जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की सहायक कंपनी जियो पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड Jio Payment Solutions Limited ने घोषणा की कि उसे ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से मंजूरी मिल गई है।
28 अक्टूबर 2024 से प्रभावी यह ऑथरिज़ेशन JPSL को Payment and Settlement Systems Act 2007 की सेक्शन 7 के कंप्लायंस में डिजिटल ट्रांसक्शन को संभालने की अनुमति देता है।
घोषणा के बाद जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयरों में तेजी आई और मंगलवार को यह 1.45 प्रतिशत बढ़कर 321.45 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था।
पेटीएम को अपनी फाइनेंशियल सर्विसेज शाखा को नए कस्टमर्स को जोड़ने से रोकने वाले प्रतिबंधों से जूझना पड़ रहा है, ऐसे में जियो के पास डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज मार्केट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल करने का अवसर है।
JFS का ही एक हिस्सा जियो पेमेंट्स बैंक वर्तमान में बायोमेट्रिक एक्सेस और एक भौतिक डेबिट कार्ड के साथ डिजिटल सेविंग्स एकाउंट्स प्रदान करता है। यह सर्विस 1.5 मिलियन से अधिक एक्टिव यूजर्स का समर्थन करती है, जो डेली ट्रांसक्शन के लिए इस पर निर्भर हैं। इस आधार पर विस्तार करते हुए JFS ने जियो पेमेंट्स बैंक के सेविंग्स अकाउंट प्लेटफ़ॉर्म पर निर्माण करते हुए अपनी बैंकिंग ऑफरिंग्स को व्यापक बनाने की योजना बनाई है।
FY24 में लेंडिंग, इंश्योरेंस ब्रोकिंग और पेमेंट एग्रीगेशन को कवर करने वाले लाइसेंसों के एक समूह के साथ जियो ने अकेले अप्रैल 2024 में लगभग 1.8 मिलियन UPI पेमेंट संसाधित किए, जो डिजिटल फाइनेंस में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के अपने लक्ष्य को रेखांकित करता है।
हालांकि मार्च 2024 तक कंस्यूमर स्पेंडिंग में कैश का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत था, लेकिन RBI के एक स्टडी से पता चलता है, कि कोविड-19 महामारी के बाद से यह प्रवृत्ति कम हो रही है। डिजिटल पेमेंट विशेष रूप से UPI के माध्यम से 2021 में 14-19 प्रतिशत से बढ़कर 2024 तक 40-48 प्रतिशत हो गए हैं।
स्टडी के Cash Usage Indicator ने कैश के उपयोग में कमी, विशेष रूप से हाई-वैल्यू की खरीदारी के लिए और मर्चेंट पेमेंट में UPI की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला, जो FY 23-24 में वैल्यू का 69 प्रतिशत और ट्रांसक्शन की वॉल्यूम का 87 प्रतिशत था।
पिछले हफ़्ते जियो फाइनेंशियल सर्विसेज़ ने FY25 की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए समेकित शुद्ध लाभ में 3.12 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की, जो कुल 689.07 करोड़ रही। तिमाही के लिए कुल आय 14.14 प्रतिशत बढ़कर 694 करोड़ हो गई, जबकि ब्याज आय बढ़कर 205 करोड़ हो गई। हालांकि, कुल खर्च दोगुना होकर 142 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह 71 करोड़ था।