजमेंट tax on advertisement
जीएसटी (GST) के फायदे Benefits of GST
जीएसटी लागू होने के बाद जानते हैं इसके क्या फायदे हैं -
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जीएसटी लागू होने के बाद से सबसे ज्यादा लाभ सामान्य जनता को हुआ है क्योंकि GST के अंतर्गत सभी उत्पादों की खरीददारी करने पर एक समान टैक्स लग रहा है।
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जीएसटी में विभिन्न प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को शामिल करने की वजह से विनिर्माण और प्रोडक्शन लागत कम हो गई है और इसकी वजह से देश के आर्थिक विकास में भी सहायता प्राप्त हुई है।
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सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा लागू की गई जीएसटी के कारण भारत में टैक्स सिस्टम काफी आसान हो गया है।
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जीएसटी आने की वजह से व्यापारियों को अब सिर्फ जीएसटी टैक्स ही भरना पड़ रहा है, जिससे उन्हें व्यापार में लेन देन और आयकर भरने में आसानी हो गयी है।
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जीएसटी लागू होने के कारण सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेलिंग टैक्स, स्टेट सेलिंग टैक्स और वैल्यू ऐडेड टैक्स को खत्म कर दिया गया है।
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जीएसटी लागू हो जाने के बाद से भ्रष्टाचार की संभावना कम हो गयी है।
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अब जीएसटी की वजह से हमें सिर्फ 18 प्रतिशत कर ही भरना पड़ता है। वहीं जीएसटी आने के पहले हमें अलग-अलग प्रोडक्ट पर 30% से लेकर के 35 प्रतिशत तक टैक्स भरना पड़ता था।
जीएसटी के नुकसान Disadvantages of GST
जीएसटी के फायदे तो बहुत हैं। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं -
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जीएसटी IT संचालित कानून है। इसलिए एक बिजनेसमैन को वर्तमान में इस्तेमाल किए जाने वाले ईआरपी सॉफ्टवेयर को जीएसटी के लायक बनाना होगा या फिर जीएसटी सॉफ्टवेयर को खरीदना पड़ेगा।
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छोटे और मध्यम साइज के वे सभी बिजनेस जिन्होंने जीएसटी के लिए रजिस्टर नहीं किया है उन्हें भी जीएसटी टैक्स सिस्टम को जानना होगा।
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जो बिजनेसमैन अलग-अलग राज्यों में बिजनेस करते हैं उन्हें उन सभी राज्यों में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।
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जीएसटी की वजह से दिव्यांग लोगों के इस्तेमाल में आने वाली व्हीलचेयर,आवाज सुनने की मशीन जैसी चीजें भी टैक्स के दायरे में आ गई हैं।
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जीएसटी के लागू हो जाने के बाद इंश्योरेंस रिनुअल प्रीमियम, हेल्थ केयर,कोरियर सर्विस, डीटीएच सेवाएं महंगी हो गई है।
जीएसटी का रेट GST Rates List
जीएसटी के रेट की बात करें तो जीएसटी के अंतर्गत जरूरी चीजों पर कम टैक्स और लग्जरी चीजों पर अधिक टैक्स लगाया गया है। यानि कि पूरी कोशिश की गयी है इसे न्याय पूर्ण बनाने की। जैसे कच्चे माल अनाज और ताजी सब्जियों पर टैक्स का परसेंटेज जीरो है और एजुकेशन और हेल्थ सर्विस को टैक्स के दायरे से बाहर ही रखा गया है। जीएसटी के कुल पांच स्लैब निम्न हैं -
00% GST: इसमें नमक, अनाज, ताजी सब्जियां, गुड़ आदि चीज़ें हैं जो दैनिक जीवन के लिए जरूरी वस्तुए हैं।
05% GST: इसके अंतर्गत कई जरूरी वस्तुएं और सर्विस हैं जिन पर 05 परसेंटेज जीएसटी है। इसके अंतर्गत चाय, मसाला, चीनी, कॉफी, तेल आदि वस्तुएं आती हैं।
12% GST: इसके अंतर्गत दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं और सर्विस पर 12% जीएसटी है। जैसे कि मेडिसिन, टूथ पेस्ट, छाता, नमकीन आदि।
18% GST: इसके अंतर्गत दैनिक जीवन में कम इस्तेमाल वाली चीज़ें हैं जिन पर 18 पर्सेंट जीएसटी है। जैसे आइसक्रीम, शैंपू, मिनरल वाटर, डिटर्जेंट, चॉकलेट, रेफ्रिजरेटर, इत्यादि।
28% GST: लग्जरियस और हानिकारक कैटेगरी में आने वाली सर्विस और चीज़ों पर 28 पर्सेंट जीएसटी है। जैसे पान मसाला, ऑटोमोबाइल और महंगे होटल आदि।
जीएसटी में क्या-क्या बदलाव लाया है? What changes have been brought in GST?
जीएसटी में बदलाव की बात करें तो जीएसटी में टैक्स के लिहाज से काफी बदलाव आया है। इसे हम 'वन नेशन, वन टैक्स’ One Nation, One Tax के रूप में भी परिभाषित कर सकते हैं। पहले राज्य और केंद्र को अलग-अलग टैक्स का भुगतान अलग-अलग किया जाता था लेकिन अब जीएसटीआईएन Goods and Services Tax Identification Number (GSTIN) ने सभी टैक्सेस को एक ही में समाहित कर दिया है। जीएसटी द्वारा लाए गए परिवर्तन निम्न हैं-
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रियल एस्टेट और एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा
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एक्साइज ड्यूटी और सेल्स टैक्स जैसे इनडायरेक्ट टैक्स को एक में बदलना
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कोई एक से ज्यादा टैक्स का भुगतान नहीं करना है
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लग्जरी और आवश्यक गुड्स पर टैक्सेस की अलग पहचान
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आप जीएसटी ऑनलाइन पोर्टल या वेबसाइट के माध्यम से इनकम टैक्स रिटर्न और टैक्सेस को सरल तरीकों से भर सकते हैं
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टैक्सेशन प्रोसेस में ट्रांसपेरेंसी
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गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन में आसानी, कोई अलग टैक्स नहीं
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राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के तहत टैक्स प्रबंधन
जीएसटी के नए कंप्लायंसिस क्या हैं? What are the new compliances of GST?
नई जीएसटी कर व्यवस्था ने कई नए सिस्टम बनाए हैं, जो इस प्रकार हैं:
ई-वे बिल e-way bill
जीएसटी ने "ई-वे बिल" e-way bill की शुरुआत करके बिलों के लिए एक सेन्टरलाइज़्ड सिस्टम की शुरुआत की है। इस सिस्टम को निर्धारित तरीके से गुड्स की अंतर-राज्य और राज्य के अंदर आवाजाही के लिए शुरू किया गया था। मैन्युफैक्चरर्स, ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्टर गुड्स को उनके मूल स्थान से उसके गंतव्य तक आसानी से परिवहन के लिए बहुत जल्दी ई-वे बिल बना सकते हैं।
ई-चालान e-invoice
ई-चालान सिस्टम को अक्टूबर 2020 से लागू किया गया है। इनको इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल, जिसे जीएसटीएन पोर्टल के नाम से भी जाना जाता है। इस पर अपलोड करके समय प्रत्येक व्यवसाय-से-व्यवसाय इनवॉइस के लिए एक यूनिक इनवॉइस रेफ़्रेन्स नंबर प्राप्त करना जरूरी है। फिर डिजिटल हस्ताक्षर करके यह एक क्यूआर कोड का इस्तेमाल करने को कहता है।
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