एलोवेरा का व्यापार, कई रोगों का उपचार
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एलोवेरा की खेती को अपनाकर हमें हर तरफ से केवल फायदा होगा। एलोवेरा के गुण शारीरिक बीमारियों को दूर करते हैं और एलोवेरा की खेती आर्थिक बीमारियों को दूर करता है। आसानी से पैदा हो जाने वाला यह पौधा पूरे विश्व में अपने गुणों के कारण खास पहचान रखता है। यह छोटे से लेकर बड़े व्यवसाय के रूप में अच्छा विकल्प बन सकता है।
हम हमेशा ऐसे संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहते हैं जो हमारे लिए किसी भी तरह से हानिकारक ना हो। हम कोई वस्तु इस्तेमाल करने के लिए ख़रीदते हैं तो इस बात को अपने दिमाग में हमेशा रखते हैं कि हम कितने तरीकों से इससे फायदा ले सकते हैं। हम जब कोई व्यवसाय शुरू करते हैं तो इसी सोच को वहां पर भी लागू करते हैं। व्यवसाय शुरू करने से पहले हम उससे होने वाले हानि और लाभ को भली-भांति समझ लेते हैं। और हमें समझना भी चाहिए आख़िरकार हम उसमें अपने जीवन की सारी पूँजी जो लगाते हैं। हमारे व्यवसाय के लिए कौन सा वातावरण अनुकूल होगा इस बात पर हमें सबसे अधिक ध्यान देना होता है। कृषि के क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति व्यवसाय करने के बारे में विचार करे तो भारत देश में इसके अनगिनत अवसर मिल जाते हैं। भारत में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें स्थानीय वातावरण के अनुसार कई तरह के काम किये जा सकते हैं। हर्बल पौधों के मामले में भारत एक धनी देश रहा है। यहाँ पर औषधीय पौधों की अनेक प्रजातियां पायी जाती हैं। औषधीय पौधों की पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर मांग रहती है। एलोवेरा के अंदर मौजूद गुण न केवल शरीर के लिए बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति के लिए भी लाभदायक होता है। एलोवेरा की खेती करके व्यक्ति अच्छा व्यवसायिक सकता है।
एलोवेरा के पौधे से तो हम सब परिचित हैं। यह ऐसा पौधा है, जो हमारे घर के बगीचे में जरूर मौजूद रहता है। एलोवेरा में उपस्थित गुणों के कारण यह प्रत्येक घर में किसी ना किसी कार्य के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। हर घर में इसका इस्तेमाल किए जाने से आप इसका अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि यह बाज़ार में कितना कीमती बिकता होगा। (लगभग 149 रूपये प्रति ग्राम)
व्यवसाय के रूप में बेहतर विकल्प
घृतकुमारी के नाम से पहचान रखने वाले इस पौधे की उत्पादकता वैसे तो कुछ ही क्षेत्रों में अधिक मात्रा में है (थाईलैंड में इसका सबसे अधिक उत्पादन किया जाता है), परन्तु इसके साथ ही यह किसी भी क्षेत्र में आसानी से उत्पादित होने का भी गुण रखती है। अगर हम भारत की बात करें तो हर घर के गमले में हम सबको यह पौधा दिख जाएगा, परन्तु व्यवसाय के परिपेक्ष में इसकी खेती हमें कम ही देखने को मिलती है। चूंकि विश्व भर में इसकी खपत आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ घरेलू उपचारों में भी रहती है, यदि हम इसे व्यवसाय के रूप में अपनाएं तो हम इसके माध्यम से अधिक लाभ कमा सकते हैं।
2025 तक एलोवेरा का व्यापार बढ़ाने का उद्देश्य
विश्व भर में वर्ष 2025 तक एलोवेरा के व्यापार को 915 करोड़ डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में हम एलोवेरा की खेती को यदि व्यवसाय के रूप में चुने तो घृतकुमारी हमें एक स्थिर व्यवसाय देगी। इसकी खेती अधिक मेहनत नहीं लेती है और ना ही ज्यादा लागत की मांग करती है। आलू की खेती की तरह इसकी भी खेती की जाती है।
एलोवेरा की खेती में कम लागत
इसकी खेती को आप अनुपजाऊ जमीन पर उगा सकते हैं। यह किसी भी भूमि में उपजाऊ रहती है। खेत की दो बार जुताई करने के बाद क्यारियां बनाकर उसमें पौधों को 50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपित कर लें। वैसे तो पौधों को फरवरी माह में रोपित करने से अधिक फायदा होता है परन्तु आप इसे किसी भी माह में रोपित कर सकते हैं। वर्ष में कम से कम चार बार खेतों की सिंचाई करें। प्रति हेक्टेयर 10-12 टन के करीब गोबर की खाद इस्तेमाल करें। इसके अलावा आप उचित मात्रा में रासायनिक खाद को उपयोग में लाएं। खेत से समय-समय पर खर-परतवार निकालते रहने पर एलोवेरा के पौधों की वृद्धि सही रूप से होती है। इसके साथ थोड़ी मात्रा में कीटनाशकों का भी पौधों पर छिड़काव करके उसे रोगों से बचाएं।
4-5 वर्ष तक एलोवेरा को उपयोग में लें
एलोवेरा का पौधा 10-15 महीने के बीच में तैयार हो जाता है। इन पौधों की पुरानी और नीचे की पत्तियों को ही तोड़ कर उपयोग में लाया जाता है। हर 45 दिन के बाद यह प्रक्रिया आप कर सकते हैं। तोड़ी गई पत्तियों का इस्तेमाल कई रूप में किया जाता है। एक बार लगाए गए पौधे से आप न्यूनतम चार वर्ष तक लाभ उठा सकते हैं।
एलोवेरा की खेती के कई लाभ
एलोवेरा की खेती हमें कई मायने में मुनाफा देती है। एक बार लगाए गए पौधे से लगभग पांच वर्ष तक हम फायदा ले सकते हैं। इसकी खेती से हम उस स्थान को भी उपयोंग में ला पाते हैं जो उपजाऊ है। इसकी खेती में मिट्टी की गुणवत्ता भी कम नहीं होती है। पौधों में कीट लगने की संभावना कम रहती है, इस कारण कम से कम कीटनाशक पदार्थ का इस्तेमाल करना पड़ता है। एलोवेरा की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस पौधे को कोई जानवर नहीं खाता है। इससे हमारी पूरी फसल सुरक्षित रहती है। कुल मिलाकर इसमें बहुत कम लागत लगती है, परन्तु जब यह बाजार में जाती है तो बहुत महंगी बिकती है। यह उन व्यक्तियों के लिए बहुत ही सुविधाजनक और सरल खेती है जो गरीब हैं, जिनके पास अधिक पैसा नहीं और ना ही बहुत अधिक जमीन है।
देश में एलोवेरा के उत्पादन में वृद्धि करने से गरीबों को अधिक पैसे कमाने का मौका मिलेगा तथा घृतकुमारी के अधिक उत्पादन से भारत से इसके निर्यात की मात्रा में भी इज़ाफा होगा। जो देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने का काम करेगा।
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