हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक संतुलन Nature balance बनाए रखने के लिए पर्यावरण व वन्य जीव कितने आवश्यक है, फिर भी दुनिया की बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है, जिससे वन्य जीवों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। मानव प्रजाति ने अपने स्वार्थ के चलते लकड़ी को जलाकर कोयला बनाया और पेड़ों को काटकर खेत व आवासीय क्षेत्र बना दिए। ऐसे में जंगली जीवों व वनों को बचाना अति आवश्यक है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि कौन से संगठन व लोग वनों और वन्यजीवों के संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं। पढ़ते रहिये -थिंक विथ नीस Think With Niche।
जब होगा जल संरक्षण (Water conservation), वन संरक्षण (Forest protection) और जीव संरक्षण (Wildlife Protection) तभी होगा मानव जीवन संरक्षण।
पृथ्वी की अद्भुत व अलौकिक जैविक विविधता (Biodiversity) ही उसका सौंदर्य है और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीवों और पर्यावरण का संरक्षण (Nature protection) हमारा कर्तव्य (Responsibility) है। कुछ महापुरुषों और संगठनों ने हमारे जंगलों और जंगली जीवों को बचाने के लिए अथक प्रयास किये हैं, जिसमें उन्हें सफलता (success) भी मिली। अगर हम बात करें भारत की तो वर्ष 1973 में पर्यावरणवादी, सुंदर लाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट, ने पहाड़ी इलाकों में चिपको आंदोलन (Chipko movement) शुरू किया, जिसमें पहाड़ी इलाके की महिलाएं ने पेड़ों को गले लगाकर उन्हें कटने से बचाया। ठीक इसी प्रकार वर्ष 1993 में कर्नाटक में पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में अप्पीको आंदोलन (Appiko movement) शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य वनों को संरक्षित करना था। हमारे देश के कुछ संगठन व लोगों ने वन्य जीवों के लिए कई प्रयास किये और अब बारी हमारी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार वन्य जीवों व वनस्पतियों (flora and fauna) की 8,400 से अधिक प्रजातियां गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं, जबकि 30,000 से अधिक प्रजातियां लुप्त होने के मार्ग पर या खतरे में हैं।
2022 में, विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day) का मुख्य उद्देश्य गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों (Endangered) (species) को नष्ट होने से बचाना तथा उनके आवासों और पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) का संरक्षण (protection) करना है।
वन्य जीवों का संरक्षण इतना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इन विगत वर्षों में वनों की कटाई की वजह से कई खतरनाक प्रभाव देखने को मिले हैं, जैसे जानवरों के आश्रयों (animal shelters) का विनाश, ग्रीनहाउस गैसों (greenhouse gasses) में वृद्धि, बर्फ के पहाड़ों व ग्लेशियरों (glaciers) का पिघलना, इत्यादि। यही कारण है जिसकी वजह से समुद्र के स्तर में भी वृद्धि हो रही है, ओजोन परत ozone layer कम हो रही है और तूफान (hurricanes), बाढ़ (floods), सूखा (droughts) आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ रही हैं। ये सावल हर व्यक्ति के मन में आता है कि वन्य जीवन को नष्ट होने से रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं।
यदि आप चाहते हैं कि जंगली जीवों की प्रजातियां नष्ट ना हों तो आप खुद से एक पहल शुरू कर सकते हैं। कई ऐसे लोग जो वन्य जीवों को बचाने का कार्य कर रहे हैं आप उनके कार्यों को सभी तक पहुंचकर उनका समर्थन कर सकते हैं। और ये बात हम सभी जानते हैं कि वनों को काटने से वन्यजीवों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में आप लोगों को जागरूक करके वनों को कटने से बचा सकते हैं।
पेड़-पौधे, जीव-जंतु, व नदियां इत्यादि हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि ये सभी संतुलित रहेंगे तो पृथ्वी पर जीवन संतुलित रहेगा, इसीलिए अपने आस-पास के लोगों को पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक करके आप पर्यावरण के संतुलन में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कोई भी वस्तु या कपड़े खरीदने से पहले ये समझना आवश्यक है कि इस वस्तु या कपड़े के लिए किसी जानवर की बलि तो नहीं दी गयी। यदि आप ऐसे सामनों का उपयोग करना बंद कर दें तो आप कई जानवरों को सुरक्षित कर सकते हैं।
वर्ष 1981 में भारत में वनों के संरक्षण व संवर्धन के लिए फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया Forest Survey of India (FSI) की स्थापना की गई थी। FSI वन और पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत काम करता है। भारतीय वन सर्वेक्षण का प्राथमिक कार्य वनों के क्षेत्र को मापना तथा देशव्यापी सर्वेक्षण के माध्यम से देश के वन धन को इकट्ठा और मूल्यांकन करना है। इसके अलावा वनों को वनों को संरक्षित करने के लिए वन सुरक्षा कानून वर्ष 1980 में लागू किया गया था तथा इसका संशोधन 1981 और 1991 में किया गया। इसके उपरान्त पर्यावरण की रक्षा करते हुए पारिस्थितिक संतुलन को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय वन नीति 1988 में लागू की गयी।
इन सभी नीतियों का उद्देश्य वनों का संरक्षण करना और देश भर में जागरूकता फैलाना था। इसके साथ ही भारत सरकार Indian Government ने जंगलों को आग से बचाने के लिए इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम (IFPS) तैयार की। इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है, क्योंकि इन क्षेत्रों में जंगलों को बचाने के लिए संसाधनों की कमी पूरी की गयी।
वर्तमान समय में भारत में तीन केंद्रीय वन अकादमियां Central Forest Academy मौजूद हैं। पहली बायर्निहत (असम), दूसरी कोयंबटूर (तमिलनाडु) और तीसरी देहरादून (उत्तराखंड) में है।
भारत में राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम भी शुरू किया गया था इसका उद्देश्य पर्यावरण के विकास में सक्रिय लोगों की सहायता से पारिस्थितिक पुनर्स्थापना, पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण विकास, इसके अलावा, भूमि में गिरावट, वनों की कटाई और जैव विविधता को नुकसान की जांच करना था।
भारत घनी आबादी वाला क्षेत्र है जिसके चलते जंगलों पर लगातार दबाव रहता है। ऐसे में देश के वन्य जीवों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, तो आइये आज संकल्प लें वनों व वन्यजीवों संरक्षण का।
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