अवाडा ग्रुप Avaada Group अगले पांच वर्षों में मध्य प्रदेश में 50,000 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण निवेश की योजना बना रहा है, जिसमें से अधिकांश प्रोजेक्ट्स तीन से चार वर्षों के भीतर मूर्त रूप ले लेंगी, यह चेयरमैन विनीत मित्तल Vineet Mittal ने कहा।
उन्होंने कहा कि अवाडा ग्रुप 2010 से मध्य प्रदेश के ग्रीन एनर्जी सेक्टर में एक्टिव रूप से शामिल है। कंपनी ने 151 मेगावाट क्षमता वाला राज्य का पहला बड़े पैमाने का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया है।
पिछले कुछ वर्षों में अवाडा ने सोलर, विंड और पंप स्टोरेज बैटरी सिस्टम सहित विभिन्न रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स को विकसित करके अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है।
उन्होंने कहा कि "वर्तमान में हम 5 वर्षों की पीरियड में मध्य प्रदेश में लगभग 50,000 करोड़ रुपये के निवेश पर विचार कर रहे हैं, और इसका अधिकांश हिस्सा 3 से 4 वर्षों में पूरा हो जाना चाहिए"।
विनीत मित्तल ने कहा कि अवाडा के निवेश को थाईलैंड के पीटीटी ग्रुप और ब्रुकफील्ड जैसे ग्लोबल इन्वेस्टर्स का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने मध्य प्रदेश में अपनी चल रही प्रोजेक्ट्स के लिए पहले ही कैपिटल हासिल कर ली है, जिनमें से कई सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा संचालित नेशनल टेंडर्स का हिस्सा हैं।
भारत के महत्वाकांक्षी रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों पर चर्चा करते हुए विनीत मित्तल ने देश के 500 गीगावाट नॉन-फॉसिल फ्यूल एनर्जी प्राप्त करने के लक्ष्य पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि भारत की एनुअल सोलर एनर्जी क्षमता 10 गीगावाट से बढ़कर 30 गीगावाट हो गई है, और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसे प्रति वर्ष 50 गीगावाट तक पहुंचने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा "भारत का लक्ष्य 500 गीगावाट नॉन-फॉसिल फ्यूल का है। यदि आप देखें तो लगभग प्रति वर्ष 10 गीगावाट से हमने 30 गीगावाट करना शुरू कर दिया है। हमें इसे 50 गीगावाट तक बढ़ाने की आवश्यकता है। तब 500 गीगावाट वास्तविक होगा।"
उन्होंने कहा कि भारत का सौर पैनल प्रोडक्शन 5 गीगावाट से बढ़कर 60 गीगावाट तक पहुंच गया है, जो रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में देश के तेजी से विस्तार को दर्शाता है।
विनीत मित्तल ने भारत की बढ़ती पावर मांग पर भी बात की और इसका श्रेय मेक इन इंडिया पहल और बढ़ती आर्थिक समृद्धि को दिया। हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि भारत रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स के अपने आक्रामक विस्तार के माध्यम से मांग को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सोलर, विंड और बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ भारत कॉम्पिटिटिव रेट्स पर चौबीसों घंटे ग्रीन एनर्जी प्रदान कर सकता है, जो थर्मल पावर से भी सस्ती है।