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जानिये ब्रिटिश सरकार की नींव हिलाने वाले देश के चार स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में 

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जानिये ब्रिटिश सरकार की नींव हिलाने वाले देश के चार स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में 
12 Aug 2022
8 min read

News Synopsis

भारत को आजादी Independence to India दिलाने की लड़ाई बहुत लंबे समय तक चलती रही, और तब जाकर 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से भारत को मुक्ति मिली। भारत के नागरिकों पर ब्रिटिश सरकार ने कई अत्याचार किये, जिसके चलते समय-समय पर विद्रोह की चिंगारी भारत के हर कोने से उठी थी। भारत की आजादी के लिए वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने जान तक दे दी। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने कई आंदोलनों को चलाया ताकि अंग्रेजों के अत्याचार को रोका जा सके। आजादी के 75 साल 75 years of independence पूरे होने पर भारत आजादी का अमृत महोत्सव Azadi Ka Amrit Mahotsav मना रहा है और इन वीर सपूतों को याद कर रहा है। तो चलिए जानते है उन स्वतंत्रता सेनानियों को जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राण त्याग दिए और देश की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

इस कड़ी में सबसे पहला नाम चंद्रशेखर आजाद Chandrashekhar Azad का है। जो कहते थे कि ''दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे। एक वक्त था जब उनके इस नारे को हर युवा दोहराता था। चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय क्रांति के नायक रहे। चंद्रशेखर आजाद  ने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय Lala Lajpat Rai की मौत का बदला लिया था। सांडर्स की हत्या हुई तो ब्रिटिश सरकार इस क्रांतिकारी की तलाश में जुट गई। जब ब्रिटिश पुलिस ने आजाद को चारों तरफ से घेर लिया लेकिन उन्होंने कसम खाई थी कि कोई फिरंगी उनकी जान नहीं लेगा। उन्होंने अपनी कसम की खातिर खुद को गोली मारी और भारत माता की आजादी के लिए शहीद हो गए। 

देश में आजादी का बिगुल फूंकने वालों में से एक नाम तात्या टोपे Tatya Tope का भी है, जिन्होंने देश में न सिर्फ 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी बल्कि पूरे देश में आजादी के लिए जंग छेड़ दी। उन्होंने देश की जनता को ये बताया कि आजादी क्या होती है, उसे हासिल करना कितना जरूरी है। इसी कड़ी में अंग्रेज़ों से जंग लड़ने वाले एक क्रांतिकारी 'टंट्या भील' Tantya Bhil' भी थे। उन्होंने अंग्रेजों की शोषण नीति के विरुद्ध आवाज उठाई और गरीब आदिवासियों के लिए मसीहा बनकर उभरे। वह केवल वीरता के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यो में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए जाने जाते थे। 

इस कड़ी में जब हम महिला वीर जवानों की बात करते हैं तो सबसे पहले नाम रानी लक्ष्मीबाई Rani Laxmibai का आता है। रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है। वह भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाली सबसे महान और पहली महिलाओं में से एक थीं। वह बिना किसी डर के अकेले ही ब्रिटिश सेनाओं से लड़ीं थी। रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां हम आप बचपन में भी किताबों में पढ़े हैं। कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान Poet Subhadra Kumari Chauhan  ने झांसी की रानी नामक शीषर्क से रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का विस्तार से वर्णन करते हुए लिखा है- खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। इतिहास में दर्ज बातों पर गौर करें तो पता चलता है कि रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे।

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