सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए 10,900 करोड़ की PM E-Drive स्कीम को मंजूरी दी

Share Us

146
सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए 10,900 करोड़ की PM E-Drive स्कीम को मंजूरी दी
12 Sep 2024
6 min read

News Synopsis

इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीद पर सब्सिडी जारी रखने के बारे में महीनों की अटकलों के बाद सरकार ने आखिरकार पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) नामक एक नई स्कीम शुरू की है। यह स्कीम मार्च में समाप्त हो चुकी फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल (FAME) स्कीम का स्थान लेगी।

Ministry of Heavy Industries के तहत पीएम ई-ड्राइव का दो साल के लिए कुल बजट 10,900 करोड़ है। इस स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक टू व्हीलर, इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर, इलेक्ट्रिक ट्रक और बसों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक एंबुलेंस की खरीद पर सब्सिडी दी जाएगी। इनके अलावा यह स्कीम 88,500 इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग साइट्स को भी सहायता प्रदान करेगी। हालांकि इलेक्ट्रिक कारों को इस स्कीम से बाहर रखा गया है।

सरकार ने कहा "ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-एम्बुलेंस, ई-ट्रक और अन्य उभरते ईवी को प्रोत्साहित करने के लिए 3,679 करोड़ की सब्सिडी/मांग प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। यह स्कीम 24.79 लाख ई-2डब्ल्यू, 3.16 लाख ई-3डब्ल्यू और 14,028 ई-बसों का समर्थन करेगी।"

इस स्कीम  में स्टेट ट्रांसपोर्ट यूनिट्स और अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट एजेंसियों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रावधान है, जिसके लिए 4,391 करोड़ अलग रखे गए हैं।

सरकार ने कहा "40 लाख से ज़्यादा आबादी वाले नौ शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलोर, पुणे और हैदराबाद में ई-बसों की मांग का संकलन सीईएसएल द्वारा किया जाएगा। स्टेट्स के कंसल्टेशन से इंटरसिटी और इंटरस्टेट ई-बसों को भी समर्थन दिया जाएगा।"

पीएम ई-ड्राइव में 2,000 करोड़ के बजट के साथ इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1,800 फास्ट चार्जर और इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और थ्री व्हीलर के लिए 48,400 फास्ट चार्जर लगाने का प्रस्ताव है।

सरकार द्वारा स्कीम पर अधिसूचना जारी किए जाने के बाद प्रति व्हीकल सब्सिडी की मात्रा और आवश्यक लोकलाइजेशन स्तर के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध होगी।

यूनियन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव Union Minister Ashwini Vaishnav ने कहा "लोकलाइजेशन हिस्सा हर इंसेंटिव स्कीम का अभिन्न अंग है, ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है, कि हमारी अपनी टेक्नोलॉजीज और सप्लाई चेन विकसित हो।"

सरकार ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए नई और उभरती टेक्नोलॉजीज से निपटने के लिए Ministry of Heavy Industries के तहत टेस्ट एजेंसियों का आधुनिकीकरण भी कर रही है। इस अपग्रेड के लिए 780 करोड़ के बजट को मंजूरी दी गई है।

वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उपयोग अभी शुरुआती चरण में है, तथा कुल प्रवेश दर करीब 7% है। पिछले वर्ष में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल में दोपहिया व्हीकल्स की हिस्सेदारी 56% थी, जबकि तिपहिया व्हीकल्स की हिस्सेदारी 38% थी। अफ्फोर्डेबिलिटी और लिमिटेड चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को तेजी से अपनाने में बड़ी बाधा रहे हैं।

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को शुरुआती चरण में अपनाने में सहायक होती है, क्योंकि इंसेंटिव व्हीकल्स की शुरुआती लागत को कम करने में मदद करते हैं। अधिकांश इलेक्ट्रिक व्हीकल ओईएम मार्केट के परिपक्व होने तक सब्सिडी जारी रखने की आवश्यकता की वकालत कर रहे हैं।

फेम स्कीम का पहला चरण जिसमें 895 करोड़ का बजट था, 2015 में 2018 में समाप्त होने वाले पांच वर्षों के लिए शुरू किया गया था। इसके बाद 2019 में फेम 2 शुरू किया गया, जिसमें 2022 में समाप्त होने वाले तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ के बजट के साथ शुरुआत की गई। बाद में इस स्कीम को 1,500 करोड़ के बजट के साथ मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया।

FAME 2 का लक्ष्य 10 लाख इलेक्ट्रिक टू व्हीलर, 5 लाख इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर, 55,000 इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर और 7,000 इलेक्ट्रिक बसों को समर्थन देना था। इस स्कीम के तहत 11.70 लाख टू व्हीलर, 1.30 लाख थ्री व्हीलर, 16,631 फोर व्हीलर और 4,766 बसों को समर्थन दिया गया।

मार्च में FAME 2 की अवधि समाप्त होने के बाद सरकार ने 500 करोड़ के बजट के साथ एक टेम्पररी EMPS 2024 लॉन्च किया। EMPS शुरू में 31 जुलाई तक चार महीने के लिए वैध था, लेकिन इसे सितंबर के अंत तक बढ़ा दिया गया। बजट को भी बढ़ाकर 778 करोड़ कर दिया गया।

FAME 2 स्कीम के विपरीत EMPS केवल इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और थ्री व्हीलर को प्रोत्साहन प्रदान करता है, वह भी कम स्तर पर। इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर को इसमें शामिल नहीं किया गया। इस स्कीम का लक्ष्य 5.61 लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाना है, जिसमें 5 लाख इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और 60,709 इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर शामिल हैं।

PM-eBus Sewa-Payment Security Mechanism

पीएम ई-ड्राइव के अलावा सरकार ने PM-eBus Sewa-Payment Security Mechanism स्कीम को भी मंजूरी दी है। इस स्कीम से 2028-29 तक 3,435 करोड़ से अधिक के बजट के साथ 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाने में मदद मिलेगी।

Public transport authorities जैसे कि STU दो मॉडलों के माध्यम से इलेक्ट्रिक बसें खरीदते हैं, ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट और outright purchase। GCC मॉडल के तहत OEM या ऑपरेटर बसों के ऑपरेशन और मेंटेनेंस का मैनेज करते हैं, जिसमें STU प्रति किलोमीटर लागत का पेमेंट करते हैं।

जीसीसी मॉडल के तहत एसटीयू को बस की अपफ्रंट कॉस्ट का पे करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि एसटीयू को अक्सर इलेक्ट्रिक बसों की खरीद और ऑपरेशन में कठिनाई होती है, क्योंकि उनकी अपफ्रंट कॉस्ट अधिक होती है, और ऑपरेशन से रेवेनुए की प्राप्ति कम होती है। पोटेंशियल पेमेंट डिफॉल्ट्स की चिंताओं के कारण ओईएम या ऑपरेटर आमतौर पर इस मॉडल को अपनाने में संकोच करते हैं।

पीएसएम स्कीम के माध्यम से सरकार एक समर्पित फंड के माध्यम से ओईएम या ऑपरेटरों को समय पर पेमेंट सुनिश्चित करके इस चिंता को दूर करने की उम्मीद करती है। पेमेंट में चूक की स्थिति में इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी सीईएसएल स्कीम फंड से आवश्यक पेमेंट करेगी जिसे बाद में एसटीयू द्वारा वसूल किया जाएगा।

यह स्कीम तैनाती की तारीख से 12 साल तक की अवधि के लिए इलेक्ट्रिक बसों के ऑपरेशन का समर्थन करेगी।

जहाँ FAME स्कीम ने STU या इलेक्ट्रिक बस खरीदने वाली अन्य संस्थाओं को सीधे अपफ्रंट या ऑपरेशन कॉस्ट सब्सिडी प्रदान की, वहीं PM-eBus सेवा जो 5 मिलियन से कम आबादी वाले शहरों पर ध्यान केंद्रित करती है, इलेक्ट्रिक बसों के ऑपरेशन के लिए प्रति किलोमीटर के आधार पर फाइनेंसियल सहायता प्रदान करती है।