दुनियाभर World की बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियां Space Agencies अपने भविष्य के लिए अपने मिशन तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में पृथ्वी Earth से बाहर अन्य ग्रहों Other Planets पर अंतरिक्ष यात्रियों Astronauts को लंबे समय के लिए भेजने की योजना भी बनाई जा रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी US Space Agency नासा Nasa इस मिशन में सबसे आगे है, क्योंकि जल्द ही वह आर्टिमिस मिशन को लॉन्च करने वाली है। ‘आर्टिमिस 1' Artemis 1 मिशन सफल रहा, तो अमेरिकी स्पेस एजेंसी भविष्य में एकबार फिर से इंसान को चंद्रमा पर भेजेगी। एक ओर जब अंतरिक्ष में इंसानों की उपस्थिति बढ़ रही है, अंतरिक्ष की यात्रा से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों Health Risks के बारे में हमारा ज्ञान सीमित है।
हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी ने अंतरिक्ष यात्रियों में उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशंस Mutations की पहचान की है, जो उनकी उम्र को देखते हुए महत्वपूर्ण और अजीब है। जबकि यह खतरे की सीमा से नीचे है। इस स्टडी ने उन अंतरिक्ष यात्रियों में म्यूटेशन की पहचान की है, जिन्होंने अंतरिक्ष में काफी वक्त बिताया है। यह स्टडी इसलिए यूनीक है क्योंकि इससे पहले किसी भी स्टडी में इतने लंबे समय तक प्रिजर्व किए ब्लड सैंपल्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है। रिसर्चर्स ने 20 साल पहले एकत्र किए गए 14 अंतरिक्ष यात्रियों के ब्लड सैंपल्स Blood Samples का इस्तेमाल किया।
ये अंतरिक्ष यात्री साल 1998 से 2001 के बीच शटल मिशन का हिस्सा थे। इन सैंपल्स में से 85 फीसदी सैंपल्स पुरुषों के थे और 6 अंतरिक्ष यात्री अपने पहले मिशन पर अंतरिक्ष की उड़ान भर रहे थे। सोमैटिक म्यूटेशन Somatic Mutations की जांच के लिए इस स्टडी में 'डीप, एरर-करेक्टेड, टारगेटेड डीएनए सीक्वेंसिंग' का इस्तेमाल किया गया। नासा ने कन्फर्म किया है कि उसका कोई भी अंतरिक्ष यात्री कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी Astronaut Chemotherapy or Radiation Therapy के दौर से नहीं गुजरा था।
इस स्टडी से मिले रिजल्ट लंबी अवधि में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी में मदद कर सकते हैं। अपने निष्कर्ष में रिसर्चर्स ने अंतरिक्ष यात्रियों में बाहरी वजहों से जुड़े जोखिमों के अध्ययन पर जोर देने की बात कही है।