नितिन शाक्य के पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से स्कूल ने उन्हें एडमिट कार्ड तक देने से मना कर दिया था। नितिन शाक्य ने दिन रात एक करके ना सिर्फ बारहवीं कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया बल्कि उन्होंने मेडिकल के एंट्रेंस एग्जाम को पास कर एमबीबीएस डिग्री भी हासिल की। इसके बाद उन्होंने एनेस्थीसिया में पोस्टग्रेजुएशन भी किया। जब वह गरीब बच्चों का इलाज करते थे, तब उनके मन में खयाल आया कि शिक्षा के दम पर वो समाज में विकास ला सकते हैं और इसी वजह से उन्होंने IAS बनने का निर्णय लिया। ये सफर भी आसान नहीं था और उन्हें चौथे प्रयास में सफलता मिली। नितिन के मुताबिक अभ्यर्थियों को एक ही किताब से तैयारी करनी चाहिए। इससे किसी भी टॉपिक को लेकर कन्फ्यूजन नहीं होता है। उनका मानना है कि एक टॉपिक के लिए एक ही किताब से तैयारी करें और रिवीजन पर ज्यादा ध्यान दें।