दुनिया हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) मनाती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization of the United Nations) की स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। दुनिया भर में लोग एफएओ के निर्माण की वर्षगांठ पर विश्व खाद्य दिवस मनाते हैं। वर्ल्ड फूड डे मनाने का अहम मकसद वैश्विक भूख से निपटने और दुनिया भर में भुखमरी को मिटाने का प्रयास करना है। इस दिन भुखमरी से पीड़ित लोगों को और उनकी मदद के लिए लोगों को जागरूक भी किया जाता है। 2022 में विश्व खाद्य दिवस रविवार (16 अक्टूबर 2022) को पड़ रहा है। वर्ल्ड फूड डे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा मनाया जाता है, जिसमें भारत भी शामिल है। इस दिन को खाद्य सुरक्षा से संबंधित कई अन्य संगठन जैसे कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Program) , कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष भी मनाते हैं।
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16 अक्टूबर का दिन फूड लवर्स (Food Lovers) के लिए बेहद खास होता है क्योंकि यह 2022 में विश्व खाद्य दिवस है। वैसे, इस दिन का प्रमुख लक्ष्य भूखे लोगों की सहायता करना और भोजन के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन पहली बार साल 1981 में मनाया गया था। उसके बाद से लगभग डेढ़ सौ देश 16 अक्टूबर के दिन विश्व खाद दिवस मनाते हैं। विश्व खाद दिवस का उद्देश्य हेल्दी और पौष्टिक खाने (Healthy and Nutritious) से भी है।
विश्व खाद्य दिवस खासकर उन लोगों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, जो एक दिन में एक वक्त का खाना खाने के लिए भी संघर्ष करते हैं। हम इन दिनों जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं, उसमें सबसे बड़ा मुद्दा भूखमरी और कुपोषण (Hunger and Malnutrition) का ही है। हेल्दी डाइट का मुद्दा अमीर और गरीब दोनों को प्रभावित करता है जिससे मोटापा, डायबिटीज (Diabetes) जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं। दूसरी ओर, भूख का मुद्दा है जिसके कारण बच्चों में कुपोषण, मृत्यु और असामान्य देखी जाता है।
विश्व खाद्य दिवस पहली बार नवंबर 1979 में मनाया गया था। विश्व खाद्य दिवस मनाने का सुझाव हंगरी के पूर्व कृषि और खाद्य मंत्री डॉ पाल रोमानी (Food Minister Dr. Pal Romani) ने दिया था। उसी वक्त से यह दिन दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में मनाया जाता है। हालांकि कई रिपोर्ट में दावा किया गया जाता है कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization of the United Nations) के 20वें महासम्मेलन में इस दिन के बारे में प्रस्ताव रखा गया था और इस दिन को 1981 मनाना शुरू किया गया था।
विश्व खाद्य दिवस मनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है उन लोगों को भोजन देना जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। दुनिया भर के देशों को मदद की ज़रूरत है क्योंकि वे केन्या (Kenya) जैसे भुखमरी (Starvation) से जूझ रहे हैं। केन्या जैसे देशों में बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमत आसमान छू गई है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में बच्चे भूखे मर रहे हैं। कई अलग-अलग चैरिटी परिवारों और बच्चों के जीवन को बदलने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
आजकल इतनी लापरवाही के चलते लोग सही समय पर नहीं खाना खाते हैं। उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कुछ लोग जब चाहें और बिना सोचे-समझे खाते हैं। अधिकांश लोग फास्ट फूड (Fast Food) खाने का आनंद लेते हैं, लेकिन वे उस परेशानी से पूरी तरह अनजान हैं जो वे आमंत्रित कर रहे हैं। फास्ट फूट टेस्ट में भले ही चटपटा लगे लेकिन सभी बीमारियों का जड़ यही होता है।
धरती पर हर जीव को खाना जरूरी है, लेकिन उसे सही मात्रा में खाना उससे भी जरूरी है। इसके लिए डाइट का ख्याल रखना चाहिए। व्यक्ति की शारीरिक संरचना यानी हाइट, वजन और उसके द्वारा किये गये श्रम के हिसाब से डाइट की डोज अलग हो सकती है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन 1200 से 2000 कैलोरी (Calories) की आवश्यकता होती है। इसके लिए दिन के तीन मुख्य भोजन-नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात के खाने में 300 से 350 कैलोरी की आवश्यकता होती है। उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें जो भूमिगत और विटामिन सी से बढ़ते हैं। अपने आहार में सब्जियां और खट्टे फल शामिल करें।
भारत में भूखमरी के आंकड़े (Hunger Statistics In India)
2019 ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत 117 देशों में से 102वें स्थान पर था। लिस्ट में भारत के ठीक नीचे नाइजर (Niger) और उसके ऊपर यानी 116 नंबर पर सिएरा लियोन (Sierra Leone) है। दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत दुनिया के एक चौथाई कुपोषित लोगों का घर है। लगभग 21.25% आबादी अभी भी 1.90 डॉलर (लगभग 156 रुपये) प्रतिदिन से कम पर जीवन गुजारने को मजबूर है।
भारत अभी भी उच्च स्तर की गरीबी से जूझ रहा है (India Still Grapples With High Levels Of Poverty)
आर्थिक रूप से मजबूत होने के बावजूद, भारत अभी भी उच्च स्तर की गरीबी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण (Poverty, food insecurity and malnutrition) से जूझ रहा है। पिछले दो दशकों में अमीर और गरीब के बीच आय का अंतर बढ़ा है। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद स्थितियां और खराब हुई हैं। स्थिति से निपटने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम भारत सरकार (Indian government) के साथ मिलकर कई कदम उठा रहा है। भारत सरकार भी खाद्य सुरक्षा से संबंधित कई योजनाएं चला रही है।
जानिए वर्ल्ड फूड डे जुड़े ये फैक्ट्स (Know These Facts Related To World Food Day)
लगभग 99 फीसदी कुपोषित लोग विकासशील देशों (Developing Countries) में रहते हैं।
दुनिया भर में भूखे लोगों में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं।
लगभग पांच में से एक बच्चे को जन्म के साथ ही पोषित आहार (Nutritious Food) नहीं मिल पाता है।
हर साल लगभग 20 मिलियन शिशु जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा होते हैं, उनमें से 96.5% विकासशील देशों में होते हैं।
5 साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 50 फीसदी मौत कुपोषण (Malnutrition) के कारण होती है।