ऑनलाइन लोन Online Loan मुहैया कराने के नाम पर गोरखधंधा फैलाने वाली ऐप्स पर आरबीआई RBI ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। फिनटेक कंपनियों Fintech Companies की ओर से कर्ज के नाम पर चल रहे धंधे पर लगाम कसने की कवायद के तहत देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक Reserve Bank of India ने फाइनल दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार डिजिटल लेंडिंग प्लेटफार्म Digital Lending Platform सीधा ग्राहक के खाते में लोन की राशि क्रेडिट करेंगे। वे इसके लिए किसी थर्ड पार्टी Third Party के प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर Lending Service Provider की ओर से होती है तो भी ट्रांजैक्शन वाली रेगुलेटेड एंटिटी Regulated Entity यानी एनबीएफसी कंपनी की जिम्मेदारी होगी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से जारी गाइडलाइन Guideline के अनुसार एनुअल पर्सेंटेज रेट Annual Percentage Rate यानी APR में सभी तरह के कॉस्ट ऑफ फंड Cost of Funds, क्रेडिट कॉस, ऑपरेटिंग कॉस्ट Operating Cost, प्रोसेसिंग फी Processing Fee, वेरिफिकेशन चार्जेस Verification Charges शामिल करना जरूरी होगा। लोन जारी नहीं रखने की स्थिति में ग्राहक को कूलिंग ऑफर पीरियड Cooling Offer Period की समयसीमा देनी पड़ेगी। इससे ग्राहक लोन से सुविधाजनक तरीके से एग्जिट हो सकेंगे। रिजर्व बैंक की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक रेगुलेटेड एंटिटी के बैंक अकाउंट से जारी किए गए लोन की राशि सीधे ग्राहक के बैंक खाते में भेजना जरूरी होगा।
डिजिटल लोन के लिए आरबीआई की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार लोन की बकाया राशि पर ही लोन देने वाली फिनटेक कंपनी ब्याज वसूल सकेगी। इसके अलावा कंपनी के फैक्ट स्टेटमेंट Fact statement में एपीआर की दर बताना भी अनिवार्य होगा। ग्राहक के निजी डेटा से जुड़ी जिम्मेदारी लोन देने वाली रेगुलेटेड एंटिटी कंपनी पर होगी।