कौन थे देश के पहले आईएएस (IAS) ऑफिसर

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23 Feb 2023
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News Synopsis

Latest Updated on 23 February 2023
जब भारतीय प्रशासनिक सेवा Indian Administrative Service में अधिकारियों की बात आती है, तो लोग उनकी रैंक और स्थिति देख सकते हैं। लेकिन उस पद को प्राप्त करने में कितनी मेहनत लगती है, इसकी कल्पना करना कठिन है। जब देश के पहले आईएएस अधिकारी IAS Officer की बात आती है, तो स्थिति अलग होती है। हम आपको बता रहे हैं, कि भारत के पहले IAS अधिकारी कौन थे? सत्येंद्रनाथ टैगोर इस पद को धारण करने वाले पहले व्यक्ति थे।

1 जून 1842 को सुरेंद्रनाथ टैगोर Surendranath Tagore का जन्म कोलकाता Kolkata के जोरासांको Jorasanko में टैगोर परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता महर्षि देबेंद्रनाथ टैगोर Maharishi Debendranath Tagore और शारदा देवी Sharda Devi थे। उनका एक बेटा और एक बेटी, सुरेंद्रनाथ टैगोर Surendranath Tagore और इंदिरा देवी चौधुरानी Indira Devi Choudhurani थे। वह प्रेसीडेंसी कॉलेज में छात्र थे, और बाद में भारतीय सिविल सेवा Indian Civil Services में शामिल हो गए। वह आईसीएस में पहले भारतीय अधिकारी थे। उन्होंने पूरे भारत में विभिन्न पदों पर कार्य किया।

सत्येंद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति थे, जिनका जन्म कोलकाता Kolkata के पश्चिम बंगाल West Bengal में हुआ था। वह एक सिविल सेवक और लेखक थे। उन्हें सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने में उनके काम के लिए भी जाना जाता है।

भारत में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत 1854 में हुई थी। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी East India Company का शासन था। सिविल सेवा प्रशिक्षण के लिए चुने गए उम्मीदवारों को लंदन London के हैलेबरी कॉलेज Haileybury College भेजा गया। ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करने वाले सिविल सेवकों को पहले कंपनी के निदेशकों द्वारा नामित किया गया था। बाद में इस प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। ब्रिटिश संसद British Parliament की प्रवर समिति की लॉर्ड मैकाले Lord Macaulay रिपोर्ट में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव में यह सिफारिश की गई थी, कि भारत में सिविल सेवा में चयन के लिए योग्यता आधारित परीक्षा का उपयोग किया जाए।

लोक सेवा आयोग का गठन 1854 में सिविल सेवा परीक्षाओं के संचालन के लिए लंदन में किया गया था। अगले साल परीक्षाएं शुरू हुईं। उस समय परीक्षा देने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष थी, और अधिकतम आयु केवल 23 वर्ष थी।

भारतीयों को असफल करने के लिए विशेष रूप से एक अलग परीक्षण किया गया था। उसमें यूरोपियन क्लासिक्स European Classics को ज्यादा नंबर दिए गए थे। अंग्रेज नहीं चाहते थे, कि भारतीय इस परीक्षा में पास हों, लेकिन पहले तो वे इसमें सफल रहे। लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं।

1864 में सत्येंद्रनाथ टैगोर नाम का एक भारतीय व्यक्ति Indian Man भारत में परीक्षा पास करने वाला पहला व्यक्ति बना। यह परीक्षा यह जांचने के लिए थी, कि क्या कोई सरकार में काम करने के योग्य है। टैगोर की सफलता के बाद सरकार ने हर तीन साल में इस परीक्षा को आयोजित करना शुरू कर दिया। 1922 में चार भारतीयों ने मिलकर परीक्षा पास की। यह भारत के लिए प्रगति का संकेत है, क्योंकि इस परीक्षा से पहले यह भारत में आयोजित नहीं की गई थी।

Last Updated on 12 October 2021

संघ लोक सेवा आयोग 2020 का रिजल्ट घोषित हो चुका है। जिसमें बिहार के रहने वाले शुभम कुमार ने मेन एग्जाम 2020 में टॉप किया है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का पहला आईएएस ऑफिसर कौन था और किसने ये शुरुआत की।

भारत में सबसे पहले साल 1854 में अंग्रेजों ने सिविल सर्विस एग्जाम की शुरुआत की थी। उसके लिए कम से कम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 23 साल थी। पहले सेवकों का नामांकन ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा किया जाता था पर बाद में लॉर्ड मैकाले की रिपोर्ट के बाद शुरू किया गया। उस दौरान भारतीयों के लिए ये परीक्षाएं काफी मुश्किल होती थी।

सबसे पहले 1864 में सत्येन्द्रनाथ टैगोर जो कि रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे, उन्होंने UPSC परीक्षा में सबसे पहले सफलता हांसिल की थी और तब उनकी उम्र 21 साल थी। यही वह पहले भारतीय थे जो आईएएस अफसर बने थे और आईएएस अफसर बनने के बाद उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी में तैनात किया गया। सत्येन्द्रनाथ टैगोर कलकत्ता यूनिवर्सिटी के लिए एग्जाम देने वाले भी पहले छात्र थे और उनको साहित्य से भी अत्यंत लगाव था। 

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