महंगाई को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर दिखना शुरू हो गया है। चालू फसल वर्ष 2021-22 में तिलहनी फसलों oilseed crops की बंपर पैदावार के अनुमान से आयात निर्भरता import dependency में कमी आने के आसार बढ़ गए हैं। सरकारी खजाने exchequer को इससे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। देश की अर्थव्यवस्था economy को महंगाई बुरी तरह प्रभावित करती है। जिसमें कृषि उत्पादों agricultural products की भूमिका भी अहम होती है। महंगाई की रफ्तार बढ़ाने में खाद्य तेलों edible oils की सहभागिता लगभग18 फीसदी तक पहुंच गई है। चालू फसल वर्ष 2021-22 में तिलहनी फसलों का उत्पादन 37.15 करोड़ टन पहुंच जाएगा। कृषि मंत्रालय ministry of agriculture के दूसरे अग्रिम अनुमान का आकंड़ा जारी हो चुका है। इसके मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले यह 45 लाख टन अधिक उत्पादन होगा। तिलहनी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य minimum support price (एमएसपी) में भी वृद्धि की है। तिलहनी फसलों की खेती को लेकर सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) की शुरुआत की। इसके तहत चालू रबी सीजन rabi season के दौरान सरसों उत्पादक प्रमुख किसानों को 10.67 करोड़ रुपए की लागत से उन्नतशील प्रजाति वाले हाईब्रिड सरसों बीज hybrid mustard seeds के 8.20 लाख मिनीकिट मुफ्त बांटे गए। कई राज्यों में उच्च उत्पादकता वाले हाईब्रिड प्रजाति hybrid varieties के बीजों की किट भी बांटे गए थे।