ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और ग्रांट थॉर्नटन भारत के अनुसार इंडियन इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट Indian Electric Vehicle Market में उल्लेखनीय वृद्धि होने वाली है, जिसका एक्सपेक्टेड वैल्यू 2030 तक 318,000 करोड़ होगा। वर्तमान में 2024 में 49,000 करोड़ के वैल्यू वाले इस मार्केट में 37% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट प्राप्त करने का अनुमान है, जो निवेश और विस्तार के लिए आशाजनक अवसरों का संकेत देता है।
रिपोर्ट में इस ग्रोथ के लिए कई प्रमुख कारकों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें मजबूत सरकारी समर्थन, ईवी की सामर्थ्य में सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव शामिल हैं। इस विस्तार में योगदान देने वाला एक अन्य कारक स्थानीयकरण पर जोर है, जो यह सुनिश्चित करता है, कि डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ती मांग को पूरा करे। अकेले 2023 में प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल फर्मों ने भारत के ईवी इकोसिस्टम में लगभग 8,395 करोड़ का निवेश किया।
पिछले वर्ष के सेल आंकड़े भी इस वृद्धि का समर्थन करते हैं। वर्ष 23 में भारत में लगभग 1.67 मिलियन ईवी बेचे गए, जो वर्ष 22 में बेचे गए 1.18 मिलियन से 42% अधिक है। यह तेज वृद्धि ईवी टेक्नोलॉजी में बढ़ती कंस्यूमर एक्सेप्टेन्स और एडवांसमेंट को उजागर करती है।
रिपोर्ट में भारत के ईवी कंपोनेंट मार्केट के भविष्य पर भी चर्चा की गई है, जिसमें ईवी के लिए खास तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले 11 जरूरी कंपोनेंट जैसे बैटरी, पावरट्रेन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 2030 तक बैटरी सेगमेंट के 13,000 करोड़ से बढ़कर 140,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसी तरह पावरट्रेन और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के 2023 में 10,000 करोड़ से बढ़कर 2030 तक 88,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। कनेक्टिविटी सिस्टम और चेसिस समेत अन्य कंपोनेंट के 2023 में 5,000 करोड़ से बढ़कर 2030 तक 90,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट इन कंपोनेंट्स को डोमेस्टिक प्रोडक्शन पर उनकी निर्भरता और मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक निवेश या स्किल के आधार पर वर्गीकृत करती है। वायरिंग हार्नेस और कनेक्टर जैसे कुछ कंपोनेंट्स के लिए न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है, और वे लोकल प्रोडक्शन पर निर्भर होते हैं। हालाँकि इलेक्ट्रिक मोटर असेंबली जैसे अधिक काम्प्लेक्स कंपोनेंट्स अभी भी आयात पर निर्भर हैं, लेकिन डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरर को अधिक निवेश और विशेष स्किल के साथ आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करते हैं।
ईवी अपनाने के मामले में भारत ने वर्ष 23 में 6.3% प्रवेश दर देखी। निरंतर सरकारी समर्थन, व्हीकल्स की कम लागत और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के साथ रिपोर्ट का अनुमान है, कि 2030 तक ईवी अपनाने की दर 30-35% तक बढ़ सकती है। दो और तीन-पहिया व्हीकल्स के इस वृद्धि पर हावी होने की उम्मीद है, जबकि इलेक्ट्रिक चार-पहिया व्हीकल्स को शेयर मोबिलिटी और सरकारी प्रोत्साहनों द्वारा धीरे-धीरे अपनाया जाएगा। इलेक्ट्रिक बस सेगमेंट का भी विस्तार होने की उम्मीद है, जिसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का लक्ष्य 2030 तक 100% इलेक्ट्रिफिकेशन करना है।
रिपोर्ट में डोमेस्टिक ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए दो महत्वपूर्ण सिफारिशें भी शामिल हैं। सबसे पहले यह इंडियन ईवी कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर को निर्यात रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है, सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स में देश की ताकत का लाभ उठाता है। यह एप्रोच उन्हें बेसिक कंपोनेंट्स से आगे बढ़कर सोफिस्टिकेटेड सिस्टम की ओर बढ़ते हुए ग्लोबल सप्लाई चेन में इंटीग्रेट करने में सक्षम करेगा। दूसरे रिपोर्ट प्रमुख कंपोनेंट्स को स्थानीय बनाने के लिए ग्लोबल ईवी टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर के साथ साझेदारी की वकालत करती है। स्थापित खिलाड़ियों और उभरते स्टार्ट-अप दोनों के साथ सहयोग भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को तेज कर सकता है।
मजबूत सरकारी पहल और क्लियर रोडमैप के साथ भारत का ईवी मार्केट तेजी से विकास के लिए तैयार है, जो मैन्युफैक्चरर, इन्वेस्टर्स और टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा।