वनों का संरक्षण- जलवायु परिवर्तन का मज़बूत समाधान

Share Us

6897
 वनों का संरक्षण- जलवायु परिवर्तन का मज़बूत समाधान
03 Oct 2023
6 min read

Blog Post

वन पूरी दुनियां में जलवायु के लिए एक मजबूत ताकत और आधार हैं।
वे पारिस्थितिक तंत्र को नियमित वा संतुलित करते हैं, जैव विविधता की सुरक्षा करते हैं, कार्बन चक्र में एक अहम् भूमिका निभाते हैं, हमारे लिए आजीविका का एक श्रोत हैं, जो सतत विकास को बढ़ावा देते हैं।
जलवायु परिवर्तन में वनों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण और समाधान दोनों के रूप में कार्य करते हैं।

अतः जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को दूर करने के लिए वन भी सबसे महत्वपूर्ण समाधानों में से एक हैं।

जलवायु परिवर्तन एक गंभीर वैश्विक समस्या है जो मानव जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण reasons for global warming बढ़ते तापमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, और चरम मौसम की घटनाओं जैसे बाढ़ और सूखे से दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं।

वन जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके और ऑक्सीजन छोड़कर, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं।

एक अकेला पेड़ एक वर्ष में लगभग 22 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है।

आज की दुनिया में, जहां वनस्पतियों की रक्षा का महत्व बढ़ रहा है, वनों का संरक्षण conservation of forests जलवायु परिवर्तन के सामने एक मजबूत समाधान प्रदान कर सकता है।

इस लेख में, हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए वनों के महत्वपूर्ण योगदान पर ध्यान केंद्रित करेंगे, साथ ही विभिन्न प्रौद्योगिकी और नीतिगत समाधानों की चर्चा करेंगे।

कबीर दास जी ने कहा है "वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर परमार्थ के कारने साधुन धरा शरीर" अर्थात: वृक्ष कभी अपने फल फूल इत्यादि स्वयं नहीं खाते। नदियाँ कभी अपनी बहती धारा का जल अपने लिए बचा कर नहीं रखतीं, अपना जल स्वयं नहीं पीतीं। कबीर जी के अनुसार परमार्थ का अर्थ है - "त्याग"  साधू वही है जिसमें ये सारे गुण विद्यमान हों।

मानव जीवन पाकर अधिक से अधिक परमार्थ के कार्य, दीन दुखियों की सहायता और सेवा करनी चाहिए। यही साधू अर्थात सज्जन पुरुषों का काम है। पर ये परमार्थ का असल काम तो हमारी प्राकृतिक सम्पदा natural resources के सबसे अहम् स्रोत पेड़ पौधे ही करते हैं, मानवों का परमार्थ तो अब सिर्फ स्वार्थ सिद्दी का माध्यम बन चुका है।

पेड़-पौधों की गहरी जड़ों से ले कर उनके शीर्ष तक - हमारे जंगल, हमारे ग्रह को स्वस्थ रखने वाले नायक हैं, और हमें जीवित रखते हैं। मानव ग्रह पर जितने लोग हैं, उससे कहीं अधिक मिट्टी में जीव हैं। वन पृथ्वी पर लगभग 80% जीवों का घर हैं।

वन और जलवायु परिवर्तन Forests and climate change

जलवायु परिवर्तन को कम करने में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हवा में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करने में मदद मिलती है। एक अकेला पेड़ प्रति वर्ष 22 किलोग्राम तक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर सकता है।

वन बाढ़ और सूखे से बचाने और मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करते हैं। वे पानी को अवशोषित करने और धीरे-धीरे छोड़ने में मदद करते हैं, जिससे बाढ़ का खतरा कम हो जाता है। वे मिट्टी को बांधते भी हैं, जिससे सूखे के दौरान मिट्टी का कटाव कम हो जाता है।

ताजा तथ्य और आंकड़े:Latest facts and figures:

  • दुनिया के वन लगभग 30% भूमि को कवर करते हैं और वे ग्रह के कुल कार्बन भंडार का लगभग 60% भंडारित करते हैं।

  • पेड़ हर साल लगभग 10 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने में मदद करता है।

  • वन बाढ़ और सूखे को कम करने में मदद करते हैं और मिट्टी के क्षरण को रोकते हैं।

  • वन लोगों को भोजन, ईंधन, और आवास प्रदान करते हैं और वे पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं को भी प्रदान करते हैं, जैसे कि परागण और वायु और जल शोधन।

  • दुनिया भर में हर साल लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर वन नष्ट हो जाते हैं।

वनों का जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव Impact of forests on climate change: 

  • वन जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके और ऑक्सीजन छोड़कर, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं।

  • वन बाढ़ और सूखे को कम करने में भी मदद करते हैं। वे पानी को सोखने और धीरे-धीरे छोड़ने में मदद करते हैं, जिससे बाढ़ के जोखिम को कम किया जाता है। वे मिट्टी को बांधे रखते हैं, जिससे सूखे के दौरान मिट्टी का क्षरण कम होता है।

  • वन लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में भी मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, वन गर्मी को कम करने में मदद करते हैं और वे लोगों को बाढ़ और सूखे से बचाते हैं।

वनों के संरक्षण के लाभ Benefits of conserving forests: : 

  • वनों का संरक्षण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

  • वनों का संरक्षण बाढ़ और सूखे को कम करने में मदद करता है और मिट्टी के क्षरण को रोकता है।

  • वनों का संरक्षण लोगों को भोजन, ईंधन, और आवास प्रदान करता है और यह पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं को भी प्रदान करता है।

  • वनों का संरक्षण एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य बनाने में मदद करता है।

वन जलवायु परिवर्तन से लड़ने और उसके प्रभावों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान हैं। वनों का संरक्षण करके, हम एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य बना सकते हैं।

जंगल जलवायु परिवर्तन से कैसे लड़ते हैं?

जंगल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके और ऑक्सीजन छोड़कर, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं।

वनों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण

वन प्रकाश संश्लेषण नामक प्रक्रिया के माध्यम से वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। जब पेड़ सूरज की रोशनी और कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं, तो वे ऑक्सीजन को वापस हवा में छोड़ते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो लाखों वर्षों से चल रही है।

एक अकेला पेड़ एक वर्ष में लगभग 22 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है। दुनिया भर के वन हर साल लगभग 10 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने में मदद करता है।

वनों द्वारा ऑक्सीजन का उत्पादन

वन ऑक्सीजन का भी उत्पादन करते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक है। पेड़ों की पत्तियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

वनों द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना

वन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी मदद करते हैं। वे बाढ़ और सूखे को कम करने और मिट्टी के क्षरण को रोकने में मदद करते हैं।

  • बाढ़ और सूखे को कम करना: वन पानी को सोखने और धीरे-धीरे छोड़ने में मदद करते हैं, जिससे बाढ़ के जोखिम को कम किया जाता है। वे मिट्टी को बांधे रखते हैं, जिससे सूखे के दौरान मिट्टी का क्षरण कम होता है।

  • मिट्टी के क्षरण को रोकना: वन मिट्टी के क्षरण को रोकने में मदद करते हैं। उनके जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं और मिट्टी के कटाव को रोकती हैं।

वनों के संरक्षण के लिए उपाय Measures to conserve forests

वनों का संरक्षण जलवायु परिवर्तन से लड़ने और उसके प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। वनों के संरक्षण के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

  • अवैध वनकटाई को रोकना: अवैध वनकटाई वनों के विनाश का एक प्रमुख कारण है। अवैध वनकटाई को रोकने के लिए सरकारों और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

  • वनीकरण को बढ़ावा देना: वनीकरण वनों के क्षेत्र को बढ़ाने की प्रक्रिया है। वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारें और नागरिकों को पेड़ लगाने और वनों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।

  • वनों के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करना: वनों के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करने की आवश्यकता है। इससे वनों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलेगी।

  • वनों के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना और उन्हें उनकी पारिस्थितिक सेवाओं के लिए धन्यवाद देना: वनों के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना और उन्हें उनकी पारिस्थितिक सेवाओं के लिए धन्यवाद देना महत्वपूर्ण है। इससे लोगों को वनों के महत्व के बारे में जागरूक करने और उन्हें संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

जानवर, बड़े और छोटे, जंगलों पर निर्भर होते हैं, जो उन्हें फल, नट और पौधे प्रदान करते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है। बदले में, हम मनुष्य अपने द्वारा खाए गए पौधों के बीज फैलाने के लिए फिर से उन्हीं जानवरों पर निर्भर होते हैं, जो मिट्टी को उर्वरित करने में मदद करते हैं। वही मिट्टी जिसमें मनुष्य अपना भोजन भी उगाते हैं। इस तरह अगर गिनना शुरू करें और वनों द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभों की लिस्ट केवल लंबी होती जाएगी, ख़त्म नहीं होगी। वन कटाव, भूस्खलन और हिमस्खलन Deforestation, landslides and avalanches के खिलाफ एक ढाल हैं।

पेड़ों की जड़ें मिट्टी को वह संरचना प्रदान करती हैं जो बारिश होने पर पानी को अवशोषित करने और उसे रोके रखने के लिए बहुत जरूरी होती है, बाढ़ से बचाती है नहीं तो ये बाढ़ पूरी तरह से उपजाऊ मिट्टी को धो देगी , जिसकी हमें अन्न उगाने के लिए जरूरत  होती है।

जंगल जितना पुराना होगा, वह मनुष्यों द्वारा पैदा की गई अतिरिक्त CO2 को हवा से बाहर निकालने, उसमें से कुछ को अपने लिए बचाने और बाकी का उपयोग अपनी शाखाओं, पौष्टिक फल, पैदा करने के लिए करते हैं । हर बार जब हम किसी जंगल को ख़त्म करते है, तो हम स्वतः ही अपनी प्राण वायु oxygen का बहुत बड़ा हिस्सा हमेशा के लिए नष्ट कर रहे होते हैं। हम उस भूमि का विनाश करते हैं जिस पर प्राचीन वन एक समय सीना ताने, गर्व से खड़े थे जो हजारों वर्षों से कार्बन जमा कर रहे थे, पर उन्हें आज हमारे अहम और महत्वाकांक्षाओं का शिकार होना पड़ रहा है। कहने का मतलब है कि, हर जंगल के ख़त्म होने के साथ, हम ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ अपनी ही सबसे महत्वपूर्ण सम्पदा को खोते जा रहे हैं।

Also Read: बुजुर्गों की खुशियाँ और सम्मान वापस दिलाती ये संस्थाएं

अमेज़ॅन के वर्षावन Amazon rainforest

अमेज़ॅन के वर्षावन Amazon rainforest दुनिया के सबसे विशाल वर्षावन क्षेत्रों में एक है। यह लगभग 2 मिलियन मील से अधिक भूमि क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके साथ ये नौ दक्षिण अमेरिकी देशों South American countries में फैला है: जिनमें ब्राजील, कोलंबिया, पेरू, वेनेजुएला, इक्वाडोर, बोलीविया, गुयाना, सूरीनाम और फ्रेंच गयाना Brazil, Colombia, Peru, Venezuela, Ecuador, Bolivia, Guyana, Suriname and French Guiana आदि आते है ।

यह एक विशाल जैव विविधता वाला पारिस्थितिकी तंत्र क्षेत्र है, जो असंख्य पेड़ पौधों, जानवरों और दुर्लभ प्रजातियों rare species का निवास स्थान है। इस वर्षावन में इतनी ताकत है की ये अपना खुद का मौसम बना सकते हैं और दुनिया भर की जलवायु पर अपना प्रभाव डालते हैं।

दुर्भाग्य से, ये बेहद नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र, वनों की कटाई के लगातार खतरे का सामना कर रहा है। एक अंतर्राष्ट्रीय सरकारी उपग्रह के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में ब्राजील के अमेज़ॅन में काटे गए पेड़ों की संख्या पिछले साल के इसी महीने में वनों की कटाई से कहीं अधिक थी। जिस क्षेत्र को नष्ट किया गया वह क्षेत्र 2021 से पांच गुना बड़ा था, जो 2015 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से जनवरी में सबसे अधिक है।

ब्राजील के विशाल वर्षावन Brazil's vast rainforests

ब्राजील की स्पेस रिसर्च एजेंसी space research agency की एक रिपोर्ट के मुताबिक वनों की कटाई में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020-21 में वनों की कटाई का अनुमान 13,235 वर्ग किमी था।

तमाम पर्यावरणविदों environmentalists ने ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो Brazilian President Jair Bolsonaro पर वनों की कटाई में तेजी लाने की अनुमति देने का आरोप लगाया लगते हुए उनकी आलोचना की है।
इसे रोकना बहुत जरूरी है अगर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटना है तो अमेज़न और उस जैसे विश्व के तमाम जंगलों की रक्षा करना आवश्यक है। पिछले साल ग्लासगो Glasgow में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन Climate change summit COP26 में, 100 से अधिक देशों सरकारों ने 2030 तक वनों की कटाई को रोकने और इसके लिए ज़रूरी कदम उठाने का वादा किया था। ब्राजील ने COP26 में 2030 तक वनों की कटाई को कम करने का लक्ष्य रखा है।

ब्राजील के विशाल वर्षावन Brazil's vast rainforests वातावरण से भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों greenhouse gases को अवशोषित करते है, जिसे कार्बन सिंक carbon sink के रूप में जाना जाता है।

लेकिन जितने अधिक पेड़ काटे जाते हैं, उतने ही कम जंगल उत्सर्जन को सोख पाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) Food and Agriculture Organization of the United Nations (FAO) की विश्व के वनों की स्थिति 2020 The State of the World’s Forests 2020 रिपोर्ट के अनुसार, "वनों की कटाई और वन क्षरण खतरनाक दरों पर जारी है, जो जैव विविधता Biodiversity को लगातार हानि पंहुचा रहे हैं।1990 के बाद से, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 420 मिलियन हेक्टेयर वन अन्य भूमि उपयोगों में बदल दी गई हैं, हालांकि पिछले तीन दशकों में वनों की कटाई की दर में कमी आई है।

2015 और 2020 के बीच, वनों की कटाई की दर प्रति वर्ष लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर थी, जो 1990 के दशक में प्रति वर्ष 16 मिलियन हेक्टेयर से कम थी। 1990 के बाद से दुनिया भर में वन के क्षेत्र में 80 मिलियन हेक्टेयर से अधिक की कमी आई है। कृषि भूमि agricultural land के विस्तार के लिए वनों की कटाई का बड़े पैमाने पर होना वन क्षरण forest degradation और वन जैव विविधता का बड़े पैमाने पर नुक्सानकर रहा है।" वन पूरी दुनियां के भूमि क्षेत्र के सिर्फ 30 प्रतिशत से अधिक को कवर करते हैं, फिर भी वे विज्ञान के लिए ज्ञात स्थलीय पौधों और जानवरों की प्रजातियों के विशाल समुदाय के लिए आवास प्रदान करते हैं।

दुनियां भर में आज जलवायु परिवर्तन Climate change से लड़ने के लिए अलग-अलग स्तरों पर प्रयास किये जा रहे है। इसी कड़ी में सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ अंडरग्राउंड नेटवर्क्स Society for the Protection of Underground Networks जो की एक नई गैर-लाभकारी विज्ञान पहल है, जलवायु परिवर्तन से जुड़े कारणों का अध्यन करते हुए पाती है कि मशीन लर्निंग का उपयोग करके दुनिया के भूमिगत कवक जीवन underground fungal life को मैप और संरक्षित करके वो इस दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते है।

उनका माना है कि "जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भूमिगत पारिस्थितिक तंत्र underground ecosystem की रक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से, हम कवक नेटवर्क fungal network की रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो कि एक विशाल कार्बन सिंक हैं, और मिट्टी के जीवित बायोमास live biomass का 50% से अधिक बना सकते हैं, "टोबी कीर्स", विकासवादी जीवविज्ञानी और एसपीयूएन के सह-संस्थापक "Toby Keers", evolutionary biologist and co-founder of SPUN कहते हैं "एक कार्बन सिंक वो है जो वायुमंडल से जितना कार्बन छोड़ता है उससे अधिक कार्बन अवशोषित करता है"।

आज दुनिया भर के शोधकर्ताओं इस काम में उनका सहयोग भी कर रहे हैं।

अपनी 2016 की किताब द हिडन लाइफ ऑफ ट्रीज़ The Hidden Life of Trees में, जर्मन लेखक और वनपाल पीटर वोहलेबेन German author and forester, Peter Wohlleben लिखते हैं कि कैसे कवक नेटवर्क का पेड़ों के साथ एक अभिन्न संबंध है। वे न केवल उन्हें पोषक तत्वों के आदान-प्रदान में मदद करते हैं, बल्कि वे चेतावनी संकेत भेजने में मदद करते हैं यदि किसी पेड़ पर कीटों या अन्य शिकारियों का हमला होता है। यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि पेड़ों और फफूंद नेटवर्कों में एक प्रकार की "दोस्ती" होती है।

निष्कर्ष  Conclusion

हमारे पैरों के नीचे की दुनिया एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का घर है, और हम उससे अनजान है। खाद्य और कृषि संगठन Food and Agriculture Organization की "मृदा जैव विविधता के ज्ञान की स्थिति, चुनौतियाँ और क्षमता" "The Status, Challenges and Potential of Soil Biodiversity Knowledge" विषय की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिट्टी पृथ्वी पर सभी प्रजातियों में से 25% का घर है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, वर्तमान अनुमान बताते हैं कि 2050 तक, पृथ्वी की 90% से अधिक मिट्टी खराब हो जाएगी। ऐसे संकट को टालने में फंगल नेटवर्क महत्वपूर्ण हो सकता है।

वन पूरी दुनियां में जलवायु के लिए एक मजबूत ताकत और आधार हैं। वे पारिस्थितिक तंत्र को नियमित वा संतुलित करते हैं, जैव विविधता की सुरक्षा करते हैं, कार्बन चक्र में एक अहम् भूमिका निभाते हैं, हमारे लिए आजीविका का एक श्रोत हैं, जो सतत विकास को बढ़ावा देते हैं।जलवायु परिवर्तन में वनों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण और समाधान दोनों के रूप में कार्य करते हैं। 

अतः जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को दूर करने के लिए वन भी सबसे महत्वपूर्ण समाधानों में से एक हैं। आंकड़ों के अनुसार लगभग 2.6 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड Carbon dioxide, जीवाश्म ईंधन fossil fuel के जलने से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्सइड का एक तिहाई, हर साल वनों द्वारा अवशोषित किया जाता है। इसलिए वनों को बढ़ाना और बनाए रखना जलवायु परिवर्तन का एक बहुत जरूरी समाधान है।

इस समय पूरी दुनिया इस बात पर बहस कर रही है की जलवायु परिवर्तन को कैसे रोका जाये जिससे कि भविष्य ने आने वाली भयानक त्रासदियों से बचा जा सके ऐसे समय में पेरिस समझौते Paris Agreement की प्रासंगिकता बहुत बढ़ जाती है पर सवाल ये है इसे कैसे ,और कितनी जल्दी लागू किया जाए, इसके लिए प्रत्येक राष्ट्र को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ताओं को ये सुनिश्चित करना होगा।

यह काम वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा New York Declaration की सदस्यता लेने और उसे लागू करने, वन जलवायु वित्तपोषण को बनाए रखने और पेरिस समझौते के तहत देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान में वन और भूमि उपयोग को शामिल करके किया जा सकता है।

अब समय आ गया है जब पूरी दुनियां जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एकमत से न सिर्फ अपने देश बल्कि पूरी दुनियां को सुरक्षित और बेहतर भविष्य देने के लिए के लिए सार्थक प्रयासों को सुनिश्चित करे।