डिज़िटल युग में लोकतंत्र
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प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण में लोगों के जीवन को बदलने की शक्ति है। सरल से परिष्कृत तक प्रौद्योगिकी की पहुंच, प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और सार्थक रूप से इसकी उन्नति में भाग लेने के लिए नवीन वातावरण प्रदान करती है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का अवसर, हमें नौकरियों और उद्योगों की फिर से कल्पना और पुनर्परिभाषित करने के लिए आशा देता है, जो हमें समुदायों के रूप में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से विकसित होने में मदद कर सकता है। यह पहुंच महत्वपूर्ण है।
तकनीक की ताकत सबके हाथों में सौंपना ही प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण है। जबकि आईटी लोकतंत्रीकरण शक्तिशाली तकनीक को सभी के हाथों में रखता है, यह लोगों को नए उपकरणों तक पहुंच प्रदान करने से कहीं अधिक है। बड़े पैमाने पर इसका विकास हो रहा है और लोग इसको अपना रहे हैं। आज हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी शामिल है, व्यापार से लेकर अन्य क्षेत्रों में इसका विकास हो रहा है। साथ ही साथ उपभोक्ताओं द्वारा इसे अपनाए जाने के कारण प्रमुख निगमों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि लोग डिजिटल उपकरणों के आने से आत्मनिर्भर हो गए हैं। आने वाले दशकों में लोकतंत्र को हानि होने की आशंका है। लोकतंत्र के भविष्य के लिए और इसके सकारात्मक परिणाम के लिए इस पर विचार विमर्श की आवश्यकता है, जिससे कि आने वाले दशकों में लोकतंत्र को हानि ना हो।
प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण
लोकतंत्रीकरण शब्द की उत्पत्ति लोकतंत्र शब्द से हुई। जैसा कि एक लोकतंत्र में, सभी के समान अधिकार और जिम्मेदारी होती हैं, उसी तरह प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण से तात्पर्य है कि सभी के लिए तकनीकी डोमेन की आसानी से पहुंच हो सके, चाहे उसका पेशा और स्थान कुछ भी हो। प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अधिक से अधिक लोगों की प्रौद्योगिकी तक पहुंच होती जा रही है। समय बदल रहा है और अब तेजी से प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद करने के प्रयास में विचारों को साझा किया जा रहा है। नई तकनीक और बेहतर उपयोगकर्ताओं के अनुभवों ने तकनीकी उद्योग के बाहर के लोगों को तकनीकी उत्पादों और सेवाओं तक पहुंचाने और उपयोग करने में उनकी मदद की है। बड़े पैमाने पर उपयोगकर्ता तकनीकी उत्पादों को खरीद रहे हैं और उपयोग कर रहे हैं और साथ ही साथ इन उत्पादों के विकास में सार्थक रूप से भाग ले रहे हैं।
आज डिजिटलीकरण एक आम बात हो गई है यही कारण है कि बड़े पैमाने पर उत्पादनों का विकास हो रहा है और बढ़ता ही जा रहा है। अनुकूल उत्पादों की मांग, उपयोगकर्ताओं और उद्योगों के नवीनीकरण से जुड़ी हुई है। पहले जो समस्याएं प्रमुख निगमों के स्वामित्व वाले सुपर कंप्यूटर से हल की जाती थीं, आज वह व्यक्तिगत उपकरणों से हल की जा रही हैं। प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक लोगों की पहुंच ने इन समस्याओं को हल करने का एक और विकल्प दिया है। यह हमारे जीवन का इस हद तक हिस्सा बन गया है कि हम अब प्रौद्योगिकी के बिना जीवन की कल्पना नहीं करते हैं।
व्यापार प्रदर्शन में लोकतंत्रीकरण का योगदान
प्रौद्योगिकी जो व्यापार के बेहतर प्रदर्शन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, आश्चर्यजनक है यह हमारे लिए पहले से अधिक चीजों को सुलभ बनाता है। हम एक ऐसे युग की शुरुआत देख रहे हैं जहां प्रौद्योगिकी न केवल खरीदारों और गेमर्स के जीवन में एक अद्भुत जगह बना रही है, बल्कि यह उन व्यवसायों को भी जन्म दे रही है जो हमारे द्वारा खरीदी गई चीजों को अधिक प्रभावी और लाभदायक बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो ऊबर, अमेज़ॉन और अन्य ऐसी कंपनियां, जिन्हें अब डिजिटल-देशी कंपनियों के रूप में जाना जाता है, ने हर व्यवसाय की अपेक्षाओं को बदल दिया है। एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और सॉफ्टवेयर रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार शक्तिशाली लोकतांत्रिक कारक हैं जिसने बुनियादी ढांचे और लागत जैसी बाधाओं को कम कर दिया है।
यह लोगों को विकास के माध्यम से पैसा कमाने, व्यवसायों का विज्ञापन और प्रचार करने और नई चीजों का आविष्कार करने के नए तरीके देता है। आज के लोग इतने भाग्यशाली हैं कि उनके पास इन सभी चीजों तक पहुंच है और जो सपने पहले असंभव थे, वे अब साकार हो रहे हैं। कई मायनों में प्रौद्योगिकी के लोकतांत्रिकीरण ने उद्योग क्षेत्र को मजबूत किया है। बाज़ार विस्तृत और विविध हो रहे हैं। इनपुट बिना किसी लागत के उपलब्ध हैं। अत्यधिक सुविधाएं लोगों तक उपलब्ध हैं। लेकिन संबंधित उद्योग उपभोक्ताओं की मांग में कमी महसूस कर रहे हैं, क्योंकि लोग अपनी अधिक मांगों को स्वयं पूरा करने में सक्षम हैं।
विशेषज्ञों की आशंका, लोकतंत्र को खतरा
लगभग 50% विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दशक में प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोकतंत्र के मुख्य पहलू के कमजोर होने के आसार हैं। वास्तविकता, विकृति की गति और गुंजाइश, पत्रकारिता का पतन, निगरानी पूंजीवाद का प्रभाव, डिजिटल साक्षरता इत्यादि खतरे के क्षेत्र में आते हैं। ऐसा अनुमान है कि प्रौद्योगिकी के उपयोग के कारण 2020-2030 के बीच लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के मुख्य पहलू कमज़ोर होंगे। डिजिटल रूप से नेटवर्क निगरानी पूंजीवाद एक अलोकतांत्रिक वर्ग प्रणाली बनाता है, जो नियंत्रकों को नियंत्रण के खिलाफ खड़ा करता है।
डिजिटल युग में लोकतंत्र का भविष्य कैसा.?
लोकतंत्र का भविष्य कुछ रचनात्मकता रूप लेने वाला है। इसके लिए कुछ सूचित विचार-विमर्श की भी आवश्यकता है। इस बात से भी नज़रअंदाज करना मुश्किल है कि पिछले कुछ समय से लोकतांत्रिक सरकारों और संस्थानों में जनता का भरोसा कम होता गया है, लोगों को लगता है कि उनके जीवन को प्रभावित करने वाले प्रमुख घटनाक्रमों में उनकी कोई आवाज नहीं है। डिजिटल और लोकतंत्र की शक्तियां हमेशा पूरी तरह से संरेखित नहीं होती हैं। लोकतंत्र में कभी कल्पना नहीं की गई थी कि वह लोगों की मांगों के प्रति उतना संवेदनशील होगा जितना कि डिज़िटल प्लेटफॉर्म ने उन्हें उम्मीद दी है। डिजिटल को बड़े नैतिक मुद्दों के बजाय व्यवहारिक और स्थानीय निर्णयों को खोलकर लोगों को सार्वजनिक जीवन में वापस लाने के तरीके के रूप में भी देखा जा रहा है। सकारात्मक विकास के बावजूद अभी भी बहुत सारे मुद्दे हैं, जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है, यदि लोकतंत्र का भविष्य डिजिटल के साथ है।
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