नदियों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल सितंबर के चौथे रविवार को विश्व नदी दिवस (World River day 2022) मनाया जाता है। यह दिन पृथ्वी के जलमार्ग का जश्न मनाता है, जिसमें हर साल 60 से अधिक देश भाग लेते हैं। ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, भारत, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और बांग्लादेश (UK, Canada, USA, India, Poland, South Africa, Australia, Malaysia and Bangladesh) में नदियों के संरक्षण के लिए कई परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। भारत में प्राचीन काल से ही नदियों के महत्त्व को समझा गया है इनसे मनुष्य का अस्तित्व जुड़ा हुआ है और ये अनेकों सभ्यताओं की जननी है । पूर्वांचल में, छठ उत्सव श्रद्धेय नदियों (Revered Rivers) के किनारे मनाया जाता है।
विश्व नदी दिवस (World River Day 2022) हर साल सितंबर के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। 25 सितंबर 2022 को भारत सहित पूरे विश्व (World Rivers day in India) में उत्साह से मनाया जाता है। नदियों की रक्षा को लेकर 2005 में इसे मनाने की शुरुआत की गई थी। मालूम हो कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है, जिसमें से 97.3 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं होकर खारा पानी है। शेष 2.7 प्रतिशत मीठा जल हमें नदियों, झीलों, तालाबों जैसे संसाधनों से प्राप्त होता है। इसलिए विश्व नदी दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई।
मार्क एंजेलो नाम के एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध नदी संरक्षणवादी (Internationally Renowned River Conservationist) ने 2005 में संयुक्त राष्ट्र को अपने वाटर फॉर लाइफ अभियान (Water for Life Campaign) के हिस्से के रूप में संबोधित किया, जो दुनिया के कमजोर जल संसाधनों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए दस साल का प्रयास है। एंजेलो ने अभियान के केंद्र बिंदु के रूप में काम करने के लिए एक वार्षिक विश्व नदी दिवस बनाने का प्रस्ताव रखा।
विश्व नदी दिवस को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने विश्व के जीवन दशक और अन्य प्रस्तावों के उद्देश्यों के लिए एक अच्छे दांव के रूप में देखा। पहला विश्व नदी दिवस कई देशों में मनाया गया। आज, वार्षिक आयोजन का समारोह 60 से अधिक देशों में होता है, और लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं।
नदियां बारहमासी रहती हैं।
बाढ़ की घटनाएं कम होती हैं।
सूखे से लड़ने में मदद मिलती है।
भूजल फिर से भरने लगता है।
वर्षा सामान्य होती है।
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
मिट्टी का कटाव रुकता है।
जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है।
जैव-विविधता की सुरक्षा।
नदियाँ पर्यावरण का अभिन्न अंग हैं। हालांकि, तेजी से शहरीकरण, औद्योगीकरण (Urbanization, Industrialization) और बढ़ती मानव आबादी ने नदियों को भारी नुकसान पहुंचाया है। साथ ही कई समुदाय ऐसे भी हैं जिनका अस्तित्व, आजीविका नदियों पर निर्भर है। मालूम हो कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है, जिसमें से 97.3 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं होकर खारा पानी है। शेष 2.7 प्रतिशत मीठा जल हमें नदियों, झीलों, तालाबों जैसे संसाधनों से प्राप्त होता है। इसलिए विश्व नदी दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई।
गलत नीतियों, मानव द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और कई स्वार्थियों के कारण अनेक नदियां का अस्तिव समाप्त हो रहा है। प्रदूषित हो रही नदियों को संवारने के लिए संरक्षित करने की जरूरत है।
पुराणों में उल्लेख है कि विश्व की प्राचीन सभ्यतायें (Ancient Civilizations) नदियों के किनारे ही विकसित हुई है। नदियां को स्वच्छ जल का संवाहक होती हैं। एशिया महाद्वीप (Asia Continent) का हिमालय पर्वत (Himalaya Mountains) पुरातन समय से नदियों का उद्गम स्रोत रहा है। गंगा, यमुना, सिंधु, झेलम, चिनाव, रावी, सतलज, गोमती, घाघरा, राप्ती, कोसी, हुबली तथा ब्रहमपुत्र (Ganga, Yamuna, Indus, Jhelum, Chenab, Ravi, Sutlej, Gomti, Ghaghra, Rapti, Kosi, Hubli and Brahmaputra) आदि सभी नदियों का उद्गम हिमालय से शुरू होकर हिन्द महासागर (Indian Ocean) में जाकर अपनी गिरती है।
विश्व नदी दिवस भारत का कोई अलग से कार्यक्रम नहीं है। पुराने लोगों द्वारा कहा जाता है कि सालों पहले भारत की नदियां बारह मासी यानी 12 माह बहने वाली होती थी, लेकिन अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के कारण नदियों ने अपना अस्तिव खो दिया। वर्तमान में हालात यह है कि ग्रीष ऋतु में भारत की सभी नदियों का जल सूख जाता है।
मार्क एंजेलो एक विश्व प्रसिद्ध नदी संरक्षण कार्यकर्ता हैं। एंजेलो बीसी नदी दिवस और विश्व नदी दिवस के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वह ब्रिटिश कोलंबिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (British Columbia Institute of Technology) में रिवर इंस्टीट्यूट (River Institute) के अध्यक्ष एमेरिटस भी हैं।
एंजेलो ने दुनिया भर में करीब 1,000 नदियों की यात्रा की है, शायद दुनिया में किसी व्यक्ति ने इतनी यात्रा कि हो। उनका शो, "रिवरवर्ल्ड", उत्तरी अमेरिका में लोकप्रिय था और शो की वेबसाइट पर 40 मिलियन से अधिक बार देखा गया था।
नदियों के संरक्षण में उनके योगदान के लिए मार्क ने कई पुरस्कार जीते हैं। उन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया और ऑर्डर ऑफ कनाडा मिला (order of canada), जो कनाडा में सर्वोच्च सम्मान है। उन्होंने यूनाइटेड नेशन का स्टीवर्डशिप अवार्ड (United Nations Stewardship Award) और नेशनल रिवर कंजर्वेशन अवार्ड (National River Conservation Award) भी जीता है। मार्क एंजेलो के अनुसार, "नदियाँ हमारे ग्रह की धमनियाँ हैं (Rivers are the arteries of our planet), वे सच्चे अर्थों में जीवन रेखाएँ हैं"।
भारत के कई शहरों में उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ (Waste Material) को रिसायल करके नदियों में मिला दिया जाता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में मौजूद चंबल नदी (Chambal River) को ग्रेसिम उद्योग नागदा द्वारा प्रदूषित किया जा रहा है। नदी इस कदर प्रदूषित हो चुकी है पानी पीने योग्य नहीं बचा है। नदी के किनारे बसे गांव परमार खेड़ी में प्रति 10 घर में एक सदस्य विकलांग है। गांव की आबादी 900 है। गांव के सभी जलस्त्रोत प्रदूषित (Water Source Polluted) हो चुके है। प्रशासन ने जलस्त्रोतों को बंद कर खतरनाक घोषित कर दिया है।
सीपीसीबी की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीनदायिनी कही जाने वाली ये नदियां खुद खतरे में हैं। 521 नदियों के पानी की मॉनिटरिंग करने वाले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश की 198 नदियां ही स्वच्छ हैं। जो छोटी नदियां हैं। जबकि, बड़ी नदियों का पानी भीषण प्रदूषण (Severe Pollution) की चपेट में है। 198 नदियां स्वच्छ पाई गईं, इनमें ज्यादातर दक्षिण-पूर्व भारत की हैं। महाराष्ट्र में सिर्फ 7 नदियां ही स्वच्छ हैं, जबकि 45 नदियों का पानी प्रदूषित है।
नदियों के किनारों पर सघन वृक्षारोपण (Intensive Plantation) किया जाये जिससे किनारों पर कटाव ना हो।
नदियों का पानी गन्दा होने से बचाये, मसलन पशुओं को नदी के पानी मे जाने से रोके। गांव व शहरों का घरेलू अनुपचारित पानी नदी में नही मिलने दे।
पानी को यह सोच कर साफ रखने का प्रयास करें कि आगे जो भी गांव या शहर (Village or Town) वाले इस पानी को उपयोग में लाने वाले हैं वो आपके ही भाई बहन या परिवार के लोग हैं।
नगरपालिका (Municipality) और ग्राम पंचायत अपने स्तर पर घरेलू पानी ( दूषित) को साफ करने वाला सयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित करें।
उद्योगों का अनुपचारित पानी नदी के पानी मे नही मिलने दे।
हो सके तो समय समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच करवाते रहे।
जलकुम्भी (Water Hyacinth) की सफाई समय समय पर करवाने का प्रयत्न करें।