हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व पोलियो दिवस, पोलियो के खिलाफ हमारी निरंतर लड़ाई का एक महत्वपूर्ण स्मरणोत्सव है। यह बीमारी अत्यधिक संक्रामक है और इतिहास में कई समुदायों को तबाह कर चुकी है। इस दिन को रोेटरी इंटरनेशनल द्वारा जोनस साक के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्थापित किया गया था, जो पहले सफल पोलियो वैक्सीन के अग्रणी थे।
विश्व पोलियो दिवस न केवल पोलियो के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण मील के पत्थरों का जश्न मनाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सतर्कता और कार्रवाई की आवश्यकताओं को भी उजागर करता है। पिछले कुछ दशकों में, पोलियो के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है, और यह बीमारी अब केवल कुछ क्षेत्रों में स्थानिक है। फिर भी, इसके पुनरुत्थान का खतरा हमेशा बना रहता है।
इस वर्ष, जब हम विश्व पोलियो दिवस 2024 World Polio Day 2024 का अवलोकन कर रहे हैं, हम सभी को एकजुट होकर वैश्विक टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने, जागरूकता बढ़ाने और संसाधनों को सक्रिय करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर बच्चा पोलियो के विकृत करने वाले प्रभावों से सुरक्षित रहे।
आइए हम मिलकर विश्व पोलियो दिवस के महत्व, पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों, और टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा में सहायक है।
हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व पोलियो दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पोलियो के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। पोलियो एक ऐसी संक्रामक बीमारी है, जो लोगों को लकवाग्रस्त कर सकती है और जानलेवा हो सकती है। इस दिन की स्थापना रोेटरी इंटरनेशनल द्वारा की गई थी, ताकि पहले सफल पोलियो वैक्सीन के विकास के लिए वैज्ञानिक जोनस साक के जन्मदिन को मनाया जा सके। यह दिन हमें पोलियो के उन्मूलन में की गई प्रगति की याद दिलाता है, लेकिन यह भी बताता है कि अभी और काम किया जाना बाकी है।
विश्व पोलियो दिवस का महत्व इस बात में है कि यह एक ऐसा मंच है, जो जनता को शिक्षित करने, वैश्विक टीकाकरण के लिए वकालत करने और पोलियो से लड़ने के लिए संसाधन जुटाने का कार्य करता है। यह दिन यह याद दिलाता है कि हालांकि पोलियो के मामलों में 99% की कमी आई है, लेकिन यह बीमारी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे कुछ देशों में पोलियो अभी भी मौजूद है और इन देशों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अगर वैश्विक समर्थन जारी नहीं रहा, तो यह बीमारी फिर से उभर सकती है।
दशकों से, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ UNICEF, रोेटरी इंटरनेशनल और ग्लोबल पोलियो एराडिकेशन इनिशिएटिव (GPEI) Global Polio Eradication Initiative (GPEI) ने दुनिया भर में पोलियो को खत्म करने के लिए tirelessly काम किया है। टीकाकरण अभियान इन प्रयासों का मुख्य आधार रहे हैं, जिन्होंने सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी लाखों बच्चों तक पहुंच बनाई है। स्वास्थ्यकर्मियों, स्वयंसेवकों और सरकारों की संयुक्त कोशिशों ने हमें पोलियो-मुक्त भविष्य के करीब ला दिया है।
विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन पोलियो उन्मूलन के लिए जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक प्रगति का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। इस दिन की स्थापना रोेटरी इंटरनेशनल द्वारा की गई थी, ताकि पहले सुरक्षित और प्रभावी पोलियो वैक्सीन के विकास के लिए चिकित्सा शोधकर्ता जोनस साक के जन्मदिन को याद किया जा सके। विश्व पोलियो दिवस सिर्फ पोलियो के खिलाफ पिछले संघर्षों की याद नहीं दिलाता, बल्कि पूरी तरह से पोलियो के उन्मूलन की दिशा में प्रयास जारी रखने का आह्वान भी करता है।
रोेटरी इंटरनेशनल Rotary International, जो एक बड़ी मानवता संगठन है, ने पोलियो के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने विश्व पोलियो दिवस की शुरुआत की ताकि दुनिया इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित रख सके। पोलियो को खत्म करने के लिए रोेटरी की पहल 1985 में पोलियोप्लस कार्यक्रम के माध्यम से शुरू हुई, जो पोलियो को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित पहला और सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम था। विश्व पोलियो दिवस की स्थापना का उद्देश्य संगठन के निरंतर योगदान को उजागर करना और वैश्विक नागरिकों को उन्मूलन प्रयासों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
हालांकि 1980 के दशक के अंत से पोलियो के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है, फिर भी जागरूकता और टीकाकरण प्रयास जारी रखना आवश्यक है ताकि पोलियो फिर से न लौटे। विश्व पोलियो दिवस एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है, जो जनता को शिक्षित करता है, टीकों के मूल्य को उजागर करता है और उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए फंडिंग को बढ़ावा देता है। जागरूकता बढ़ाने से यह सुनिश्चित होता है कि लोग लापरवाह न हों, और दुनिया के आखिरी बचे हुए क्षेत्रों से पोलियो वायरस का उन्मूलन हो सके।
जोनस साक द्वारा 1955 में पहले पोलियो वैक्सीन का विकास इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम था। साक का निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV) लाखों जिंदगियों को बचा चुका है, जिससे दुनिया भर में पोलियो की समस्या में भारी कमी आई है। उनके काम ने आधुनिक टीकाकरण कार्यक्रमों की नींव रखी, सार्वजनिक स्वास्थ्य में बदलाव लाया और दुनिया को इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के करीब ला दिया।
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पोलियो, जिसे पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है, एक बहुत संक्रामक वायरल बीमारी है जो पोलियो वायरस के कारण होती है। यह वायरस मुख्यतः पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है, जिससे यह तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और गंभीर मामलों में पक्षाघात या मृत्यु का कारण बन सकता है। पोलियो व्यक्ति से व्यक्ति के संपर्क के माध्यम से फैलता है, आमतौर पर दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के जरिए, और आंत में गुणा करता है।
पोलियो का कारण पोलियो वायरस है, जो आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित हाथों के जरिए मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद, वायरस तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करता है और कुछ घंटों में पक्षाघात का कारण बन सकता है। खराब स्वच्छता और sanitation इसके संचरण के जोखिम को बढ़ाते हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां स्वच्छ पानी की पहुंच सीमित होती है।
पोलियो वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग कोई लक्षण नहीं दिखाते। हालांकि, कुछ लोगों में फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं, जैसे बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में कठोरता। गंभीर मामलों में, वायरस पक्षाघात का कारण बन सकता है, जो आमतौर पर पैरों को प्रभावित करता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, पोलियो सांस लेने वाली मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई और मृत्यु हो सकती है।
जंगली पोलियो वायरस (WPV) Wild Poliovirus (WPV) : यह वायरस का प्राकृतिक रूप है, जो टीकों के व्यापक उपयोग से पहले प्रकोप का कारण बनता था।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो वायरस (VDPV) Vaccine-Derived Poliovirus (VDPV) : यह वायरस का एक दुर्लभ रूप है, जो कमजोर टीकाकरण वाली जनसंख्या में मौजूदा जीवित, कमजोर वायरस से उत्पन्न हो सकता है, जिसका उपयोग मौखिक पोलियो वैक्सीन (OPV) में किया जाता है। यह WPV के समान फैलने और बीमारी का कारण बनने की क्षमता रखता है।
पोलियो के प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं, खासकर बच्चों पर। जबकि अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, कुछ लोग स्थायी पक्षाघात का सामना कर सकते हैं, जिससे उनकी गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर इसका प्रभाव सबसे गंभीर होता है, जो सबसे अधिक जोखिम में होते हैं। यदि वायरस सांस लेने में मदद करने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करता है, तो पोलियो से मृत्यु भी हो सकती है।
पोलियो का उन्मूलन महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे टीकाकरण के जरिए रोका जा सकता है। पोलियो को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास भविष्य की पीढ़ियों को इस विकलांग और जानलेवा बीमारी से बचाते हैं।
पोलियो के खिलाफ लड़ाई एक लंबा और चुनौतीपूर्ण सफर रहा है, लेकिन वैश्विक प्रयासों के कारण इस विकलांगकारी बीमारी के उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हुई हैं। यहाँ प्रगति का सारांश और चल रही चुनौतियाँ दी गई हैं।
1988 में ग्लोबल पोलियो एराडिकेशन इनिशिएटिव (GPEI) के लॉन्च के बाद से, पोलियो के मामले 99% से अधिक घट गए हैं। अभियान से पहले, दुनिया में हर साल 350,000 से अधिक पोलियो के मामले देखे जाते थे, लेकिन 2023 तक, केवल कुछ जंगली पोलियो वायरस के मामले वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट किए गए। पोलियो को केवल दो देशों के अलावा सभी जगह सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया गया है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
आज, अधिकांश दुनिया पोलियो मुक्त है। अमेरिका, यूरोप, और एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में जंगली पोलियो वायरस का संचरण सफलतापूर्वक समाप्त हो गया है। यह समन्वित टीकाकरण अभियानों, बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली, और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के जरिए संभव हुआ है। 2020 तक, अफ्रीकी महाद्वीप को जंगली पोलियो वायरस से मुक्त घोषित किया गया, जो बीमारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक ऐतिहासिक जीत है।
उन्मूलन प्रयासों का नेतृत्व प्रमुख संगठनों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) World Health Organization (WHO), यूनिसेफ, रोटरी इंटरनेशनल, और ग्लोबल पोलियो एराडिकेशन इनिशिएटिव (GPEI) द्वारा किया गया है। इन संगठनों ने मिलकर अरबों बच्चों को टीका लगाया, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की, और पोलियो के बारे में जागरूकता बढ़ाई। रोटरी इंटरनेशनल ने अकेले इस उद्देश्य के लिए 2 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है, जिससे दुनियाभर के समुदायों को mobilize किया गया है।
विशाल प्रगति के बावजूद, पोलियो अभी भी दो देशों: अफगानिस्तान और पाकिस्तान में एंडेमिक है। इन क्षेत्रों में, संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता, टीके के बारे में गलत जानकारी, और पहुंच की कमी जैसे लगातार चुनौतियाँ पूरी तरह से उन्मूलन में बाधा डाल रही हैं। इसके अलावा, कम टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्रों में कभी-कभी वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो वायरस के प्रकोप होते हैं, जिससे निरंतर सतर्कता और लक्षित टीकाकरण प्रयासों की आवश्यकता होती है।
हालांकि पोलियो के खिलाफ लड़ाई अपने अंत के करीब है, अंतिम बाधाओं को पार करने के लिए निरंतर वैश्विक सहयोग और समर्पण की आवश्यकता है।
टीकाकरण को पोलियो के खिलाफ लड़ाई में सबसे शक्तिशाली उपकरण माना जाता है। विशेषकर बच्चों को टीका लगाकर जनसंख्या को इम्यूनाइज करने से उन्हें पोलियो वायरस से सुरक्षा मिलती है, जो पक्षाघात और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। व्यापक टीकाकरण के जरिए वायरस का संचरण रोका जा सकता है, जिससे अंततः पोलियो का उन्मूलन हो सकता है। टीकाकरण व्यक्तियों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है, जिससे समुदायों में वायरस का फैलाव कम होता है और उन लोगों की सुरक्षा होती है जो चिकित्सा कारणों से टीका नहीं लगवा सकते हैं।
पोलियो के दो मुख्य प्रकार के टीके हैं:
OPV मौखिक रूप से दिया जाता है और इसमें पोलियो वायरस का कमजोर रूप होता है। यह टीका आंतों में प्रतिरोधक क्षमता को उत्तेजित करता है, जहां वायरस गुणा करता है, जिससे इसके फैलने की क्षमता कम हो जाती है। OPV व्यक्ति से व्यक्ति में वायरस के संचरण को रोकने में अत्यधिक प्रभावी है और इसे आमतौर पर सामूहिक टीकाकरण अभियानों में उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसे लगाना आसान होता है।
दूसरी ओर, IPV को इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है और इसमें निष्क्रिय (मारा हुआ) पोलियो वायरस होता है। IPV रक्तधारा में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने में अत्यधिक प्रभावी है और यह व्यक्तियों को वायरस से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह OPV की तरह समुदाय में वायरस के फैलाव को रोकने में उतना प्रभावी नहीं है, लेकिन यह विशेष रूप से पोलियो-मुक्त देशों में व्यक्तिगत सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टीकाकरण अभियानों ने दुनिया भर में पोलियो के मामलों को काफी हद तक कम किया है। ग्लोबल पोलियो एराडिकेशन इनिशिएटिव (GPEI) ने 1988 में अपने लॉन्च के बाद से पोलियो के मामलों को 99% से अधिक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत जैसे देश, जो कभी पोलियो का हॉटस्पॉट थे, 2014 में व्यापक टीकाकरण प्रयासों के कारण पोलियो मुक्त घोषित किए गए। आज, पोलियो केवल कुछ देशों में मौजूद है, और वैश्विक टीकाकरण अभियानों के साथ, दुनिया इस विनाशकारी बीमारी को खत्म करने के करीब है।
यदि टीकाकरण दरें गिरती हैं, तो पोलियो फिर से आ सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां प्रतिरोधक क्षमता कम है। संतोष दशकों की मेहनत और निवेश को बेकार कर सकता है।
टीकों के बारे में गलत जानकारी टीकाकरण कवरेज को कम कर सकती है और पोलियो प्रकोपों का जोखिम बढ़ा सकती है।
झूठी जानकारी स्वास्थ्य पेशेवरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में विश्वास को कमजोर कर सकती है, जिससे बीमारियों से लड़ना कठिन हो जाता है।
स्कूलों, स्थानीय नेताओं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदायों को टीकों के महत्व के बारे में जानकारी देना गलत जानकारी का मुकाबला कर सकता है। स्पष्ट, विज्ञान आधारित जानकारी विश्वास और समझ बनाने में मदद करती है।
प्रभावी outreach कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि टीकाकरण अभियान सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी पहुंचे। मोबाइल क्लिनिक, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्थानीय अभियान उच्च टीकाकरण दर बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं।
सामुदायिक भागीदारी (Community Participation)
स्थानीय समुदायों को टीकाकरण अभियानों की योजना और कार्यान्वयन में शामिल करने सेOwnership और सहयोग की भावना बढ़ती है। सामुदायिक नेता, धार्मिक व्यक्ति और प्रभावशाली स्थानीय लोग टीकाकरण का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जागरूकता अभियान लोगों को याद दिलाते हैं कि पोलियो को पूरी तरह से समाप्त करने तक टीकाकरण के प्रयास जारी रखने का महत्व है।
सार्वजनिक जागरूकता पहल टीकों के बारे में मिथकों और गलत जानकारी को खत्म करने में मदद करती हैं, जिससे लोग टीकाकरण के लाभ और सुरक्षा को समझते हैं।
संक्षेप में, निरंतर सतर्कता, शिक्षा, और सामुदायिक भागीदारी पोलियो-मुक्त दुनिया हासिल करने और बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर बच्चा सुरक्षित है, गति बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
रोटरी इंटरनेशनल और यूनिसेफ जैसी संगठन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके पोलियो उन्मूलन प्रयासों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। वे कहानियाँ, आँकड़े और कार्रवाई के लिए आवाहन साझा कर रहे हैं ताकि जनता को जोड़ा जा सके और दान के लिए प्रेरित किया जा सके।
उन क्षेत्रों में जहां पोलियो अभी भी मौजूद है, स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और एनजीओ टीकाकरण अभियान आयोजित कर रहे हैं ताकि हर बच्चे को पोलियो का टीका मिल सके। उदाहरण के लिए, गाजा में, प्रकोप प्रतिक्रिया अभियानों के दो चरण आयोजित किए गए, जिसमें 550,000 से अधिक बच्चों को शामिल किया गया।
विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा पोलियो के खिलाफ संघर्ष में प्रगति और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं। इन वेबिनार में विशेषज्ञ, स्वास्थ्य पेशेवर और सामुदायिक नेता शामिल होते हैं जो उन्मूलन के लिए रणनीतियाँ और अंतर्दृष्टियाँ साझा करते हैं।
रोटरी क्लब और अन्य गैर-लाभकारी संगठन पोलियो उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने के लिए संगीत कार्यक्रम, चैरिटी दौड़ और नीलामी जैसे फंडरेज़िंग इवेंट्स आयोजित कर रहे हैं।
सरकारें टीकाकरण प्रयासों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिसमें वित्तीय सहायता, नीति समर्थन, और लॉजिस्टिकल सहायता शामिल हैं। वे उच्च टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने और पोलियो प्रकोप का पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिए निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने का भी काम करती हैं।
डॉक्टर, नर्स, और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता पहले पंक्ति में होते हैं, टीके लगाते हैं और समुदायों को टीकाकरण के महत्व के बारे में शिक्षित करते हैं। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण हर बच्चे को पोलियो के टीके के साथ पहुंचने में महत्वपूर्ण होते हैं।
रोटरी इंटरनेशनल, यूनिसेफ, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे संगठन वैश्विक प्रयासों के समन्वय, जागरूकता बढ़ाने और संसाधनों को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये टीकाकरण अभियानों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकारों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करते हैं।
विश्व पोलियो दिवस केवल उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए नहीं है, बल्कि पोलियो को समाप्त करने का कार्य पूरा करने के लिए लोगों और संसाधनों को एकत्रित करने का भी है। यह एक याद दिलाने वाली बात है कि निरंतर प्रतिबद्धता और सहयोग से, पोलियो-मुक्त दुनिया हमारी पहुँच में है।
भारत को एक समय पोलियो का मुख्य केंद्र माना जाता था। हालांकि, एक विशाल टीकाकरण अभियान के माध्यम से, देश ने जनवरी 2011 में जंगली पोलियो वायरस का आखिरी मामला दर्ज किया। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया। पोलियो उन्मूलन प्रयासों से मिली संरचना और ज्ञान का उपयोग नियमित टीकाकरण में सुधार और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों को हल करने के लिए किया गया है।
नाइजीरिया को राजनीतिक अस्थिरता और टीकाकरण के प्रति प्रतिरोध के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार, WHO, यूनिसेफ और अन्य साझेदारों के निरंतर प्रयासों से 2016 में जंगली पोलियो वायरस का आखिरी मामला रिपोर्ट हुआ। नाइजीरिया की सफलता पोलियो के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इथियोपिया को 2001 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया। टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता को मजबूत सरकारी प्रतिबद्धता, सामुदायिक भागीदारी, और प्रभावी निगरानी प्रणाली को श्रेय दिया गया है। पोलियो उन्मूलन के लिए बनाई गई संरचना का उपयोग अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों, जैसे कि खसरे और रूबेला के टीकाकरण अभियानों को मजबूत करने के लिए किया गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1979 में पोलियो को समाप्त किया। टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता अन्य देशों के लिए एक मॉडल रही है। पोलियो उन्मूलन प्रयासों के दौरान विकसित की गई संरचना और विशेषज्ञता का उपयोग अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने, जैसे नए टीकों का परिचय और टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए किया गया है।
पोलियो को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रयासों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इससे मजबूत टीकाकरण प्रणालियों, बेहतर निगरानी, और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ प्रतिक्रिया करने की क्षमता का विकास हुआ है। वही स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो पोलियो टीके लगाते हैं, उन्होंने बच्चों के बीच बीमारी और मृत्यु के जोखिम को कम करने के लिए बिलियन की संख्या में विटामिन ए की खुराक भी दी है।
ये सफलताएँ टीकाकरण कार्यक्रमों के महत्व और उनके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती हैं। पोलियो के खिलाफ संघर्ष ने न केवल अनगिनत जीवन बचाए हैं, बल्कि विश्व स्तर पर स्वास्थ्य प्रणालियों को भी मजबूत किया है।
निष्कर्ष Conclusion
इस प्रकार, विश्व पोलियो दिवस 2024 हमें पोलियो उन्मूलन के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रति एकजुट होने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन न केवल पोलियो से प्रभावित लोगों के संघर्षों को याद करने का है, बल्कि इसके खिलाफ लड़ाई में हमारी जिम्मेदारी को भी रेखांकित करता है। हमें चाहिए कि हम सभी मिलकर वैक्सीनेशन के महत्व को समझें और इसे समाज में फैलाएं। जोनस साक द्वारा विकसित किया गया पोलियो टीका एक अद्भुत उपलब्धि है, जिसने लाखों जीवन बचाए हैं। आइए हम इस विरासत को आगे बढ़ाएं और पोलियो मुक्त दुनिया की दिशा में कदम बढ़ाएं।