नवरात्रि आने वाली है, और अब हमें जगह-जगह दुर्गा पूजा के पंडाल देखने को मिल जायेंगे। लेकिन बांका में दुर्गा पूजा पंडालों में मनाने का प्रचलन नहीं है। बांका में 1950 से ही भव्य मंदिर बनने से मंदिर में ही पूजा होती आ रही है। यहाँ नवरात्रि में लगभग दो लाख बकरों की बलि दी जाती है, मंदिर या दुर्गा माँ के पंडाल न लगाने से छह करोड़ की बचत होती है। पंडाल की साज-सज्जा में 5 करोड़ तक का खर्च हो जाता है। इस बार कोरोना के चलते भीड़ ज्यादा नहीं उमड़ने की उम्मीद है, और शोर-गुल की भी मनाही होगी।