भारतीय रुपए Indian Rupee को लेकर नोबल पुरस्कार Nobel Prize विजेता अर्थशास्त्री Economists ने बड़ा बयान दिया है। नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डगलस डब्ल्यू डायमंड Douglas W Diamond ने कहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की स्थिरता विनिमय दरों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, रुपए में लगातार आ रही गिरावट तब स्थिर होगी, जब अमेरिकी डॉलर US dollar की विनिमय दरों की वृद्धि की रफ्तार में कमी आएगी। एक दिए इंटरव्यू में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा है कि, जब अमेरिका विनिमय दरों exchange rates को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाता है तब डॉलर मजबूत होता है। उन्होंने कहा, अमेरिका और भारत America and India में जब ब्याज दर लगभग एक समान स्तर पर आएंगी, तो चीजें सामान्य होने लगेंगी। गौर करने वाली बात ये है कि शिकॉगो विश्वविद्यालय University of Chicago के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस Booth School of Business में प्रोफेसर डगलस डब्ल्यू डायमंड को अमेरिका के केंद्रीय बैंक central banks फेडरल रिजर्व Federal Reserve के पूर्व चेयरमैन बेन बेर्नान्के Ben Bernanke और अमेरिकी अर्थशास्त्री फिलिप एच डिबविग American economist Philip H. Dibwig के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार मिला है। नोबल विजेता ने अपने बयान में कहा है कि, विनिमय दरों का सटीक अनुमान लगाना आसान नहीं है। जब अमेरिका की दरों में अप्रत्याशित तरीके से वृद्धि करता है, तो डॉलर में मजबूती आती है। जब अमेरिका में दरों में वृद्धि की गति घटेगी, तब रुपए में स्थिरता आएगी। ध्यान देने वाली बात ये है कि शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे चढ़कर 81.54 पर प्रति डॉलर US Dollar पर था। वहीं डायमंड ने अपने बयान में आगे कहा है कि जब बैंकों के पास पूंजी होती है, तो निगरानी प्रणाली तब बेहतर तरीके से काम करती है। उन्होंने कहा, जमाकर्ताओं को अच्छा रिटर्न मिले इसके लिए बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा जरूरी है। गौरतलब है कि नोबेल पुरस्कार विजेता डायमंड ने केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया Reserve Bank of India (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन Raghuram Rajan के साथ 2001 में ‘थ्योरी ऑफ बैंकिंग’ Theory of Banking पर काम किया था।
24 Sep 2022
Dollar vs Rupee: डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 81 के पार पहुंचा, आरबीआई कब देगा दखल?
वर्तमान समय में भारतीय मुद्रा रुपया Indian currency rupee अमेरिकी डॉलर US dollar के मुकाबले गिरता चला जा रहा है। शुक्रवार को रुपया कमजोर हाेते हुए अब तक के सबसे निचले स्तर lowest level पर पहुंच गया। शुक्रवार को शुरुआती सेशन में ही रुपया 39 पैसे की कमजोरी के साथ 81.81 के स्तर पर पहुंच गया। फिलहाल रुपया डॉलर के मुकाबले 80.99 के स्तर पर होल्ड कर रहा है। इससे पहले गुरुवार के कारोबारी सेशन में रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के लेवल पर बंद हुआ था। रुपए में यह एक दिन में आई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी। बाजार के जानकारों की मानें तो बीते दो दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपए के तेजी से कमजोर होने के दो सबसे अहम कारण हैं।
पहला अमेरिकी फेडरल रिजर्व US federal reserve की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना है। फेड के इस फैसले से डॉलर इंडेक्स dollar index मजबूत हुआ है, जिस कारण रुपया पर दबाव बढ़ा वह पिछले कारोबारी दिन एक ही दिन में 83 पैसे फिसलकर 80.79 के लेवल पर पहुंच गया। शुक्रवार को भी फेड के फैसले का असर बाजार दिखा और रुपया 39 पैसा और टूटकर 81.18 के लेवल पर पहुंच गया। खबरों के मुताबिक जिस अक्रामक तरीके से फेड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी interest rate hike की है उससे दुनियाभर की करेंसी currency around the world में कमजोरी आएगी।
माना जा रहा है कि आने वाले समय में रुपये में और गिरावट हो सकती है। जबकि फॉरेक्स मार्केट के कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि रुपया किस लेवल तक गिर सकता है इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। बाजार में रुपये की कमजोरी का दूसरा कारण पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही महंगाई है। इस कारण कई देशों में मंदी की आशंका गहरा गई है।
इस कारण भी रुपया कमजोर होने की राह पर है। फॉरेक्स मार्केट forex market के जानकार मानते हैं कि डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपए में आधा से पौने फीसदी की गिरावट आनी चाहिए थी पर यह एक से सवा फीसदी तक लुढ़क गया है। ऐसे में अब बाजार की नजर इस बात पर टिकी है कि केंद्रीय बैंक central bank आरबीआई RBI गिरते रुपये को संभालने के लिए क्या कदम उठाता है? हालांकि इस बात की संभावना कम है कि आरबीआई इस बार रुपये पर लगाम लगाने की कोशिश करेगा।
क्योंकि रुपया 80 का लेवल पहले ही ताेड़ चुका है। आरबीआई इंतजार कर सकता है कि किस स्तर पर जाकर रुपया स्टेबल stable होता है या इसका अलग लेवल level क्या है?